WWII के बाद जिस तेज़ी से दुनिया पिछले तीन-चार साल मे बदली है वह शायद कम लोगो को समझ मे आया होगा, मगर जिस तेज़ी से 22 सितम्बर के हाऊडी से 2 औक्टूबर को चीन का हाईपर सोनिक ड्रोन देख कर अमेरिका के ट्रम्प बदले हैं, वह सब को नजर आ गया होगा। 

चीन के डर से रैडिकल इस्लामिक टेरोरिज़म बोलने वाले की रात की निंद हराम हो गई और सरकारी तौर पर बग़दीदी को मार कर शांती के पुजारी बन्ने लगे। यही अमेरिका के बराक हैं जो आईएसआईऐस को ईराक़ का मोसूल शरीफ का आर्मी कौनटौनमेंट लूटवा कर बनाया था और अफगानिस्तान मे CIA के द्वारा विदेशी private army बना कर बच्चों और औरतों को ऑंख मे गोली मारा करती रही दो साल। जिस का भारत मे एक अबोध बालक ने कशमीर मे पिलेटस गन से ऑंख मे गोली मार कर एतिहासिक ग़लती कर इतिहास रचा।

यही अमेरिका और ट्र्म्प आज चीन मे हो रहे यूगर समाज पर अत्याचार को बढ़ा चढ़ा कर बता रहा है। यूगर के नाम पर चीन के सोफ़्टवेयर कम्पनी पर सैंगशन्स लगा रहा है। मगर दो साल पहले बंगलादेश की प्रधानमंत्री शेख हसिना UNO मे ट्रम्प को हाथ जोड कर “रोहिंगया” शरणार्थी पर बर्मा पर सैंगशन्स लगाने को कहा तो टर्म्प ने इंकार किया। वह आज 10 लाख यूगर के लिए चीन को सज़ा दे रहा है मगर 70 लाख कश्मीरी जो तीन महीना से घर मे बन्द हैं, वह उस को नजर नही आ रहा है।

जिस देश ने “मुक्ति वाहनी” बना कर दुनिया मे आतंकवाद (बुरा नही मानये गा, इतिहास यही है) को जन्म दिया वह आज आतंकवाद को ख़त्म करने के लिए ताली ठोक रहा है। जो देश 30 साल से मिडिल ईस्ट मे मार-काट करता रहा और एक आतंकवादी संगठन को ख़त्म करने के लिए दूसरा आतंकवादी संगठन बनाता रहा आज चीन के यूगर के लिए ऑसू बहा रहा है।मगर आज तक 10 लाख रोहिंगया के लिए ऑसू नही निकला।

जो लोग बाबरी मसजिद शहीद कर “एतिहासिक ग़लती” करते हैं और उस को सच साबित करने के लिए पिछले 40 साल से हर प्रांत और शहर मे नया आतंकी संगठन विभिन्न नाम से खोलते रहे वह कहते हैं हमारे यहॉ “लिंचीनंग” विदेश से आया।

चीन ने तो दुनिया के “साज़िशों दिमाग़” का ऐसा ऐलाज कर दिया की एतिहासिकतौर पर जो लोग सौ साल से गुमनामी मे थे वह फिर मंज़रे आम पर आगये। आतंकवाद के जननी से हाथ जोड कर गुज़ारिश है अपनी “एतिहासिक ग़लती” को स्वीकारें और जल्द से जल्द सुधारते हुऐ एतिहासिक कार्य करो।