Post of 16th June 2021

आषाढ़, हिंदी का चौथा महीना अधिया रहा था, मानसून दस्तक दे रहा था, मेढक निकल पड़े थे।अचानक बादल क़रका, बिजली चमकी और एक मेढक जो एक गोल कुऑ के किनारे टहल रहा था वह कुऑ मे गिर गया।

वहॉ उस की मोलाकात मेढक के मुखिया गोलकर जी से हुई, जो मेढक समाज पर चिंतन कर रहे थे और धारा प्रवाह बोल रहे थे। यह बाहर का मेढक भी चुप चाप उन का भाषण सुनता रहा। वह बोला बाहर की दुनिया बहुत बडी है। गोलकर जी ने पूछा इस दुनिया (कुऑ) की एक चौथाई है, उस ने कहा नही। फिर गोलकर जी ने कहा इस दुनिया की आधी, फिर उस ने कहा नही।

गोलकर जी ने फिर कहा इस का दो-तेहाई, उस ने कहा नही। गोलकर जी ने ग़ुस्सा मे दूसरे मेढक को कहा इस को नीचे ले जाओ और कीचड-कादो चटाओ, यह बाहर की दुनिया भूल जाये गा।

फिर पूरा कुऑ अंधकार मे बदल गया। जब दूसरे दिन रौशनी नज़र आई तो उस मेढक ने एक लोटा के आकार का बर्तन कुऑ मे रस्सी से लटका देखा जो कुऑ से पानी लेकर चला गया। दूसरे दिन जब फिर लोटा कुऑ मे पानी लेने आया तो वह मेढक उछल कर लोटा मे चला गया मगर मुखिया जी ने उस का टॉंग पकड कर लोटा से बाहर निकाल लिया।

मुखिया जी ने कहा तू कहॉ चला, यह जो बाकी मेढक है वह भी बाहर से आया था और कहता था दुनिया बहुत बडी है, मगर मेरे धारा प्रवाह भाषण सून कर यह सब भूल गया। मुखिया जी को डर हो गया अगर यह भागा तो बाकी भी भागें गें और दुनिया की सच्चाई जान जाये गा तो फिर मेरा क्या होगा?
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फिर अगले साल जेठ का महीना आया महामारी हुई पानी का क़िल्लत होने लगा, कुऑ सूखने लगा।”स्प्रिंग वाटर”का दाम दुनिया मे $72-73 से बढ कर दूगना $140-150 हो गया।कुऑ का मेढक उछल उछल कर लोटा मे जाने लगा। कुऑ मे मेढक की तादाद कम हो गई और कुछ दिन बाद मुखिया जी का प्राण पखेरू बिखर गया। फिर कुऑ मे भूत का बसेरा हो गया और दुनिया बहुत सुंदर हो गई।