यही ख्वाब ये अरमां दिल में लिये फिरता हूँ
मिले हर सांस को खुशबु तेरी ही सोंधी सी.
तेरे चमन का हर एक फूल हमको प्यारा हो
सहेजुँ रंग सभी तेरी उड़ती तितली का.
तेरे पहाड़ उचक कर गगन को बोसा दें
तेरे खेतों में कनक झुमे हवा के सरगम पर.
करें अठखेलियां लहरें तुम्हारे आँचल से
चहक की आरती हो रोज़ ऊँचे पीपल पर.
पहन पाजेब जब उतरे धरा पे पहली किरन
अजाँ के साथ मिलके य़ां घंटी का हो कोरस.
हो आशिषों का साया सबके सर बुजुर्गों का
बचपन खिलखिलाये मुसकुराये देखकर के माँ.
खनकती चूड़ीयां हों, झुले हों और सावन हो
न हो दानव कहीं कोई तबस्सुम घोंट जाने को.
तेरे आगोश में रहकर भूला दूँ सारे गम अपने
तेरी खतिर ये दम निकले तो कोई बात बने.
तेरी ही मिट्टी में हम खेले, खिले जवान हुए
जिस्म जो थक जाये मुझको तेरी ही गोद मिले.
(फर्रुख)
सभी को गणतंत्र दिवस की हार्दिक बधाई और शुभकामनायें.