Post of 3 August 2022

“हो गई है पीर पर्वतसी पिघलनी चाहिए
इस हिमालय से कोई गंगा निकलनी चाहिए।
सिर्फ हंगामा खड़ा करना मेरा मकसद नहीं
मेरी कोशिश है कि ये सूरत बदलनी चाहिए”

बिहार के लंबे समय से मुख्य मंत्री श्री.नीतीश कुमार की राजनीति पर गहरी नज़र रखने वाले उनको अच्छे से जानते हैं, की नीतीश कुमार dictation पॉलिटिक्स को हमेशा से नकारते रहे हैं। उनकी राजनीति उनके मिज़ाज से चलती है। दूसरी बात अगर जे॰पी॰ की विरासत की बात करें। तो नीतीश कुमार बहूत ही ज़्यादा संतुलन के साथ समाजवादी राजनीति, विकास,और धर्मनिरपेक्षता को अपने शासनकाल में भाजपा के साथ गठबंधन में रहते हुए लेकर चले और उसमें बहूत हद्द तक कामयाब भी रहे। जबकि मोदी सरकार की अनेकों योजनाओं को लगातार नकारा जिसमें जनसंख्या नियंत्रण क़ानून हो या अग्निपथ योजना जैसे अनेक मोदी जी द्वारा लाई गई योजनायें। बावजूद इसके सबसे कम विधायक के साथ बिहार गठबंधन सरकार के मुखिया हैं, और 2024 से आगे तक रहेंगें। ऐसा मैं नहीं या नीतीश कुमार ने नही कहा, बलिक खुद मोदी जी, अमित शाह जी और जे॰पी॰ नड्डा जी कह रहे हैं।रही बात उनके शासन काल के सुशासन की, तो अगर धरातल पर बहूत बहस ना की जाये, तो पहले के शासन से बहरहाल बेहतर सुशासन नीतीश कुमार जी के शासनकाल में रहा। ऐसा बिहार के आमजन भी कहते हैं।और ये भारत में सुशासन बाबु के नाम से विख्यात तो है ही हैं। इनके लम्बे शासनकाल में विकास भी हुआ है। इनके सुशासन पर भाजपा के अलावा देश की अन्य बड़ी पार्टियाँ और बिहार की जनता भी मुहर लगाती है। ख़ुद मोदी जी और अमित शाह जी ने कई आम सभाओं में चीख़ चीख़ कर हामी भर चुक़े हैं। फिर ये भाजपा के लोग अगर कुछ विपरीत होता है,तो किस मुँह से कहेंगें की नीतीश बाबु सही नहीं हैं। आज तक इनके लाख बदले तेवर के बाद भी भाजपा अलग होने से लगातार गुरेज़ करती रही है। हालाँकि नीतीश बाबु की भी मजबूरी केवल सरकार के मुखिया भर की ही है गठबंधन में बने रहने के लिये, जबकि NDA की मजबूरी 2024 के लोक सभा चुनाव तक इनके साथ की है। इसका कारण NDA का बिहार की 40 लोक सभा सीट जितना नहीं अपितु अगर इन्होंने NDA छोड़ दिया, फिर ये विपक्ष का एक बड़ा चेहरा बन कर ऊभर जाएँगें 2024 लोक सभा चुनाव में, जो मोदी जी के ख़िलाफ़ बड़ा लक्ष्य हो जायेगा। जिसको पार पाना NDA और मोदी जी के लिये अत्यंत कठिन हो जायेगा। हालाँकि मोदी जी ने कई दाव भी खेले, जैसे RCP Singh, महाराष्ट्र का शिंदे एपिसोड, झारखंड एपिसोड वग़ैरह वग़ैरह। सभी प्रकरणों में साफ़ साफ़ इशारा केवल नीतीश कुमार के लिये था। मगर नीतीश कुमार अपनी प्रवृति से मजबूर हैं। NDA भी जान चुकी है, के 2024 तक इनका साथ ज़रूरी है। और उसके बाद कभी नहीं।दूसरी ओर नीतीश कुमार के पास कई विकल्प नहीं है, और जो है बिहार में केवल 2024 तक। 2024 के बाद का रास्ता अगर नीतीश कुमार को बनाना है तो उसके लिये समय अभी से शुरू होता है। जहाँ तक मेरा मानना है, की ये बात नीतीश कुमार भी समझ रहे हैं। क्योंकि नीतीश कुमार बहूत पहले ही बाद में आने वाले प्रकरण के बारे में सोंच विचार कर के रख लेते हैं। और समय पर ही पत्ता खोलते हैं। ये राजनीति में हार मानने वाले नेता ना कभी थे और ना कभी होंगें। ये ख़ामोश बैठने वाले राजनेता हरगिज़ नहीं हैं। अब खेला जब हो मगर होगा ज़रूर।अभी हो या ६ माह बाद हो। क्योंकि यह अस्तित्व का सवाल है। किसी भी राजनेता को जबतक अवसर, संभावना और जनता का साथ मिलता है, वह Retirement के बारे में सोंचता भी नहीं।मेरा मानना है, की यह आज नहीं तो कुछ समय, कुछ माह बाद ही मगर नए गठबंधन के साथ मुखिया के रूप में रहते हुए, 2024 के विपक्ष नेता के रूप में आएँगें। इन्हें हिन्दी भाषी राज्यों के अलावा अन्य दक्षिण राज्यों और मराठा राज्य से भी सहमति मिलेगी। क्योंकि इनकी छवि पर प्रश्न चिन्ह कोई नहीं लगा सकता। क्योंकि विपक्ष के पास परिस्तिथि भी ज़्यादा अनुकूल नहीं और विकल्प भी बहूत नहीं।आगे देश में समय और परिस्तिथि क्या बनती है। यह अभी नेपथ्य में है।किंतु नीतीश कुमार बिहार से एक बड़ा प्रयास ज़रूर करेंगें वर्तमान राजनीति की दिशा को बदलने का। नतीजा जो भी हो, मगर देश की मुख्य विपक्षी राष्ट्रीय पार्टी, जैसे भारतीय राष्ट्रीय कोंग्रेस के अलावा तमाम विपक्षी छेत्रिय पार्टियों में भी इनका स्थान और मान्यता और महत्व है, सहमति बन सकती है।ऐसा मेरा मानना है। वैसे भी देश की राजनीति को समय समय पर दिशा दिखलाने का काम बिहार ने किया है, इतिहास इसका साक्षी है। जय हिन्द !
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Some comments on the post

S M Taqui Imam ये लेख मेरा देश की वर्तमान राजनीतिक परिप्रेक्ष्य में शुद्ध राजनैतिक विश्लेषण है। मेरे भाई समान मित्र शंभु कुमार और कई अन्य मित्रों के आग्रह पर लिखा हूँ। वैसे मैं जन्मजात कोंग्रेसी हूँ, सत्य और अहिंसा में विश्वास रखता हूँ, और गाँधी, नेहरू की विचाराधारा से जुड़ा हुआ हूँ। किंतु समान विचारधारा वालों को पसन्द करता हूँ।

Ram Narayan Jha 100% सामयिक ।

SN Mishra समयानुकूल सटीक विश्लेषण.

Rajkumar Jha सांदर्भिक.

Mohammed Seemab Zaman बहुत सुंदर और सामयिक लेख है। बिहार हमेशा सामाजिक नेता पैदा किया है। श्री बाबू, ललित नारायण मिश्रा, केदार पाण्डे, अबदूल ग़फूर, लालू प्रसाद। अब हम लोगो को नितीश कुमार एक शांदार नेता भगवान ने दिया। अगर economically भारत पिछले दस साल मे मज़बूत हो जाता तो नितीश कुमार बिहार को एक कामयाब राज्य बना देते मगर बदक़िस्मती से यह मौका नही मिला। खैर दुआ है अल्लाह इन को लम्बी उम्र दे।

  • S M Taqui Imam, Mohammed Seemab Zaman होगा। होगा भाई। जो कुछ लिखा हूँ वही होना है। समय का पहिया बदलने वाला है। ज़रा और अधीक अन्याय के बादल को और घहराने दो। होना यही है।

Nasimuddin Siddiqui Ham sahmat hain is vichar se acha vishlesan hai.

Azhar Sultan Apke vichar se sahmat hun

Aslam Sultan Excellent post,100% AGREED WITH YOUR ANALYSIS