“#परशुराम गुरूकुल” का आज भारत के यूएनओ मे वोट किसी के पक्ष मे नही देने पर देशहित मे एक पोस्ट है जिस मे उन्होंने लिखा है कि मुल्क हम सबका है और दुर्भाग्य से वज्रमूर्ख कार्टून ….
गुरूकुल ने सही लिखा है कि “लश्करे ए मीडिया किसी को हीरो बना कर जिओ पॉलिटिक्स के विषयों पर भौंडा प्रयास न करें, आईटीसेल के कंटेंट राइटर और स्ट्रेटेजिक प्लानर ओवरएक्टिंग वाला कंटेंट न फैलायें, इस्लामोफोबिया वाले कंटेंट से परहेज करें, इस से आप की पार्टी एक और चुनाव जीत सकती है मगर यह मेरे देश के लिए अच्छी बात नहीं है”
मेरा कहना है कि आठ साल मे खास कर एक साल मे जिस तेज़ी से जिओ पॉलिटिक्स और जिओ ऐकोनौमिक्स बदला है वह हमारे किसी बूद्धिजिवी, पालिटिक्ल पार्टी के नेता, सरकारी अर्थशास्त्री या सामाजिक स्वयं सेवा के किसी को कुछ समझ मे नही आया।
कोई अपनी सौ साल की सोंच को ही स्वर्ण काल समझ कर बैठे हैं और बाकी लोग उसी सोंच के धारा मे प्रवाह करते रहे। इस्लामोफोबिया का यह हाल है कि न्यायालय #हेजाब जैसे गैर-ज़रूरी मसले पर फ़ुल बेंच की सूनवाई कर जजमेंट चुनाव तक रिज़र्व रखता है, तो कोई गाय-गोबर को फ़ंडामेंटल राईटस देना चाहता है।चीन गलवान और अरूनाचल मे तॉडव कर रहा है मगर लश्करे-ए-मिडिया हेजाब को भारत की सुरक्षा और अखंडता के लिए ख़तरा बताने मे लगी है…..
हम ने इस चुनाव मे उर्दु नाम वालो को कहा है कि देश-प्रेम मे इस बार उर्दू नाम वाले को वोट देकर भविष्य का अच्छा #क़यादत/नेता चूने ताकि भविष्य मे वह देश को विश्वगुरू बनाये।
बूरा नही मानये गा, भारत मे पूराने सोंच के नेता को बदलिये।उदाहरण मे पूराने सोंच वाले नेता राषट्रपति बाईडेन को देखिये कैसे अमेरिका के ज़वाल का कारण बन गये। बाईडेन 1972 से अमेरिका के राजनीति के महत्वपूर्ण नेता रहे हैं।बाईडेन जो अमेरिका के Power Corridor में रक्षा, विदेशनीति, दुनिया मे दंगा-फ़साद कराने के Expert माने जाते थे मगर जब अमेरिका के राष्ट्रपति 2021 मे बने तो एक साल मे अमेरिका को ले डूबे।
अब हम कहे गें कि राजनीतिक पार्टी तो अपना नया नेता चूने और सामाजिक स्वयं सेवा करनी वाली संस्था भी नया नेता चूनें क्योकि अभी के नेता देश को जिओ पॉलिटिक्स और जिओ ऐकोनौमिक्स की बरबादी से नही बचा सकते हैं।