Post of 27 February 2024
इस मामले में उर्दू में लिखा Riyatullah Farooqi (رعایت الہ فاروقی )साहेब के कड़वे तथ्यों को पढ़िये। इस पोस्ट को हम ने फ़ारूक़ी साहेब के पोस्ट को पढ़ कर लिखा है।
भारतीय मुस्लिम समाज में अधिकांश लोग ऐसे हैं जिनको दुनिया की कोई जानकारी नहीं रहती है और वह चालीस (40) साल से भारतीय हिन्दी-उर्दू अख़बार, टीवी, विडियो देख कर अपने को देश और दुनिया के जानकार बनते हैं। “अतः वे किसी भी वैश्विक स्थिति पर जो भी टिप्पणियाँ कर रहे हैं वे मूलतः अज्ञानता पर आधारित काल्पनिक अनुमान मात्र हैं.”
हिन्दी और उर्दू नाम वाले भारतीय बुद्धिजीवी “खुद ही लिखते हैं, और खुद ही पढ़ते है” अब तो “विडियो में खुद ही बोलते है, खुद ही समझते है” और पूरे समाज में ज़हर घोल कर समाज और देश को बर्बाद कर दिया। नरसिम्हा राव ने बाबरी मस्जिद उड़ा कर, 1993 मे देश का नक़्शा चीन के साथ बदल दिया मगर भारत रत्न देकर नरसिम्हा राव को हिन्दी अख़बार और टीवी ने देशभक्त बना दिया।
फ़ारूक़ी साहेब लिखते हैं कि “वह निंदक, जो अपनी गली के सभी लोगों को भी नहीं जानते हों गें मगर वह समझाते हैं कि मुस्लिम देशों ख़ास कर सऊदी अरब, यूएई, क़तर के बारे में वह सब कुछ जानते हैं और ज्ञान देते हैं कि कोई अरब देश ख़ास कर सऊदी अरब फलस्तीन के मुद्दे पर कुछ नहीं कर रहा है और न बोल रहा है। इन के लगातार अरबों के बारे मे “अपशब्द” बड़े-बड़े लोगों को भी गलत राय में डाल देते हैं.”
मेरा कहना है कि इसराइल 20वी सदी में यूरोप में यहूदियों के नरसंहार के बाद 1948 से दुनिया की ताक़तों का मसला रहा है और पश्चिमी ताक़तो के गारंटर (Guarantor) होने की वजह कर यह खून-ख़राबे का अखाड़ा बना हुआ है, जो जल्द एक पायदार नतीजे पर ख़त्म होगा।
पिछले दशक (2011) के अरब स्प्रिंग के बाद यह दुनिया व्यावहारिक रूप से बहुध्रुवीय (Bipolar) दुनिया बन गई है, जिसे अब खुलकर व्यक्त किया जाने लगा है कि अमेरिका अकेला महाशक्ति नहीं रहा। फ़ॉल ऑफ काबूल (2021), रूस-यूक्रेन युद्ध (2022) और बीजिंग में मार्च 2023 मे ईरान के साथ सऊदी अरब के समझौते से यह स्पष्ट हो गया है कि मिडिल ईस्ट के देश 30 साल के आर्थिक तरक़्क़ी के बाद अब एक नये Strategy पर काम शुरू कर दिया है।
इस तथ्य पर विचार करें कि सऊदी-ईरान समझौता तय होने के कुछ ही महीनों बाद, सऊदी क्राउन प्रिंस ने अचानक खुलासा किया कि सऊदी अरब और इज़राइल के बीच गुप्त वार्ता चल रही है, और दोनों देश शांति समझौते के करीब हैं। नेतन्याहू ख़ुशी से झूम उठे और एक इंटरव्यू देकर अपनी खुशी जाहिर किया और उस इंटरव्यू के ठीक एक हफ्ते बाद 7 अक्टूबर 2023 को मार-काट शुरू कर दिया।
जब बीजिंग में ईरान के साथ गुप्त बातचीत चल रही थी तो क्यों नही सऊदी अरब ने इस का खुलासा किया था? जब चीन मे मार्च 2023 मे ईरान-सऊदी के बीच दस्तख़त हो गया तो दुनिया को पता चला।
#NOTE:1: नीचे BRICS की तस्वीर देखये जिस में इस वर्ष जनवरी में सऊदी अरब, यूएई, मिस्र, इथियोपिया और ईरान के आने के बाद BRICS की अर्थव्यवस्था $45 trillion की हो गई जिस में भारत का केवल $3.5 trillion है, चीन का $18 trillion, रूस और ब्राज़ील का $5 trillion है और बाक़ी नये सदस्यों का है।
सवा सौ साल (1876) के बाद मुस्लिम दुनिया ख़ास कर अरब देश अब आर्थिक तौर पर मज़बूत हुऐ हैं, वह पश्चिमी देशों के इस फितना में उलझ कर अपने को फिर सौ साल के लिए बर्बाद नहीं करें गें। अमेरिका और इसराइल यही चाहता है कि अरब इस मार-काट में फँस जायें ताकि इन के $14-16 trillion की अर्थव्यवस्था को बर्बाद कर फिर सौ साल के लिए ख़त्म कर दें।
#NOTE-2: यह पश्चिमी देशों का बनाया फितना है। अगर यह फितना उर्दू नाम लोगों को समझ मे नहीं आता है तो अरबों को गाली देकर दूसरा फितना अपने क़ौम में पैदा नहीं किजये, आप सिर्फ़ फलस्तीन और दुनिया में अमन-व-अमान के लिए दुआ करें।