10-12-2022 Post
गुजरात में चुनावी नतीजे के बाद हर कोई इस को अपने नज़रिये से विश्लेषण कर रहा है मगर किसी ने यह नहीं लिखा के JNU के दिवार पर लिखे “ब्राह्मण भारत छोड़ो” नारा ने गुजरात के चुनाव में कांग्रेस पार्टी का जनाज़ा निकलवा दिया और बीजेपी 182 में से 86% सीटें जीत गई।
पंडित नेहरू जी के समय से ब्राह्मण देवता कांग्रेस पार्टी को वोट देते रहे मगर वीपी सिंह के बैकवर्ड रिज़र्वेशन के बाद यह लोग कमंडल का नारा लगवा संघ में शिफ़्ट होते चले गये और अंततोगत्वा बाजपेयी जी की सरकार बनवा दिया।मगर उस समय 9/11 और अफ़ग़ानिस्तान-पाकिस्तान में आतंकवाद का बोल बाला था और वाजपेयी जी की संघ की सरकार आतंक में ही उलझ कर रह गई।
अंततोगत्वा 2014 में ओबामा के आशीर्वाद प्राप्ति के बाद गुजरात मॉडल की सरकार संघ ने बनवा दिया और कमंडल मील गया और सारा मंडल रिज़र्वेशन घोल-मट्ठा हो गया मगर विदेशी कूटनीति में भारत अकेला दुनिया में रह गया।आज के ग्लोबलाइज़ेड युग में कोई देश “अछूत” रह कर विकास पैदा नहीं कर सकता है।ख़ास कर भारत जैसा बड़े आबादी वाला देश जिस का पड़ोसी विस्तारवादी चीन हो और जो 80% तेल और गैस OPEC से ख़रीदता हो।
इधर फिर संघी, समाजवादी, कम्यूनिसट के ब्राह्मण देवता “भारत जोड़ो” यात्रा से जुट कर कांग्रेस में बैक डोर से इंट्री (entry) लेने लगे थे और हिमाचल में ले भी लिया था।”गुजरात मॉडल” की दिल्ली सरकार को पता चला तो उस ने नारा लगवा दिया “ब्राह्मण भारत छोड़ो”, “मूलनिवासी का DNA एक है” आदि इत्यादि।नतीजा यह हुआ कि कांग्रेस गुजरात मे 77 सीट से 16 सीट पर आ गई।
#नोट: मेरा कहना है कि जो कांग्रेसी या दूसरे पार्टी के ब्राह्मण आरएसएस मे गये थे वह अभी सब्र के साथ संघी बने रहे, वरना दिल्ली की गुजरात मॉडल की सरकार हर गली-चौराहे पर भारत छोड़ो का नारा लगवा कर ऐतिहासिक कॉड करवा देगी।फ़िलहाल कृप्या Pawan Kumar Jha साहेब का मैथिल कविता की चंद शेर पढे,
पूजन हो, अर्चन हो, आ कि देवदर्शन हो
नामक छै चाह तैं गुनाह बढ़ि गेलई
स्वार्थ जनित प्रेमरहित लोक भरमार
लुप्त भेल भलाह तैं गुनाह बढ़ि गेलई