Post of 13 April 2022

“है राम के वजूद पे हिन्दोस्तां को नाज़
अहल-ए-नज़र समझते हैं उस को इमाम-ए-हिन्द” (इक़बाल)

यह रामनवमी मे दहशत और दंगा आज कोई नया नही है। हम जब छोटे थे तो 1964 से 1970 तक याद है रामनवमी का जलूस बेतिया मे निकलता था तो मेरी मॉ रात मे सोती नही थी क्योकि वह दंगाई रूप ले लेता था।हम लोग बेतिया मे जीपीओ (पोस्ट आफिस) कमपाऊंड मे रहते थे जहॉ केवल दो तीन परिवार रहता था।

राम जी का जन्म दिन को बहुसंखयक समाज के ही कुछ लोगो ने एक साजिश के तेहत #दंगानवमी दिवस मनाने का रेवाज 50-55 साल से बना रखा है ताकि हमारे बिहार की सिता मैय्या के पति को बदनाम किया जाये।

हम बचपन से देख रहे हैं और आप भी ग़ौर किजये गा किसी भी भगवान या देवी/देवता के पर्व मे दंगा नही होता है मगर राम के नाम पर दंगा होना एक सामाजिक कानून भारत मे हो गया है।

इक़बाल ने राम को इमाम-ए-हिन्द कहा, मुस्लिम अरब और मिस्र मे राम के नाम को इज्जत देते हैं मगर भारत मे हिन्दु इन के नाम पर दंगा कर जान-माल बरबाद करते हैं।इधर 50-55 साल मे हज़ारो जान ले ली गई, पूरा अयोध्या जन्म भूमि के नाम पर 60 फ़ीट कोड दिया गया मगर कोई भी हज़ारो या सैकड़ों साल पूराना Archeologist evidence नही मिला।आज तक सिता मय्या का कोई भी सोना या किमती पत्थर का ज़ेवर नही मिला।

क्या राम के नाम पर दंगा करा कर बहुसंखयकों द्वारा बहुसंखयक समाज के ही एक जाति विशेष को बदनाम करने की साजिश है क्योकि वह मोग़ल के साथ राज-पाट मे साथ थे।

रामनवमी के नाम पर दंगानवमी क्यो अगर वह भगवान या इमाम-ए-हिन्द हैं तो? इस पोस्ट को हम Islam Hussain साहेब के आज के शेर पर ख़त्म करते हैं।

“मिल ही गए हैं मुझे अपनी बेगुनाही के सुबूत
मुजरिम जो थे खुद बखुद सरे बाम आ गए हैं
काविश थी बनाएंगे मिलकर नया आशियाना
खंजर लिए हुए रहजन खुले आम आ गए हैं” (#इस्लाम_शेरी)
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Some comments on the Post

Md Umar Ashraf आज के दिन ही जलियांवाला बाग़ क़त्ल ए आम हुआ था; और इस क़त्ल ए आम के पीछे सबसे बड़ी वजह थी रामनवमी; और उसका जुलूस!हुआ कुछ युं के रामनवमी के जुलूस को एक मुसलमान ने लीड किया और अंग्रेज़ों के उस मंसूबे पर पानी फेर दिया जिसके तहत उन्हे हिन्दु और मुसलमानो के बीच दरारें बढ़ानी थी।अंग्रेज़ घबरा गए। सतपाल और सैफ़ुद्दीन को गिरफ़्तार कर लिया और लोग रामनवमी की अगली सुबह इन दोनो की रिहाई के लिए सड़क पर एक बार फिर कांधा से कांधा मिला कर आये।1919 में रमानवमी 9 अप्रैल को था। 10 को पहली बग़ावत हुई; 20 से अधिक हिन्दुस्तानी शहीद हुए और फिर गुस्साये हुए हिन्दुस्तानी लोगों ने 4-5 योरप के लोगों को मार दिया!4-5 योरप के लोगों के मौत का बदला अंग्रेज़ों ने चुन चुन कर लिया और 13 अप्रैल 1919 को पुरी प्लानिंग के तहत हज़ारो हिन्दुस्ताीयों को मौत के घाट उतार दिया।

चौधरी ज़ैद अल्लाह हिदायत दे इनको सर या दुआ है.

Syed Shaad हमें ‘सब्र और अख़लाक़’ का दामन थामे रखना है। इसी में हमारी कामयाबी छिपी है। इंशालाह।

Islam Hussain यह दौर भी खत्म होगा कभी.

Chaudhary M M Hayat तुलसीदास ने राम को गरीब नवाज कहा था.

  • Chaudhary M M Hayat ‘रघुवर तुम तो मेरी लाज ,सदा-सदा मैं सरन तिहारी,तुम हो गरीब नेवाज’। संगीतकार जयदेव ने पंडित भीमसेन जोशी का गाया तुलसीदास का यह भजन १९८५ में बनी फिल्म ‘अनकही’ में लिया है ।

Mohd Chaudhary राम के नाम पर दँगा वाकई एक प्लनिंग है जिसमे जहिल क्षत्रियों के आदर्श को खत्म किया जा सके और परशुराम को स्थापित किया जा सके । राम vs परसुराम ऐतिहासिक वर्चस्व का विवाद है । राम की उत्पत्ति बड़ी ही ड्रामेटिक है जिसके तहत पुष्यमित्र सुंग उर्फ परसुराम द्वारा किये गए नरसंहार को (जिसमे एक सर के बदले एक सोने की मुद्रा ) एडजस्ट करना मेन टारगेट था । बड़ी चालाकी से पंडितो ने योगी को इस्तेमाल किया पर वो डेढ़ स्याना निकला आज इन्हें ही इस्तेमाल कर रहा तेजपत्ते की तरह मजाल क्या कोई पण्डित बोल सके । कभी वेद vs उपनिषद के नजरिये से इन्हें पढ़िए एकदम ऑपोजिट मिलेगा । वेद जहां वर्चस्व की बात करते हैं तो उपनिषदों में सच्चे ईश्वर और अन्य दार्शनिक बातें उच्च लेवल की मिलेंगी ।। पूरी रामचरित मानस को पढ़ेंगे तो लगेगा कि फिक्शन की तरह लिख दिया है ।इसपर बहुत कुछ है लिखने को पर लोग सुन नही पाएंगे ।एकबार एक क्षत्रिय स्कॉलर से इस मुद्दे पर बातचीत हुई थी तो एकदम आगबबूला हो गया था जबकि जवाब उसके पास एक भी नाही था । सबसे आसान सवाल था जब रामसेतु भगवान राम ने बनाया और यह तैर रहा था तो डूब कैसे गया ? या तो रामसतु कहानी में झोल है या राम के अस्तित्व में । बाकी मिस्र म्यूजियम ने बहुत से राज खोल दिये हैं