Post of 14 November 2022
Tara Chandra Tripathi जी का राम पर पोस्ट देख कर हम आश्चर्यचकित नहीं हुए मगर खुश हुए की लोग अब “खोज” करने लगे हैं कि भारत में कौन भगवान कहॉ से आये?
त्रिपाठी जी लिखते हैं कि “भारतीय परम्परा में भगवान माने जाने वाले राम काल्पनिक पात्र नहीं हैं. पर राम कथा एक राम की नहीं, दो रामों की कथा के संयोग से बनी लगती है. जो सार्थवाहों या व्यापारी काफिलों की वार्ताओं के साथ मध्य एशिया, भारत, श्रीलंका तक व्याप्त हो गयी. जैसा लोक गाथाओं में होता है, प्रायः हर पीढ़ी उसमें कुछ न कुछ जोडती रहती है या कुछ रूपान्तर कर देती है, राम कथा के साथ भी यही हुआ लगता है.”
त्रिपाठी जी लिखते हैं, “जितना मैं खोज पाया, इस कथा में दो महान राजाओं की कीर्ति कथा की संयुति लगती है. इनमें से एक राजा हैं, मैसोपोटामिया या प्राचीन ईराक के उत्तर¬पूर्व में स्थित लारसा राज्य के राजा और वरद¬सिन (भरत श्री) के भाई रिम¬सिन (रिम¬श्री-रामश्री) और दूसरे हैं मिस्र के महानतम फराओं रेमेसिस द्वितीय. रिम¬सिन ईसा से 1800 साल पहले जन्मे थे और रेमेसिस द्वितीय ईसा से लगभग 1300 साल पहले. दोनों ही नरेश दीर्घजीवी रहे और दोनों ने ही सत्तर साल के लगभग राज्य किया था.”
“राम के बारे में कहा गया है कि उनका अवतार धर्म की पुनर्स्थापना के लिए हुआ था. रैमेसिस का सबसे बड़ा योगदान भी प्राचीन मिस्री धर्म साधना की पुनस्र्थापना है. उसके पूर्ववर्ती फराओं #एखनेटोन ने प्राचीन मिस्री धर्म साधना को प्रतिबन्धित कर एक नयी धर्म साधना प्रचलित कर दी थी. प्राचीन मिस्री धर्म साधना से जुड़े मंदिर तोड़े जा रहे थे, उनके पुजारी कारागार में डाले जा रहे थे. रैमिसिस ने गद्दी पर बैठते ही इस नयी धर्म साधना को अवैध घोषित कर पुरानी धर्म साधना को पुनर्स्थापित किया….”
अरब मे एक महावरा है “आदमी वक़्त से डरता है, लेकिन वक़्त पिरामिड से डरता है”
मेसोपोटामिया मे ब्रिटीश शोधकर्ता ने आर्टीफिशिल इंटेलिजेंस (AI) का इस्तमाल कर 2700 BC की दुनिया की पहली क्यूनीफोरम (Cuneiform) लिखावट से #पूजा और #भजन मे पढे जाने वाले शब्दों को जाना है।मेसोपोटामिया के प्राचीन शहर नूपुर के मंदिर मे एक पूजनीय देवी के हाथ मे हमारे भारत के शिव जी के तरह त्रिशूल मिला है।
वैज्ञानिक कहते हैं कि प्राचीन मिस्र की सभ्यता मे जब Amenhotep IV (1351-1334 BC) मिस्र के फेरऔन थे तो वहॉ फैली महामारी (pandemic) 3,000 साल पूरानी सभ्यता और धार्मिक आस्था को बदल कर रख दिया।
Amenhotep IV ने अपना नाम बदल कर Akhenaten रख लिया।पुजारियों के कहने पर मिस्री प्राचीन भगवान शिव की पत्नी सेकमेत की शेर के चेहरा (lion-headed goddess Sekhmet) वाली सैकडो मूर्ती बनवाई क्योकि मिस्र मे शेर के मूँह वाली शिव की पत्नी “goddess of healing” पूजी जाती थी मगर फिर भी महामारी ख़त्म नही हुई।
इतिहासकार लिखते हैं कि फेरऔन #एखनेटोन ने अपने पूर्वजों की पुरानी राजधानी थेब्स (Thebes) को बदल कर एक नई राजधानी अमरना (Amarna) बनाया और एलान कर दिया कि वहॉ प्राचीन मिस्र के भगवान, देवी, देवताओ की पूजा बंद और अब केवल सूरज भगवान Aten-Ra की पूजा होगी, क्योकि वह पुजारियों से बहुत क्रोधित हो गया था।कहते हैं कि उस समय मिस्री पुजारी लोग देश छोड कर दूसरे देश भाग/प्रवास कर गये।
पुजारी मिस्र छोड कर कहॉ भागे? भारत के लिए, यह शोध का विषय है।”या इलाही ये माजरा क्या है?”