Post of 4th May 2023
“एय मौजे दजल्ह तू भी पहचानती है हम को
अब तक है तेरा दरिया अफ़साना खॉ हमारा” (इक़बाल)
हम अक्सर लिखते हैं कि इस्लामी हुकूमत की तवारीख़ मे 1876 एक महत्वपूर्ण तारीख़ है।
मोहम्मद बदीऊज़्ज़मॉ साहेब ने अपनी किताब “इक़बाल की जोग़राफिआई और शख़्सियतों से मंसूब इस्तलाहात” में इराक़ में बहने वाली दज्लह दरिया (Tigris river) के इस्तलाह में लिखा है कि “1878 दुनिया की तारीख़ मे ख़ास कर यूरोप की तारीख़ मे एक “कट ऑफ डेट” की हैसियत रखता है, इस लिए कि यह साल अगले सौ डेढ़ सौ सालों तक यूरोप, मशरिक़ वस्ता (मीडिल ईस्ट) और अफ़्रीका के मुस्लिम म्मालिक (देशों) के ईस्तेहसाल (Exploitation) के लिए अहमियत रखता है।”
*बदीऊज़्ज़मॉ साहेब लिखते हैं कि 1878 मे बर्लिन कॉन्फ़्रेंस में यूरोप की साम्राजी ताक़तों ने मुस्लिम म्मालिक का बंदर बॉट किया।इसी साल बोस्निया और हर्ज़ेगोविना जिस पर तुर्काने उस्मानी (Ottoman Empire) ने 16वी सदी से हुकूमत किया उस को ऑस्ट्रिया (Austria) के साम्राज्य का हिस्सा बना दिया गया जो 1918 तक रहा।
*यूरोप के रोमानिया (Romania) पर तुर्क उस्मानी का क़ब्ज़ा 1504 से तीन सौ साल तक रहा, बुल्ग़ारिया (Bulgaria) पर क़ब्ज़ा 1396 से 1876 तक रहा।
*बदीऊज़्ज़मॉ साहेब ने लिखा, योगोसलाविया (Yugoslavia) जो 1991 तक 6 जम्हूरीयो (Republics) का वफ़ाक़ (Federation) था उस का दो गणतंत्र सर्बिया (Serbia) और मोनटेनेगरो (Montenegro) पर ओटोमन अम्पायर का क़ब्ज़ा 1371 से 1878 तक रहा। तीसरा जम्हूरियह क्रोशिया (Croatia) पर तुर्को ने 16वी सदी से लेकर 1878 तक हुकूमत किया।चौथे और पाँचवें बोस्निया और हर्ज़ेगोविना पर 16वी सदी से 1878 तक किया। सिर्फ़ छठे रिपब्लिक स्लोवानिया (Slovenia) पर तुर्को की हुकूमत कभी नहीं रही।
हम यहॉ लोगों को बताते चलें कि #1876 से रूसी साम्राज्य ने तुर्की हुकूमत वाले देशों पर अतिक्रमण करना शुरू किया और 24 April 1877- 3 March 1878 तक लड़ाई चली जिस को Balkans War कहा गया।
रूसी साम्राज्य ओटोमन साम्राज्य से उस समय बहुत असंतुष्ट था क्योंकि रूस दो दश्क पहले क्रिमिया युद्ध मे तुर्की-ब्रिटिश-फ्रांसीसी गठबंधन से काफ़ी नुक़सान उठा चुका था। 15 जनवरी 1877 को ऑस्ट्रिया-हंगरी समझौता के बाद रोमानिया से संधि कर 24 अप्रैल 1877 को रूस 120,000 सैनिक भेज कर रोमानिया पर क़ब्ज़ा कर लिया जो उस वक्त तक ओटोमन एम्पायर का हिस्सा था। 10 मई 1877 को रोमानिया ने आज़ादी का एलान कर दिया और रोमानिया तथा रूस ने बुल्गारिया पर भी क़ब्ज़ा कर लिया।
ब्रिटेन ने 31 जनवरी 1878 को रूस पर दबाव डाला और रूस युद्धविराम पर राज़ी हो गया और 3 मार्च 1878 को स्टेफानो गाँव में एक शांति संधि पर हस्ताक्षर हुआ और तुर्की सेना इस्तांबुल वापस आ गई।
3 मार्च 1878 को ओटोमन साम्राज्य या कहिये 1200 साल (750-1923) से चले आ रहे मुस्लिम हुकूमत का अन्त होना शुरू हुआ और उस क्षेत्र का जियओपौलिटिक्स हमेशा के लिए बदल गया और यूरोप/वेस्टर्न पावर्स का एक नया युग शुरू हुआ।
फिर प्रथम विश्वयुद्ध (WWI), 1914 मे शुरू हुआ और नवंबर 1918 मे ख़त्म हुआ और ओटोमन एम्पायर जिस ने “यूरोप-अफ़्रीका-एशिया” के बड़े भू-भाग पर हुकूमत किया वह खत्म हो गया।
यूरोपियन साम्राज्य ने एशिया और अफ्रिका मे मुस्लिम देशों का बंदर बॉट किया। सीरिया, टूनिशिया तथा अफ्रिका का देश फ़्रांस को दे दिया, मिस्र तथा दूसरा मुल्क इंग्लैंड को दे दिया और अन्त में तुर्की के कमाल अतातुर्क ने 1923 मे लूज़ान संधि कर ओटोमन साम्राज्य (1299-1923) को दफ़्न कर दिया।
#नोट: फिर 1923 के पचास साल बाद अप्रैल 1973 मे अरब-इस्राईल लड़ाई के कारण सऊदी अरब के शाह फ़ैसल ने यूरोपियन देशों पर “तेल प्रतिबंध” (Oil Embargo) लगाया और तेल का दाम दुनिया मे 378 गुणा बढ़ गया, यूरोप और अमेरिका की अर्थव्यवस्था 15 साल पीछे होगई। दुनिया की भू-राजनीतिक (Geopolitics) धीर-धीरे बदलने लगी।
आज डेढ़ सौ साल बाद मीडिल ईस्ट ने तेल और गैस को हथियार बना कर फिर दुनिया में अपनी पहचान बना लिया। कभी ‘“फ़ॉल ऑफ ग़र्नाता” (1492) याद किया जाता था मगर अब “फ़ॉल ऑफ काबुल” (2021) और “फ़ॉल ऑफ खारतुम” (2023) होने लगा। अगले 10-15 साल में इस बदली दुनिया का एशिया और अफ्रिका के देश आनंद ले गें।
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Some comments on the Post
Mohammed Seemab Zaman 1878 मे बर्लिन कॉन्फ़्रेंस हुआ और यूरोपियन देशों का प्रभाव शुरू हुआ।WWI के बाद 1920 मे League of Nations बना। WWII के बाद 1945 मे अमेरिका मे United Nations बनाया गया और मिस्र मे Arab League का स्थापना हुआ। 1969 मे Organisation of Islamic Cooperation (OIC) सऊदी अरब के चद्दह में बना।
Deepak Sharma नमस्कार Sir, अंतरराष्ट्रीय ज्ञान आपको पढ़ने से लगातार मजबूत हो रहा है। आज आपकी पोस्ट मील का पत्थर साबित होगी। Whatsapp University ने देश का बेड़ा गर्क कर दिया। मुल्क को आप जैसे बुद्धिमान लोगों की सख्त जरूरत है, जो लोगों को ज्ञान दें। किसी भी सभ्य समाज के लिए शिक्षित होना जरूरी है। लेकिन शिक्षा दान में दी जाने वाली वस्तु नहीं है। जिस तरह समुद्र को नदी में नहीं उड़ेला जा सकता। ठीक वैसे ही शिक्षा किसी को दी नहीं जा सकती, आदमी अपने कर्म से इसे अर्जित करता है। मुझे खुशी है कि मैं आपके संपर्क में हूं, और आप से बातचीत होने का सौभाग्य प्राप्त हुआ, हालांकि मिलना नहीं हुआ। एक तमन्ना है, आपसे मिलने की, ईश्वर उस तमन्ना को जल्द ही पूरा करें। परमपिता परमात्मा दयालु विष्णु भगवान आपको अच्छा स्वास्थ्य और दीर्घायु प्रदान करें और आप देश का और समाज का यूं ही मार्गदर्शन करते रहें। आपकी हर पोस्ट कुछ ना कुछ ज्ञान देती है।
जो अन्य जगह से नहीं मिल सकता।
आपकी यह पोस्ट साझा कर रहा हूं।
दोबारा फिर आपका बहुत-बहुत शुक्रिया, आभार Sir
- Mohammed Seemab Zaman नमस्कार, खुश रहिये और खुब कामयाब होईये। आप के जल संरक्षण वाली पोस्ट का कुछ अंश किसी दिन किसी पोस्ट पर कोट करें गें।