Post of 16 February 2022
“हज़ारो साल नर्गिस अपनी बे-नूरी पर रोती है
बडी मोशकिल से होता है चमन मे दिदह वर पैदा”
यह शेर ईक़बाल की नज़म “तुलुऐ इस्लाम” का एक बंद है जिस को मोहम्मद बदीउज़्ज़मॉ साहेब ने अपनी किताब मे लिखा है कि यह क़ुरआन के आयत की तरजूमानी है। जिस से मुराद रसूल अल्लाह सल्लाहो वसल्लम हैं जो मक्का मे पैदा हुऐ……
यह बदिउज़्ज़मॉ साहेब वह हैं जिन्होंने तीस साल मे ईक़बाल पर 22 किताब लिखी और जिन्होंने जगन्नाथ आज़ाद को ईक़बाल को समझने के लिए क़ुरआन पढ़वा दिया।मशहूर इस्लामी मोफक्कीर मौलाना अली मियॉ जो ईक़बाल पर इस्लामी नज़रऐ से मज़मून लिखते थे उन्होने कहा कि उन के मैगज़ीन कारवाने अदब मे सिर्फ ज़मॉ साहेब ईक़बाल पर लिखे गें, वह अब खूद नही लिखे गें।ज़मॉ साहेब पर हिन्दुस्तान और पाकिस्तान मे लडके MPhil/PhD करते हैं।
जब हम ने इस शेर के FB पर गलत इस्तमाल पर एक पोस्ट किया तो एक साहेब हैं जिन को गलत फहमी हो गई है कि वह पत्रकारिता मे पैग़म्बरी ले कर आये हैं और उन पर “वही” आती है (नौज़बिल्लाह)। उन्होने FB पर एक विडिव डाल कर कहा कि यह ग्रीस के देवी पर ईक़बाल ने शेर कहा है। उस दिन से हम ने उस आदमी के पोस्ट को लाईक/कौमेंट करना बंद कर दिया मगर बलौक नही किया।
यह सोशल मिडिया है, हर आदमी अपने इल्म के मोताबिक़ पोस्ट करता है और लोग एक दूसरे के पोस्ट से उस की सलाहियत को पहचान जाते हैं और कहीं पर चुप हो जाते हैं या कहीं पर जवाब दे देते हैं।
लेकिन यह शक्स FB पर “बत्तमिजी” करता है और सब को “तुम” कर के मुख़ातिब करते हैं।उस शक्स को ग़लत फहमी है कि उन के ऐसा बर्रे-सग़ीर मे कोई दूसरा सहाफ़ी नही है। हम ने उस शक्स को आज Block कर दिया और उस शक्स के फ़्रेड लिस्ट के 50-60 दोस्त को भी Block कर दिया जो मेरे भी फ़्रेंड लिस्ट मे थे।
हम Social Media पर किसी से बहस नही करते हैं और करना भी नही चाहिए।हम सब के साथ इज़्जत से पेश आते हैं। जो गलती होती है मान लेते हैं और शुक्रिया के साथ सही कर देते हैं।मगर ऐसे ही बदगुमान उर्दु नाम वाले सहाफ़ी ने उर्दु/हिन्दी पत्रकारिता को बरबाद कर के मुस्लिम ज़हन को बरबाद कर दिया।