Post of 13th March 2022
19 जनवरी 1990 को कशमीर से राज्यपाल जगमोहन के समय मे रातों रात पंडितों को निकाला गया और कहा जाता है नरसंहार से पंडितों को बचाया गया। मगर उस के बाद नरसंहार गैर पंडितों का हुआ।
6 दिसंबर 1992 को नरसिमहा राव द्वारा 300 साल पुरानी बाबरी मस्जिद को दो घंटा मे जमीन दोज़ कर देश मे अपंग धर्मनिरपेक्षता को दफ़न कर दिया गया।
#अगस्त 1993 मे नरसिमहा राव द्वारा चीन जाकर 320 km (हजारो वर्ग किलोमीटर) जमीन देकर LOC को नया बोडर (LAC) मान लिया गया।देशभक्त विद्वान नेता नरसिमहा राव का यह “मास्टर स्ट्रोक”, आजादी के बाद चल रहे कशमीर के अखँड भारत, अपंग धर्मनिरपेक्षता, राष्ट्रवाद के नारा का परिणाम था चीन को जमीन दान करना।
किसी के मूँह से आज तक आवाज़ नही निकली चीन को क्यो और किस मजबूरी मे जमीन दान देनी पडी। फिर विकास, शिक्षा, स्वास्थ, परिवहन पर खूब तरक्की हुई और 2002 मे एक नया मॉडल देश को मिला और उस विकासशील मॉडल की सरकार देश मे बनी और स्मार्ट सीटी बना तथा बेरोजगारी, महगाई ख़त्म हो गई।
#अगस्त 2019 मे 370 हटा, #मार्च 2020 मे पैंडेमिक का लॉक्डाऊन हुआ, #मई 2020 मे चीन गलवान मे फिर नया LOC बना दिया, #अगस्त 2020 मे मंदिर का पूजा हुआ, #जनवरी 2022 मे चीन ने हमारे अखंड भारत के 15 जगह का नाम बदल कर चाईनिज़ नाम रख दिया।
23 साल बाद चंद लाख विस्थापित पंडितों की याद मे 11 मार्च 2022 को एक फिल्म रिलिज हुई ताकि करोड़ों लडके बेरोजगारी, अरबों लोग महगाई और चीन द्वारा विस्तारवादी नीति के लिए रोना बंद करें और फिल्म देख कर रोयें।
370 और उस से आगे का सोचये, पलिज़ अभी ऑसू बचा कर रखिये।
#नोट: उर्दु नाम वालो आप फिल्म नही देखये और न सोशल मिडिया पर कोई तफसेरा किजये।दुआ किजये विस्थापित लोग फिर वापस अपने जमीन को लौट जाऐं।
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Some comments on the Post
Shambhu Kumar ये सब आवाम के cache memory से आगे का सॉफ्टवेयर अपग्रेड करने का हथकंडा है साहेब
- Mohammed Seemab Zaman इस सॉफ़टवेयर से मेमोरी नही बदले गी। यह सोशल मिडिया और इंटरनेट का जमाना है। सब लोग सब जान जा रहा है, इन को कोई कामयाबी नही मिले गी। वह जमाना गाय जो आप लिख दिया या देखा दिया हम पढ लिया और समझ गये।देख रहे हैं न कैसे यूक्रेन लडाई मे यही यूरोप के लोग लिख रहे हैं कि History repeats itself और टौनी ब्लेयर बीस साल बाद इराक़ वार को गलती मॉन रहे हैं।
ßikram Singh Aap ke lekh selective kyu hotein hai ? Aap 2002 par pahunch gye , Babri yaad rahi .. kashmir yaad rahaPanjab bhool gye , 84 bhool gye , sikh genocide ya Rajiv model bhool gye … Is your democracy and secularism only when Muslims are safe sir rest of non hindus and non muslims won’t matter ?
- Mohammed Seemab Zaman हम सेलेकटिव इस वजह कर है कि आजादी के बाद हर जगह हम 10-12% को ही घसीटी जाता है। आज भी लोग ज़लील जिन्ना को याद करता है और शरीफ गॉधी, नेहरू, पटेल और नरसिमहा राव को पारटिशन का ज़िम्मेदार नही समझता है।आप तो 1-1.5% हैं और सत्तर साल से हर शाखा मे एक पगड़ी वाले नजर आते हैं और तीस साल से बीजेपी के साथ थे।
- Sandeep Solanki ßikram Singh जब दिल्ली में सिख दंगे हुए तो नारा दिया गया था हिंदु मुस्लिम भाई भाई सिख कौम कहा से आईये नारा देने वाले यही लोग है दोनों पार्टियां एक ही सिक्के के दो पहलू है एक नाग है दूसरा साप है दोनो का काम डसना है कभी मिनियरिटी कभी ओबीसी कभी डिप्रेस्ड क्लास कभी आदिवासी ….दोनों ब्राह्मणवादी है मनुवादी है.
Qasim Chaudhary मैं इस सबकी हक़ीक़त बहुत अच्छे से जानता हूँ इसलिए फ़िल्म नहीं देखूंगा.. ना इस पर बात करूंगा.. बस इतना कहूंगा अगर ज़ुल्म हुआ (या खुद जानबूझ कर अपने ऊपर करवाया ) तो केवल पंडितों पर बाकी हिंदी नाम वाले पंजाबी सिख दलित आदि हिन्दी नाम वाले भी रहते थे आज भी रह रहें तो उन पर ज़ुल्म क्यों नहीं हुआ.
Syed Abid Naqvi गुजरात चुनावों के लिए झुनझुना है यह फ़िल्म, बहरहाल उन लोगों ने पत्थर मारा है जिनके ख़ुद के घर शीशे के हैं, इस फ़िल्म का एक फ़ायदा भी है कि अब चर्चा एकतरफ़ा नहीं हो रही और न होगी, सारी क़लई खुलेगी, सवाल उठेगा कि पंडितों के अलावा और भी हिंदू रह रहे हैं वो क्यों बचे रहे, सवाल उठेगा की अटल सरकार रही और अब मोदी सरकार है तो यह कथित बेचारे वापिस कश्मीर क्यों नहीं गए, कैसे देशभक्त हैं कि अपनी मातृभूमि को छोड़े पड़े हैं, टैक्सपेयर के पैसे पर ऐश कर रहे हैं, बाक़ी बक़ौल आपके आंसू बचाकर रखना, कुछ वक़्त के बाद रोना ही रोना है, बाक़ी मूल्लों की नल्ली नहारी के होटलों पर पहले से दोगुनी रौनक़ है।
Kuldeep Singh सर कश्मीर के मुसलमानों और अन्य राज्यों के मुसलमानों के लिए एक भीड़ तैयार की जा रही है और यही भीड़ 2024 के लिए रास्ता आसान करेगी फिर न कोई 1000 के गैस सिलेंडर पर बात करेगा न ही 2 करोड़ नौकरी की बात करेगा..! न फिर महंगाई की बात करेगा सबके अच्छे दिन आ जायेंगे सभी प्रजा पालक आराम से खून चूस कर राज करेंगे.
Neeraj Singh Mahender Singh साहब ने सच कहा है, कि फासीवाद आता तो लोकतंत्र के सहारे है पर उस रास्ते से जाता नही। मैं और जोड़ देता हूं। जब यह आता है तो क्रूरता और जघन्यता के आभासी प्रतिबिंब होते है पर जब जाता है तो वो आभासी चीजे वास्तविक होती है।
- Mohammed Seemab Zaman आज खबर आ गई फिर चीन के साथ बोडर पर 14 राऊंड की बात सफल नही हुआ। अब फिर सराकर नये LOC को LAC बनाये.
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POst translated in English by
Afreen Noor
370 AND BEYOND
On 19 January 1990, during the time of Governor Jagmohan, Pandits were evacuated from Kashmir overnight and it is said that the Pandits were saved from the massacre. But after that the massacre happened of non-pundits.
On 6 December 1992, Narasimha Rao buried the crippled secularism in the country by donating the land to the 300-year-old Babri Masjid in two hours.
#In August 1993, Narasimha Rao went to China and accepted 320 km (thousands of square kilometers) of land and accepted the LOC as the new border (LAC). Donating land to China was the result of the slogan of crippled secularism, nationalism.
Till date no voice has come out of anyone’s mouth, why and under what compulsion China had to donate land. Then there was a lot of progress on development, education, health, transportation and in 2002 a new model was found in the country and the government of that developing model was formed in the country and smart city was made and unemployment, inflation ended.
#370 removed in #August 2019, Pandemic lockdown happened in #March 2020, #China again made a new LOC in Galvan in #May 2020, temple worshiped in #August 2020, #China in #January 2022, 15 places of our united India The name was changed to Chinese name.
After 23 years, a film was released on 11 #March 2022 in memory of a few lakh displaced Pandits so that crores of boys stop crying for unemployment, billions of people inflation and expansionist policy by China and cry after watching the film.
370 and think beyond that, please save tears now.
#Note: You should not watch the film with Urdu name and do not do any tafsera on social media. Pray that the displaced people should return back to their land.