Post of Neeraj Singh Saheb on 24th April 2022

 “भक्ति रस” जिसमे हिंदुओ के आराध्य का बेहद मार्मिक और प्रेम से सराबोर वर्णन होता है के “10” सबसे उच्च कोटि के भजनों की कालजई रचना और उनके बेहद प्रभावशाली गायकों की हकीकत यह है कि उन सफलतम कलाकारों ने हिंदू–मुस्लिम जैसी किसी जहरीली विचारधारा को अपने पास कभी भी फटकने ही नही दिया होगा।

यदि इन महान कलाकारों के दिलों में कहीं भी कोई नफरती विचार होता तो वो अपनी कला को इन बुलंदियों तक पहुंचा ही न पाते।

हिंदू आराध्यों पर लिखे गए इन 10 टॉप क्लास के भजनों में से 6 ‘शकील बदायुनी’ के लिखे हुए हैं और 4 ‘साहिर लुधियानवी’ के लिखे हुए हैं !

#उन 10 के 10 भजनों में संगीत हैं ‘नौशाद साहब’ का !

#उन सभी 10 भजनों को आवाज़ दिया हैं ‘रफी साहब’ ने !

#ये 10 भजन ‘महबूब अली खान’ की फिल्मों में हैं.और इन 10 भजनों पर अभिनय किया हैं ‘यूसुफ खान’ उर्फ दिलीप कुमार ने !

यह जानकारी वर्तमान समय में जरुरी थी क्योंकि चुनावों में साम्प्रदायिकता कि आग लगाकर भाईचारे को रौंदती धार्मिक उन्माद की हवा जो लोग आज चला रहे हैं उन्हें यह जानना चाहिए कि धर्मनिरपेक्षता की भावना भारतीयों के नस-नस में रची बसी है.

SOME OF THE TOP BHAJANS LISTED FOR THE SURVEY – ज़रा गौर फरमाइये :-

👉मन तडपत हरि-दर्शन को आज
गीतकार : शक़ील बदायुंनी
गायक : मोहम्मद रफी
संगीतकार : नौशाद
फिल्म : बैजू बावरा (1952)

👉इंसाफ का मंदिर है, ये भगवान का घर है
गायक -मोहम्मद रफी
संगीत : नौशाद
गीतकार : शकील बदायुंनी
फिल्म -अमर (1954)

👉हे रोम रोम में बसने वाले राम
गीतकार : साहिर लुधियानवी
गायक : आशा भोसले, रफी
फिल्म : नीलकमल (1968)

👉जय रघुनन्दन जय सियाराम
गायक: मोहम्मद रफ़ी
गीतकार: शक़ील बदायुंनी
फिल्म -घराना (1961)

👉आना है तो आ राह में
गीतकार – साहिर लुधियानवी
संगीत – ओ पी नय्यर, खैयाम साहब
गायक – मोहम्मद रफ़ी
फिल्म – नया दौर (1957)

👉जान सके तो जान, तेरे मन में छुपे भगवान
गीतकार – जांनिसार अख्तर
संगीत – ओ. पी. नय्यर
गायक – मोहम्मद रफी
फिल्म – उस्ताद (1957).

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Some comments on the Post

Reyaz Ahmad Khan वाह! सुनते तो आए थे, किन्तु किसके लिखे हैं, इस नज़रिया से नहीं!अभी के ये भजन होते तो कहा जाता कि देखिए अब लोग भजन भी गाने लगे हैं! फलां है तो मुमकिन है.

  • Uday Kumar, Reyaz Ahmad Khan इन लोगों की सोच संकुचित नही थी।इसलिए ऐसी रचनाएं या गीत लिख पाए।अब तो नफरत का सैलाब उमड़ पड़ा है।

Baldev Gautam बहुत बढ़िया सर्वे की रिपोर्ट , हालाकि ‘ हे रोम रोम मे बसने…..’ मेरा पसंदीदा है,आज समाज मे जो नफ़रत रोपण का काम हुआ है उसका श्रेय किसे दिया जाय….?….. सम्भव हो तो मार्गदर्शन करे…….मेरे विचार से आज के समय मे जब राजनीतिक मानव जीवन के हर पहलू को प्रभावित कर रही है तब तो इस के लिए हमारी राजनीति ही जिम्मेदार है क्यो कि समाज को वैसे ही नेता मिलते है जैसी समाज की सोच-विचार.

Manish Mahirishi इन सब का स्वागत है.

Deveshwar Dwivedi बहुत खूब।

Ganga Ram वाह! गजब , शानदार.

Narayan Singh Gurjar शानदार.

Uday Kumar लाजवाब पोस्ट।आज के दौर में नफरती चिंटुओ को इसे पढ़ने की जरूरत है।