Post of 26 September 2022
अब्दुल गफूर नूरानी साहेब लिखते हैं कि समरकंद मे SCO सम्मेलन को पत्रकारिता शब्दावली/शब्दजाल मे “द्विपक्षीय शिखर सम्मेलन” कहा जाये गा।वह लिखते हैं की अमेरिका का असर-व-रसूख दुनिया मे कम हो गया है और अरब देश दृढ/असर्टिव होते जा रहे हैं।”कुछ सितारे धुँधले हो रहे हैं और दूसरे का उदय हो रहा है”, ऐसे मे भारत को पाकिस्तान से दोस्ती करनी होगी।
नूरानी साहेब लिखते हैं शहबाज़ शरीफ या शी जिंगपिंग से भारतीय प्रधानमंत्री ने हाथ नही मिला कर बहुत बडी गलती किया।उन्होने लिखा है कि यह वैसी ही गलती है जैसे 1954 मे जेनेवा मे वैटनाम सम्मेलन मे अमेरिका के विदेश मंत्री John Foster Dulles ने चीन के प्रधानमंत्री चाऊ एनलाई (Zhou Enlai) से हाथ नही मिला कर अमेरिका को वाइटनाम वार मे झोंक कर अमेरिका को बरबाद किया था।
नूरानी साहेब लिखते 17 साल बाद 1971 मे पाकिस्तान के राष्ट्रपति यहिया खॉन ने चीन और अमेरिका की दोस्ती कराई, उस के पहले रोमानिया और दूसरे देशो ने दोस्ती कराने की बहुत कोशीश किया मगर वह सब असफल रहे थे।चीन अब महाशक्ति हो गया है।
नूरानी साहेब ने लिखा है कि अब दुनिया बदल गई है और समरकंद मे शंघाई सम्मेलन ने दुनिया मे नया नेज़ाम को पैदा कर दिया है ऐसे मे भारत को पाकिस्तान से दोस्ती करनी होगी।यही बात हम पहले लिख चूके हैं कि भारत को मजबूरन अब पाकिस्तान से दोस्ती करनी होगी।गौर करने की बात है कि जयशंकर साहेब संयुक्त राष्ट्र के भाषण मे आतंकवाद पर बोले मगर पाकिस्तान का नाम नही लिया।
भारतीय प्रधानमंत्री समरकंद मे राष्ट्रपति अरदोगान से कई साल बाद भेंट कर हाथ मिलाया जिस पर कल इंडियन एक्सप्रेस ने लम्बा चौडा लेख लिखा है जबकि यही अखबार अरदोगान के खेलाफ राजा मोहन का लेख छापता था।
#नोट: नूरानी साहेब एक मशहूर लेखक और वकील रहे हैं।इन्होने बहुत सारी किताब लिखी है जिस मे डा० ज़ाकिर हुसैन तथा बदरूद्दीन तैयबजी की बायोग्राफ़ी भी लिखी है।ज़ाकिर हुसैन भारत के राष्ट्रपति थे और तैयबजी ने भारत का झंडा और राष्ट्र चिह्न (Emblem) बनाया है।नूरानी साहेब का लेख कौमेंट मे पढें।
============
Some comments on the Post
Mohammed Seemab Zaman यह सरकार समरकंद सम्मेलन मे अरदोगान से हाथ मिला रहे हैं क्योकि अरब देशो से कुछ नही मिला। दो साल यह सरकार और रहे गी और विदेशनीति बदले गी मगर कामयाब नही होगी क्योकि यह देश मे धार्मीक उन्माद को बढ़ावा देती रही है और दे रही है। दुनिया अंधी और बहरी नही है।
नितीश कुमार और लालू का सोनिया से मिलना एक बडे बदलाव का संकेत है मगर भारत इस दस साल मे अमृत काल का पचहत्तर साल बरबाद कर दिया।
- Aquil Ahmed, Mohammed Seemab Zaman सर , आपने कहा मजबूरन पाकिस्तान से दोस्ती करनी होगी. लेकिन और ट्विटर में तो पाकिस्तान PM के आवास का अतिसंवेदनसिल audio leak की खबरे चल रही जिसमे PM के भतीजी मरियम के दामाद के लिए भारत से power plant मंगाने कीबात पर पाकिस्तान में बवेला का हंगामा चल रहा. ऐसी परिस्थियों में भी पाकिस्तान से सम्बन्द्ध सुधार की उम्मीद हो सकती है ?
- Mohammed Seemab Zaman, Aquil Ahmed साहेब, जब से चीन गलवान मे आया है भारत मे कोई पाकिस्तान का नाम नही ले रहा है। पहले यही लोग सर्जिकल स्ट्राइक का हल्ला मचाते थे। अंदर अंदर बात चल रही होगी मगर मजबूरी है कि पाकिस्तान मे leadership crisis है, वहॉ तीस साल से चोरों का जमघटा है, कोई देशभक्त वहॉ नेता नही है। सब वहॉ part-time नेता गीरी करता है और बाकी वक्त देश से बाहर रहता है।
- Aquil Ahmed, Mohammed Seemab Zaman सर , सही कहा आपने ….लेकिन दोनों देशों की जनता में इतना आक्रोश पैदा कर दिया गया है एक दूसरे के लिए …अब बड़ी मसक्कत करनी होगी.
Kamal Siddiqui बहुत बढ़िया पोस्ट सर, आपने पहले भी कहा है कि अगर तरक्की करना है तो दोनों देशों को मिलकर रहना चाहिए। और जरूरी भी है।लेकिन भक्त नहीं मानेंगे।
- Mohammed Seemab Zaman भक्त के अगली चार पिढी माने गी, आप लोग यह तेल संकट को छोटा नही समझये। गौर नही किया दो दिन पहले जय शंकर साहेब ने लम्बा भाषण यूएनओ मे आतंकवाद पर दिया मगर पाकिस्तान का नाम नही लिया। यह सौ साल की सोंच का पहला भाषण है जिस मे पाकिस्तान का नाम नही लिया है।कल कतर ने जर्मनी को गैस देने से इंकार कर दिया। इस पर आज एक पोस्ट करें गें।
Salimuddin Ansari आप ने किसी पोस्ट में लिखा था के भारत को चीन से मुक़ाबला करने के लिए पाकिस्तान से दोस्ती का हाथ बढ़ाना चाहिए। लेकिन हाऐ रे मजबूरी।एक जानिब कश्मीर मसले को पाकिस्तान के साथ बाइलेट्रल यानी दुई पक्षी मसअला बताया जाता है।तब इस लिए बात करना ही होगा।
- Mohammed Seemab Zaman, Salimuddin Ansari साहबे, पिछले महीने किसी पोस्ट के आखिर मे लिखा था कि चीन मेरा पडोसी महाशक्ति हो गया अब भारत को हर हाल मे पाकिस्तान से दोस्ती करनी होगी। देखये यह बुज़ुर्ग हस्ती नूरानी साहेब भी वही बात लिख रहे हैं।
Md Iqbal AG noorani साहब मेरे पसंदीदा लेखकों में से है, आज़ादी के बाद इंडियन मुस्लिम की इतिहास और दूसरे इश्यू पर इन्होने बहुत सारी बेहतरीन किताबें लिखी है, संघियो की कलई खोलने मे इनका बहुत बड़ा योगदान है, पहले फ्रंटलाइन मैगज़ीन में इनका हमेशा कोई न कोई आर्टिकल हुआ करता था, इंडियन मुसलमानों मे नूरानी साहब एक बड़ा दिमाग़ है, अल्लाह सलामत रखे
- Mohammed Seemab Zaman, Md Iqbal साहेब, बहुत बहुत शुक्रिया। हम जानते हैं FB मे मेरे friend list मे बहुत पढे लिखे लोग है, इस की आप ने तसदीक़ कर दी।
Huzaifa Hussain Khan अल्लाह अब्दुल गफुर नूरानी साहब को उम्र मे बरकत दे ताकि ये ये सब होते हुए अपनी आँखो से देख सके.
Sirajuddin Zainul Khan 1971 में चीन अमरीका की दोस्ती कराई और बांग्लादेश को नही बचा पाए यहिया खान,ये बात समझ में नही आया सर
- Mohammed Seemab Zaman बंगलादेश को बन्ना जरूरी था, यह सब को 1947 के बँटवारे के दिन ही मालूम था। यह एक लम्बी दास्तान है बँटवारे का दो हिस्सा मे दो जगह होना। इस के लिए बहुत कुछ बंगालियो का इतिहास पढना होगा। सुभाष बोस से लेकर प्रनब मुखर्जी और ममता को ज़हन मे रखिये।
- Dilshad Alam, Sirajuddin Zainul Khan ye batwara har hal me hona zaroori tha iske liye pak muslimo ki badi abadi bhi zimmedar h ,unhone Bangali muslimo se Vaisa hi sulook kiya jaisa yaha Dalito k sath hota h.
- कुलदीप सिंह, Mohammed Seemab Zaman सर बांग्लादेश बटवारे पर दो पार्ट में लेख लिखिए सर
- Bheem Singh Gill, Mohammed Seemab Zaman सर कभी इस बंगलादेश बँटवारा,पर भी लेख लिख दीजिए please सर, अंदे दिमाग में रौशनी डाल दीजिए यह इतिहास नहीं के बराबर मालुम है.
ßikram Singh America won’t let India to do so, America knows the weaknesses of India … So it’s not possible that India will join China camp. Russia is only country whom India can’t ditch because of India warfare is dependent on it.
Syed Asman Mustafa Kazmi नूरानी साहब की उम्र संघ से महज़ 5 साल कम है उन्होंने संघ की सोच को पनपते और उससे मुल्क और मुल्क के आपसी भाईचारे को बरबाद होते देखा है ,अल्लाह उन्हें और लम्बी उम्र दें कि वो इस सोच को बरबाद होता हुआ देखें.
Dr-Asif Masood हमें लगता है की भारत विदेश नीति में बहुत बुरा उलझ गया है,चीन,पाकिस्तान, रशिया,यूक्रेन जंग,तेल गैस की कमी,डॉलर की ऊंचाई ,मुल्क की महंगाई,बेरोजगारी,अर्थविस्था कुछ भी कंट्रोल में नहीं,मगर चुनाव जीतने के लिए मुस्लिम क्रैक डाउन, नफ़रत,धार्मिक उन्माद, मस्जिदों पर कब्जे की कोशिश लगातार जारी है भक्त कुछ समझने को तैयार नहीं यह हालात हमको कहां ले जाएंगे समझ में नहीं आता।कुछ रोशनी डालें।
क्या हो गया गुलशन को साकित है फ़ज़ा कैसी
सब शाख़ ओ शजर चुप हैं हिलता नहीं पत्ता भी ~जमाल पानीपती
देखना यह होगा दोनो देशों की खामोशी कब टूटती है ।
461 Likes, 36 comments, 47 shares