Post of 9 July 2024
NATO के 75वॉ वर्षगाँठ के अवसर पर आज नेटों के 32 देशों की बैठक अमेरिका मे हो रही है। नेटों देशों के राष्ट्राध्यक्ष इस बैठक में भाग लेने न्यूयार्क पहुँच गये हैं।
नेटों की स्थापना 1949 में सोवियत संघ के खिलाफ हुआ था मगर सोवियत संघ को नेटों ने नही अफ़ग़ानिस्तान ने तोड़ा।सोवियत संघ के टूटने के तीस साल बाद फिर 2022 में रूस ने यूरोप (यूक्रेन) मे जंग छेड़ दिया।
यूक्रेन युद्ध के पहले, 2015 से राष्ट्रपति पुटिन की चीन तथा मिडिल ईस्ट से नज़दीकियों बहुत तेज़ी से बढी और एशिया तथा अफ़्रीका तेज़ी से बदला। यह बदलाव 1876, 1923, 1989 के बाद पहली बार दुनिया में हुआ।
दस साल से संघ की सरकार पश्चिमी देशों और ओबामा-ट्रम्प से उम्मीद लगाये बैठी रही कि यूरोप और अमेरिका “हम को दूसरा चीन बना दे गा”। मगर नेटो समिट के समय अंततोगत्वा प्रधानमंत्री पॉच साल बाद कल दो दिन के यात्रा पर मॉस्को पहुँचें और कहा जा रहा है कि यह यात्रा बदले “जियोपोलिटिक्स” के कारण मजबूरी में किया गया है।
मॉस्को पहुँच कर प्रधानमंत्री ने पुटिन के नेतृत्व की सराहना किया और रूस को भारत का ‘सदाबहार मित्र’, ‘विश्वसनीय सहयोगी’ बताया।
संघ का दस साल का सारा experiment fail कर गया। पुटिन चाह कर भी मद्द नहीं कर सकते हैं क्योंकि मिडिल ईस्ट, सेंट्रल एशिया, अफ़्रीका बहुत तेज़ी से बदला है। रूप्या-रूबल में व्यापार सोवियत संघ के समय भी भारत करता था जो 1992 में सोवियत संघ के टूटने के समय तक रहा। रूस से भारत को लड़ाई का सामान पहले भी मिलता था और आज भी मिले गा। इस से ज़्यादा और कुछ इस दौरा से भारत को हासिल नहीं होगा।
#नोट: भारत को विश्वगुरु अब केवल उर्दू, अरबी, फ़ारसी, तुर्की ज़बान ही बना सकता है क्योकि इन का रिश्ता ”भौगोलिक और ऐतिहासिक” है। अंत में मीर तक़ी मीर का एक शेर नज़र करते हैं।
“उल्टी हो गईं सब तदबीरें कुछ न दवा ने काम किया
देखा इस बीमारी-ए-दिल ने आख़िर काम तमाम किया”
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