Post of 29 August 2022
मेसोपोटामिया के प्राचीन शहर नूपुर के मंदिर मे एक पूजनीय देवी के हाथ मे हमारे भारत के शिव जी के तरह त्रिशूल मिला है। यह एक महत्वपूर्ण शोध का विषय है क्योंकि शिव जी प्राचीन मिस्र सभ्यता के भी सब से बडे भगवान थे ओर उनकी पत्नी सेकमेत थीं।आज 7000-5000 साल बाद भी मिस्र के Edfu मंदिर मे शिव और उनके पत्नी की तस्वीर मिलती है।
कुछ दिन पहले जेएनयू (JNU) की कुलपति शांतिश्री धूलिपुडी पंडित ने कहा कि “मानवशास्त्रीय रूप से देवता ऊंची जाति के नहीं होते।भगवान शिव अनुसूचित जाति या अनुसूचित जनजाति जाति के हो सकते हैं।”
हमारे परम आदरणीय विश्व प्रख्यात दार्शनिक, धाराप्रवाह हिन्दी वाचक डाक्टर मोहन जी ने दो दिन पहले त्रिपुरा के काली मंदिर के उद्घाटन कार्यक्रम मे कहा कि, “हूण, मुसलमान, ईसाई लोगों ने लूट के इरादे से भारत पर आक्रमण किया था. इस भावना को वे अपने धर्म या संस्कृति में महसूस नहीं करते थे और इसलिए उन्होंने लोगों को परिवर्तित करने की कोशिश की।”
मोहन जी ने कहा “भारत में कई तरह की खानपान की आदतें, भाषाएं, संस्कृति और परंपराएं हैं, लेकिन इन के बावजूद सभी में एकता की भावना है।ये सब सनातन धर्म की वजह से है.”
जेएनयू की कुलपति शांतिश्री पंडित से अनुरोध है कि भगवान के जाति के विवाद मे न फँसे या दूसरो को फँसायें बल्कि यह शोध कराये कि क्या भारत मे #धर्म मिस्री, मेसोपोटामिया, सूमेरियन या अरब सभ्यता के भगवान, देवी और देवताओ का अवशेष (vestiges) है?
कुलपति शांतिश्री पंडित, एक विश्वप्रख्यात शोधकर्ता हैं, आप कृप्या निगमनात्मक तर्क (deductive reasoning) से पलायन/प्रवास सिद्धांत को मानते हुए एक ठोस शोध करें कि क्या भारतीय धर्म, भगवान, देवी, देवता, संस्कृति, खान-पान, सब मिस्री, सुमेरियन, मुसलमान, ईसाई लोग भारत लाये?
अब समय आ गया है कि पुरातत्ववेत्ता, शोधकर्ता तथा इतिहासकार भारत के मानव सभ्यता, शिव जी, त्रिशूल या अन्य देवी देवताओ के पलायन पर शोध करें, गलत इतिहास बता कर समाज को गुमराह कर भारत की छवी नष्ट न करें।
अंतोगत्वा कुलपति शांतिश्री पंडित कृप्या आप देशहित मे भगवान के जाति के चक्कर मे न पड़ें बल्कि सही शोध करें और सही इतिहास लिखवा कर एक पढा लिखा भारतीय मानव समाज बना कर हम लोगो को दुनिया मे चीन से बडा विश्वगुरू बनायें।
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