Post of 19 December 2023

इसराइल और प्रतिरोधी ताक़तों के मार-काट के बीच, ग़ज़ा से एक हजार मील की दूरी पर, एक नया वैश्विक संकट सामने आ गया है जिस के कारण कोरोना के बाद फिर विश्व अर्थव्यवस्था बर्बादी की तरफ़ बढ़ गई है।

ग़ज़ा में मार-काट को रोकवाने के लिए यमन के हुथी लोग आधुनिक हथियार से लैस हो कर वैश्विक शिपिंग को Red Sea में जाने से रोक दिया है।15 दिसंबर के बाद से दुनिया की पांच सबसे बड़ी कंटेनर कम्पनी CMA CGM, Hapag-Lloyd, Maersk और MSC तथा ब्रिटेन की तेल कम्पनी British Petroleum ने लाल सागर में अपनी सेवाएं निलंबित कर दीया हैं।

निचे तस्वीर देखें, यमन के Bab al Mandab जो हिन्द महासागर से सटा है वहॉ से लाल सागर से होते हुए Suez Canal से 23000 जहाज़ो द्वारा दुनिया का $1 trillion का ट्रेड हर साल होता है जिस मे ज़्यादा तर तेल और गैस यूरोप को जाता है। भारत का इस समुद्री रास्ते से $200 billion का ट्रेंड होता है जिस मे रूस से भी तेल इसी रास्त से आता है।

यह संकट के कारण Suez Canal/ Bab Al Mandab के लंबे समय तक बंद रहने से विश्व व्यापार की लागत बढ़ जाएगी क्योंकि शिपिंग को अफ्रीका से भेजा जाएगा जो मोरक्को के रास्ते यूरोप जाये गा, जिस से अधिक समय लगे गा और बीमा प्रीमियम बढ़ जाये गा और 1973 के Oil Embargo से बड़ा संकट विश्व अर्थव्यवस्था को होगा।

1973 मे तो अरब देशों ने सिर्फ़ इसराइल के समर्थक देशों को तेल देना बंद किया था मगर हुथी संकट से तेल के साथ सामान और खाने पीने की चीज़ों का संकट पैदा हो जाये गा।

#नोट: एक प्राचीन दार्शनिक Heraclitus ने कहा था, “आप एक ही नदी में दो बार कदम नहीं रख सकते”: न तो आप और न ही नदी एक जैसी होंगी.”

यह बात अरब जानते है कि दुनिया बदल गई है, न अरब 1973 के तरह है और न कोरोना के बाद पश्चिमी देश या अमेरिका है।अरब तेल प्रतिबंध नहीं लगाये गें क्योंकि अभी रूस-यूक्रेन युद्ध यूरोप में चल रहा है और चीन वैश्विक ताक़त हो गया है, दोनों देश चीन और रूस तेल पर निर्भर है।

अगर हुथी ने एक महीना से ज़्यादा गल्फ़ ऑफ अदन में संकट बना कर रखा तो विश्व के अर्थव्यवस्था को कोरोना काल खंड से बड़ा संकट का सामना करना होगा।