चीन-रूस और तुर्की-मिडिल ईस्ट के आपसी अंतरराष्ट्रीय संबंध, 21वी सदी की एक मिसाल या रूपावाली होगा”

#कल रूस के पुटिन और चीन के शि जिंपिंग ने विडिव लिंक से बात किया।2013 से अब तक दोनो राष्ट्रपति के बीच आज 37वी बार बात हुई।दोनो नेताओ ने बढते आपसी संबंध पर संतोष ज़ाहिर किया।इस साल दोनो देशो के बीच ट्रेड $132 billion का हुआ।#तीन दिन से तुर्की के विदेश मंत्री यूएई मे थे।कल रात हम ने उन का दुबई एयरपोर्ट से तुर्की वापस जाते समय लाईव साक्षात्कार सूना।उन्होंने कहा मिडिल ईस्ट और तुर्की के बीच एक नये युग की शुरूआत हुई है।राष्ट्रपति अरदोगान 15-16 फरवरी को यूएई आये गें।मिडिल ईस्ट की सुरक्षा, सऊदी अरब और मिस्र से तुर्की के नये संबंध और बहुत सारे नये निेवेश पर समझौता होगा।

चौंकाने वाली बात यह सूनी कि यूएई-तुर्की के कम्पनी के बीच आपस मे Acquisition & Merger होने की संभावना है।यह बहुत बडी खबर थी, इस से सौ साल बाद फिर से तुर्क को इस खित्ते मे पहचान मिले गी।

#GCC की मिटिंग कल सऊदी अरब मे समाप्त हुआ जिस मे आपसी सुरक्षा और विकास पर बात हुई।सऊदी अरब ने 2030 तक $2.3 trillion खर्च करने की बात कही।

साल के अन्त मे कल की यह तीन मिटिंग 2022 के एशिया के “विश्वगुरू” बन कर नज़र आने का पेशखेमा है। सब को मोबारक हो: यह सदी एशिया की होगी, चीन का होगा, मिडिल ईस्ट का होगा, तुर्क का होगा, पठान का होगा ………..

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Some comments on the post

Mohammed Seemab Zaman भारत के प्रधानमंत्री 41 साल बाद जनवरी के पहले सप्ताह मे मिडिल ईस्ट के कोवैत जा रहे हैं। प्रघानमंत्री 2015 मे सब मिडिल ईस्ट के देशो का भ्रमण कर चूके थे मगर कोवैत नही गये थे। यहॉ हम लोगो को बताते चले पंडित नेहरू के वजह कर 1961 तक भारत का रूपया कोवैत के बाजार मे legal tender था।भारत सब से ज्यादा तेल कोवैत और इराक से ख़रीदता था मगर 1980 के बाद कोई प्रधानमंत्री कोवैत नही गया। क्योकि जय प्रकाश आंदोलन और जनता पार्टी के नेताओ ने चालीस साल से भारत के विश्वगुरू बन्ने की अपनी एक दशा और दिशा चून लिया था और है।