The Post of 28 March 2024
हमारे एक बचपन के घोर कांग्रेसी मित्र हैं S M Taqui Imam साहेब, जो कहते हैं कि “बिहार महागठबँधन में एक छेत्रिय पार्टी नेता ने ही दूसरे छेत्रिय नेता को I.N.D.I.A गठबंधन से बाहर जाने पर मजबूर किया ताकि बिहार बंगाल, यू॰पी॰ में छेत्रिय पार्टी अपने वर्चस्व के लिये बड़ी पार्टियों ख़ासकर कोंग्रेस को ऊखाड़ने में कामयाब रहे.”
हमारे मित्र ने सही कहा यह बंगाल, बिहार, यूपी की क्षेत्रीय पार्टी चाहती हैं कि स्वतंत्रत भारत मे इन के जाति का प्रभाव राजनीति में बना रहे, जबकि कांग्रेस ही एक ऐसी पार्टी देश में रही है जो हर जाति के लोगों को लेकर देश का विकास किया।
हमारे मित्र कहते हैं कि अब देश के मुसलमानों को ज़रूर समझना होगा के उनके वोट मूल्य किस पार्टी के साथ सुरक्षित है। मगर मेरा मेरे मित्र को कहना है कि बहुसंख्यक समाज के लोग कांग्रेस पार्टी को वोट नहीं दे रहे हैं बल्कि संघ के पार्टी को दे रहे है क्योंकि 1977 के जयप्रकाश आंदोलन के बाद सभी कांग्रेसी “कोख और गोद” की राजनीति के पक्षधर रहे हैं।
इस कोख और गोद और दोहरी नागरिकता को कथित समाजवादीयो ने राज नारायण के समय (1977) से संघ से दोस्ती कर कांग्रेस को ख़त्म किया।
1977 के बाद हिन्दुस्तान की सभी पार्टी संघ के पार्टी के साथ मिल कर सत्ता का भोग किया है मगर अपने को समाजवादी, सेकूलर और देशभक्त कहती रही। कांग्रेसी का तो यह हाल है कि बीजेपी का आधा से ज़्यादा सांसद कांग्रेसी है और कांग्रेस के बड़े नेता लोग रोज़ पार्टी छोड़ कर बीजेपी में जा रहे हैं। अब तो बीजेपी में बग़ावत हो रहा है कि वह संघ के पूराने कार्यकर्ताओं को भूल गई और कांग्रेसी की संसद का चुनाव लड़वा रही है या राज्य सभा का सांसद बना रही है।
#Note: मेरी कांग्रेसी मित्र ईमाम साहेब से निवेदन है कि मुस्लिम को कांग्रेस को वोट देने को नहीं कहें बल्कि बहुसंख्यक समाज और कथित कांग्रेसी को कांग्रेस को वोट देने का अनुरोध करें ताकि इस विश्वयुद्ध (WWI & II) के बाद बदली दुनिया मे भारत का वह मुक़ाम वापस आ जाये जो पंडित नेहरू या इंदिरा के समय में था वरना मेरा पड़ोसी चीन हम को दुनिया क्या एशिया का कभी “विश्वगुरु” नहीं बनने दे गा और देश की 60% ग़रीब जनता 5 किलो फ़्री अनाज पर दशकों निर्भर रहे गी।
नीचे World Bank का ग्राफ़ देखें जिस में तीसरी बड़ी अर्थव्यवस्था का नाटक संघ की सरकार कर रही है मगर चीन ($17.9 trillion) और भारत ($3.4 trllion) के अर्थव्यवस्था का अंतर देखें।
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Some comments on the Post
Saurabh Prasad भारत की आबादी के कारण जो आंतरिक अर्थव्यवस्था है उसी के कारण ये जीडीपी भी है वरना भारत को अगर कुछ जाति समूहों के देशों के हिसाब से देखा जाए तो भूखे मरने की नौबत आ जाए। कोई भी राज्य या कोई भी जाति समूह खुद से जीडीपी में योगदान नहीं कर सकता। ये सामूहिक तौर पर पूरे देश का योगदान में , इसमें हर जाति समूह धर्म का योगदान है। अगर सांस्थानिक लूट बंद हो जाए ,भ्रष्टाचार बंद हो जाए, जाति धर्म पर शोषण हकमारी बंद हो जाए तो हम भले विकसित बनने का स्वप्न रेशनल तरीके से देख सकते हैं। अभी तो अविकसित और विकासशील के बीच ही लड़ाई है।
- Mohammed Seemab Zaman, Saurabh Prasad साहेब हमारे समाज में हर तरह का #ism है जो दुनिया के किसी समाज में एक देश में नहीं पाया जाता है। यहॉ धर्म, जाति, उत्तर भारत-दक्षिण भारत, पिछड़ा वर्ग-अति पिछड़ा वर्ग, SC और अति पिछड़ा SC, उत्तर बिहार-दक्षिण बिहार…..गौर से सोंचये हर तरह का #ism है मगर चूकें भौगोलिक और ऐतिहासिक रचना बहुत अच्छा है जिस के कारण अभी भी यह देश बचा है वरना यह यूरोप की तरह 40 मुल्क बन जाता।
- यहॉ के selfish-intellectuals अगर #ism फैलाना बंद कर दें तो यह मुल्क दुनिया में विश्वगुरु बन जाये।