Post of 20 September 2021
हमारे आदर्णीय विश्व प्रसिद्ध दार्शनिक, हिन्दी भाषी धारा प्रवाह वाचक डाक्टर जी ने हिन्दु-हिन्दु और डीएनए एक होने की ऐसी रट लगाई के मजबूरन मिस्र के पिरामिड पर शोध करना पडा और पता चला वहॉ के 6,000-5,000 साल पूराने मंदिर मे वहॉ शिव जी की मूर्ती और फिरौन द्वारा पूजा किया जाता था।
तालेबान के काबूल मे आने पर नेतंयाहू ने “यूसुफ़ज़ई” को असेरियन द्वारा इस्राईल से खदेड़े जाने पर अफगानिस्तान मे पनाह लेने पर अपने जाति के होने का दावा ठोक दिया।जर्मन शोधकर्ता द्वारा अफ्रिका और अरब प्रायद्वीप (सऊदी अरब) से बाब-अल मनदेब और मेसोपोटामिया से मनुष्य के यूरोप, एशिया और भारत मे पलायन के ठोस सबूत दे कर “आर्य और अनार्य” के बहस को बल दे दिया।
अब तो जर्मन द्वारा अरब का शोध भारत मे एक नया विवाद खडा कर दे गा क्योकि जोगी ने गोरखनाथ मंदिर के महंत स्मृति समारोह मे कहा है कि “रामायण मे बिहार की सिता माता जी ने श्री राम जी को आर्यपुत्र कह कर संबोधित किया है” यानी राम जी आर्य थे (पेपर कटिंग कौमेंट मे देखें).
जोगी ने सही कहा है कि आर्य और द्रविड का बेबुनियाद एंव झूठा विवाद खडा किया गया है। हाल के जर्मन शोध से भी यही पता लगा है कि अफ्रिका से कुछ लोग खदेड़े गये तो बाब-अल-मनदेब के रास्ता बिंधयाचल पहाड के नीचे आ कर पनाह लिया और आँध्रा प्रदेश मे विष्णु जी की मूर्ती मे मिस्र के पिरामिड बना कर अपने DNA को संयोग दिया।
जोगी का अब्बा जान लोग का नाम लेकर कुछ दिन पहले याद करना और जर्मन शोधकर्ता का मेसोपोटामिया साम्राज्य के असेरियन और सुमेरियन द्वारा आर्यन के खदेड़े जाने के कारण उत्तर भारत मे पनाह लेना और हमारी माता सीता जी का राम जी को आर्यपुत्र कहना गलत नही है।कभी अरब से पलायन कर आये लोगों को आर्य नाम दिया गया और हजार साल बाद मघ्य एशिया से आये लोगो को अब्बा जान कहा जाने लगा।
भगवान की ग़ज़ब लिला है बाबर की भटकती आत्मा कहीं घर वापसी के नारा लगाने वालो के शोध की खूलती परत उन के धर्म को संकट मे न डाल दे।
(निचे मिस्र मे पूजा करते राजा और उनकी पत्नी की है, दूसरी विष्णु जी की 1,500 साल पूरानी मूर्ती Caves of Undayalli, Andhra Pradesh की है और मेसोपोटामिया की प्राचीन सभ्यता की 6,000 साल पूरानी Goddess Inanna की है)