Post of 2nd April 2024
कैलिफोर्निया विश्वविद्यालय के कार्तिक मुरलीधरन ने एक किताब भारत के विकास पर लिखी है, जिस की समीक्षा The Economist, London ने छापा है।
मुरलीधरन ने अपने 800 पन्नों के ग्रंथ “एक्सेलरेटिंग इंडियाज डेवलपमेंट” मे लिखा है कि भारत के तेज़ विकास मे महत्वपूर्ण बाधा “राज्य क्षमता की कमी” (lack of state capacity) है, यानि राज्यों की कमज़ोरी है।
मुरलीधरन लिखते हैं कि पिछले पॉच वर्षों मे शिक्षा और स्वास्थ्य शासन और खराब हो गया है।स्कूल के पांचवें वर्ष में पाँच में से तीन ग्रामीण बच्चे दूसरे वर्ष के स्तर पर नहीं पढ़ सकते हैं।शिक्षकों की अनुपस्थिति की दर 20-30% है जो सरकारी ऑकडा से बहुत ज़्यादा है और स्कूल पर्यवेक्षक का पद 20-40% रिक्त है जिस के कारण निम्न-स्तरीय नौकरशाह सरकार को धोखा देते रहते हैं।मुरलीधरन के अनुसार ऐसे पदों को भरना अधिक शिक्षकों को नियुक्त करने की तुलना में दस गुना अधिक लागत प्रभावी होगा।
भारत मे नौकरशाही (bureaucracies) बहुत चमत्कारी है।10 लाख लोग 1000 पदों के लिए आवेदन देकर चूने जाते हैं, फिर भी भारत में प्रति 1,000 लोगों पर सिर्फ़ 16 सार्वजनिक कर्मचारी हैं, जो दुनिया में सबसे कम अनुपातों में से एक है। यह 1000 अधिकारी राज्य नेताओं के राजनीति के कारण उचित “विशेषज्ञता विकसित” नहीं कर पाते हैं क्योंकि हर 15 महीना पर उन का स्थानांतरण कर दिया जाता है।
मुरलीधरन लिखते हैं कि राज्य का सिर्फ़ 3% खर्च स्थानीय स्तर पर होता है, जबकि चीन में 51% गॉव स्तर पर खर्च होता है क्योंकि भारतीय सिविल-सेवा (bureaucracies) बहुत राजनीतिक प्रभाव में रहता है, जिस के कारण पदाधिकारीयो का पदोन्नति होती है और रिटायर होने के बाद वह सांसद भी बन जाते हैं, अब तो यह प्रथा ज्यूडीशरी में शुरू हो गया है।
पुस्तक में एक मुख्य विषय भारत के संघीय ढांचे पर है। भारत मे 28 राज्य हैं, जिनमें से 15 इतने बड़े हैं कि जनसंख्या के हिसाब से दुनिया के शीर्ष पाँचवें देशों में शामिल हैं। वास्तव में, भारत के शहरों और राज्यों में प्रदर्शन में भारी अंतर है। कर्नाटक, एक बड़ा और उचित रूप से अच्छी तरह से संचालित राज्य, देश के सबसे गरीब राज्य बिहार की तुलना में प्रति व्यक्ति छह गुना अमीर है।
ऐतिहासिक रूप से, भारतीय राजनेता भ्रष्टाचार के चक्र का शिकार हुए हैं, जिसमें कंपनियाँ नेताओं को एहसान के बदले रिश्वत देती हैं, और फिर नेता उस पैसे का इस्तेमाल चुनाव अभियानों मे करते हैं, जिसमें मतदाताओं को रिश्वत देना शामिल होता है।
#नोट: मुरलीधरन की किताब में और भी बहुत कुछ है, जो भारत को दुनिया की तेजी से बढ़ने वाली बड़ी अर्थव्यवस्था बना सकता है मगर मुरलीधरन द्वारा बताए गए बदलावों को लागू करना कठिन होगा, लेकिन असंभव नहीं।