15 अगस्त को फ़ॉल ऑफ काबूल के वक्त अल जज़िरा की यह महिला पत्रकार शैरलोट बेलिस सब को जिंदगी भर याद रहे गीं जिन्होंने उन का उस वक्त का काबूल सेशांदार रिपोर्टिंग देखा हो गा। हम ने इन की तस्वीर दो पोस्ट मे भी दी थी।

आज खबर आई कि वह अपने बेलजियम के दोस्त फ़ोटोग्राफ़र जो नयूयोरक टाईमस के लिए काबूल मे काम करते थे उस के बच्चे की मॉ बन्ने वाली हैं और वह तालेबान के हेफाजत मे काबूल मे हैं क्योकि कोविड के कारण वह अपने मूल्क न्यूज़ीलैंड बच्चा पैदा करने नही जा सकती हैं।

शैरलोट सितंबर के आखिर मे काबूल से अल जज़िरा के आफिस कतर वापिस गईं तो बिमार हो गईं तो टेस्ट से पता चला वह मॉ बन्ने वाली हैं और वह बहुत खुश हुईं और रिजाईन कर दिया क्योंकि उस को डाक्टरों ने कहा था वह कभी मॉ नही बन सकती है। मगर वह कोविड के कारण न्यूज़ीलैंड नही जा सकती हैं, तो वह अपने दोस्त के मूल्क बेलजियम चली गई मगर वहॉ उन का विज़ा ईयू देश कारण नही बढ सका।

वह परिशान हो कर काबूल मे अपने जान पहचान के तालेबान अधिकारी से फोन पर बात कर अपना पूरी परिशानी बताई और कहा के मै अफगानिसतान के जमीन पर परिगनेंट हो गई।मेरे पास अभी एक साल का अफगानिस्तान का विजा है मगर मै शादी शुदा नही हूँ तो उस ने कहा तुम आ जाओ मगर किसी से यह नही कहना की तुम शादी शुदा नही हो।

अभी शैरलोट दो महीना से अफगानिस्तान मे हैं मगर वह अपने मूल्क न्यूज़ीलैंड जा कर बच्चे को जन्म देना चाहती हैं क्योकि वहॉ स्वास्थ सेवा आधुनिक है और वहॉ उन का परिवार है।

शैरलोट ने आज यह सारी कहानी प्रेस को दे दी और कहा कौन कहता है तालेबान औरत के खेलाफ हैं और इंसान नही हैं? हमारा तो यूरोप के बेलजियम ने विज़ा नही बढ़ाया।

Long live Afghanistan.
————————

Afreen Noor

“AFGHANİSTAN IS A FERTILE LAND AND TALIBAN ARE HUMANIST: PREGNANT CHARLOTTE BELLIS” During the Fall of Kabool on August 15, this female journalist from Al Jazeera, Charlotte Bellis, will be remembered for a lifetime by all who have seen her brilliant reporting from that time. We had given their picture in two posts as well.

Today news came that she is going to be the mother of the child of her Belgian friend, a photographer who worked in Kabool for New York Times and she is in Kabul in the custody of the Taliban because due to Kovid she will not go to her native New Zealand to have a child. can.

Charlotte went back from Kabul to Al Jazeera’s office in Qatar at the end of September and fell ill, the test revealed she was going to become a mother, and she was overjoyed and remarried because she was told by doctors that she could never be a mother. Is. But she could not go to New Zealand due to Kovid, so she went to her friend’s country Belgium, but her visa could not extend there due to the EU country.

She got upset and told her whole problem after talking to a Taliban officer of her acquaintance in Kabul on the phone and said that I became a resident on the land of Afghanistan. I have Afghanistan visa for one year now but I am not married so He said you come but do not tell anyone that you are not married.

Charlotte has been in Afghanistan for two months now, but she wants to go to her native New Zealand to give birth to a child because there is modern health care and her family is there. Charlotte gave this whole story to the press today and said, who says the Taliban are women’s players and not human beings? Ours, Belgium of Europe did not extend the visa.

Long live Afghanistan, long live Taliban.

==================

Some of the comments on the Post

Anish Akhtar ये है पश्चिम का मानवाधिकार.. ठीक जड़ा गाल पर मोहतरमा ने..

  • Mohammed Seemab Zaman इस ने अपने मूल्क और यूरोप के झूठे मानवधिकार का पोल खोला है। अभी तालेबान पर EU ने बहुत शर्त रखा कि औरत पर। प्रेस मे बोल कर सब को बेईज्जत कर दिया।
  • Shambhu Kumar, Anish Akhtar
    आँखें ख़ुदा ने दी हैं तो देखेंगे हुस्न-ए-यार
    कब तक नक़ाब रुख़ से उठाई न जाएगी.

Almaz Jahan Jahan जनाब, पश्चिम का पोल खोल दिया है तालिबान की हमदर्दी और इन्सानियत अपनी आंखोंसे देख रहीहै ।ऐसा ही एक वाकिया पहले भी हो चुका है। एक खातून जो तालिबान की कैद में थी और उन्हें डर था कि तालिबान अब उनकेसाथ गलत बर्ताव करेंगे वो काफी दिन कैद में रही और जब रिहा हो कर अपने मुल्क वापस गयी तो तालिबान से इतनी मुतास्सिर थीं कि जाकर इस्लाम धर्म अपना लिया था।

चौधरी सर मैंने उस दौरान सबसे ज्यादा तालिबान को लेकर फेसबुक पर न्यूज शेयर की कई लोगों ने मुझे धमकी भी दी कि मैं तालिबान का महिमामंडन कर रहा हूं जबकि मेरा कहना यही था कि इस बार तालिबान 1990 वाला तालिबान नहीं होगा

Aheer S. K. Yadav क्या तालिबान सबको यही सेवा सम्मान दे सकते हैं साब

  • Mohammed Seemab Zamanसब को देना भी नही चाहिये, मगर मजबूर को ज़रूर देना चाहिये, खास कर उन लोगो को जो 16 अगस्त को काबूल से आदमी से पहले कुत्ता-बिल्ली को evacuate करवाने का ऑडर दे कर ढोंग animal rights का रचते हैं।अभी न दो दिन पहले इंगलैड के बोरिस जॉनसन का यह ड्रामा का राज़ खोला गया है।
  • Aheer S. K. Yadav, Mohammed Seemab Zaman ओह ! समझा साब, मतलब हमारा लोकतांत्रिक संविधान भी तालिबान से कमजोर है फिर.. तभी मैं सोचूँ कि हमारे देश का अधिकाँश मुस्लिम समुदाय क्यों इतना तालिबान समर्थक है साब
  • Aheer S. K. Yadav, Mohammed Seemab Zaman ओह ! समझा साब, मतलब हमारा लोकतांत्रिक संविधान भी तालिबान से कमजोर है फिर.. तभी मैं सोचूँ कि हमारे देश का अधिकाँश मुस्लिम समुदाय क्यों इतना तालिबान समर्थक है साब.
  • Aheer S. K. Yadav, Mohammed Seemab Zaman मतलब चूज़ एण्ड पिक व्यवस्था ही बेहतर मानते हैं आप संघभाजपा जैसी, है ना साब
  • Mohammed Seemab Zaman, Aheer S. K. Yadav साहेब, ढोंगी का पोल खोलने के लिए ” पिक एंड चूज़” होना ज़रूरी है। देख नही रही हैं केजरीवाल कह रहे हैं कि धर्म परिवर्तन पर कानून बन्ना चाहिये मगर आज तक उत्तर भारत के पूरे भारत मे गौ कशी बंद करने का कानून नही बना।भारत मे अधिकांश मुस्लिम समुदाय चालीस साल के मार-काट देख कर तालिबान का समर्थक हुआ है।आप तो बहुत पढे लिखे आदमी हैं “आप सिक्का का एक ही पहलू क्यो देखते हैं जिस पर किमत लिखा होता है, दूसरा पहलू भी देखये जिस पर Republic लिखा होता है”

Syed Asman Mustafa Kazmi कोई भी मूवमेंट वक्त के साथ मेच्योर होता है 95 में वो अचानक से उठे और एक साल में ही उन्हें इतने बड़े मल्टीकल्चरल मुल्क की हुकूमत मिल गयी तो ज़ाहिर सी बात थी उस वक्त उनसे ग़लतियां होनी ही थीं और हुईं भी लेकिन आज ये लोग एक मेच्योर मूवमेंट बन चुके हैं जिनके पास तजुर्बा है और ये हर उस दांव पेच से वाकिफ़ भी हैं जिनको इनके खिलाफ़ इस्तेमाल किया जाता रहा है ,इसलिए अब इनसे इसी तरह की अच्छी उम्मीदें ही रहेंगी और उम्मीद ये है कि दुनिया भी इनकी मदद करेगी जिससे वहां अमन सुकून और तरक्की की बयार चल सकेगी.

  • Mohammed Seemab Zaman अगर दुनिया इन को मद्द नही करे गी तो बहुत खेसारे मे रही गी क्योकि फिर एशिया मे यूरोप कभी नजर नही आये गा। चीन बहुत ख़तरनाक काम करने लगे गा। एशिया के मूल्क इस बात को समझ रहे हैं खास कर मिडिल इस्ट।

Reyaz Ahmad Khan बहुत बढ़िया👏दर असल तालिबान का पिछला दौर लोगों के दिमाग़ में है, मलाला वाला प्रकरण भी, कुछ बुरी घटनाओं को आधार बनाकर नकारात्मकता परोसने वाले लोग खास कर कुछ गैर जिम्मेदार इलेक्ट्रॉनिक मीडिया नमक मिर्च लगा कर पेश किया करते हैं!

Javed Hasan
निगाह-ए-यार जिसे आशना ए राज़ करे
वो अपनी ख़ूबी ए क़िस्मत पर क्यो न नाज़ करे।

Shahreen Khan Insaniyat ki misal bhi kayem kar di in talibaniyon ne todunya me insaniyat ke thekedar mulko ko sharminda kar diya