Post of 22 December 2023
देखये यह नरेन्द्रन थिल्यस्थानम मेरी ही बात कह रहे है, हर समझदार और शोधकर्ता मेरी ही बात कहे गा जो यही सच है।
“भारत मे हम लोग अफ़्रीका से बाब अल मंदप और अरब होते हुऐ गुजरात के समुद्र तट पर आये कुछ सिंध मे रह गये कुछ नर्मदा चले गये.”
जो सिंघ में रहे उन्हीं से सिंधु घाटी या सरस्वती सभ्यता का उदय हुआ और यही सभ्यता तीन-चार हज़ार साल पहले भिखर कर उत्तर भारत में बिहार के आगे गई। जहॉ फिर हज़ार साल बाद राजा नंद, चंद्रगुप्त और अशोक आदि इत्यादी का युग आया।यही भारत के प्राचीन आक्रांता का इतिहास है।
आक्रंता का अर्थ वह नहीं है जो संघ के सरसंघचालक कहते हैं ब्लिक यह अपने बल, बुद्धि, विवेक, शक्ति, कला इत्यादि के संचालन कर्ताओं के क्रियाकलापों का प्रमाण है।
नरेन्द्रन से प्रार्थना है मेरे अनय शोध पत्र के द्वारा उठाये सवालों पर शोध करें और बतायें कौन-कौन भगवान किस किस काल मे अफ़्रीका के मिस्री सभ्यता, मेसोपोटामिया और अरब से कब कब और कहॉ कहॉ भारत में आये?
मेरे शोध में मिस्री सभ्यता मे प्रचलित भगवान जैसे शिव, सुर्य तथा पशु का चेहरा मनुष्य का शरीर रखने वाले देवी देवताओं का पूर्ण विवरण है और समानता पाई जाति है।
*Note: #Narendran Thillaisthanam से मेरा आग्रह है कि वह फ़ेस बुक पर मेरे दुनिया की प्राचीन नील नदी सभ्यता (मिस्र), दजला और फेरात नदी सभ्यता (मेसोपोटामिया), सरस्वती नदी सभ्यता (सिंधु घाटी) और हुआंग हो/येलो नदी (चीन) तथा मिस्री सभ्यता के भगवान, देवी, देवताओं और अरब मे पूजे जाने वाले देवी अल लात- अल मनात और ऊज़्ज़ा के पोस्ट को पढ़े और शोध कर आम लोगों की सच्चाई बतायें।