Post of 7th May 2022
मोहम्मद बदिऊज़्ज़मॉ साहेब ने अपनी किताब में इक़बाल के सोमनाथ वाली इस्तलाह पर प्राचीन अरब दुनिया के औरत देवियों के बारे में तफ़सील से क़ुरआन की रौशनी सुरह नज़्म का हवाला दे कर लिखा है।इक़बाल का ख़ानदान जो कश्मीरी ब्राह्मण था वह आज से दो ढाई साल पहले इस्लाम क़बूल किया था।
ज़मॉ साहेब ने #लात व #मनात के इस्तलाह से इक़बाल के कलाम में कुल आठ शेर बताया है। इक़बाल एक शेर में कहते हैं,
‘मैं असल का ख़ास सोमनाती
आबा मेरे लाती व मनाती’
ज़मॉ साहेब लिखते हैं, ऐसे तो अरबों के यहाँ बहुत देवता और देवीयॉ थीं मगर लात और मनात की परशतीश (पूजा) सभी करते थे और बाक़ी देवी-देवताओं के खास क़बिला ही करते थे। मनात बुत का मुक़ाम मक्का और मदीना के दरम्यान बहरे अहमर (Red Sea) के किनारे क़रीद में था। ज़माने हज में काबा और अरफात और मिना से फ़ारिग़ हो कर हाजी लोग मनात की ज़ेयारत करने क़रीद जाते थे।
कल हम ने #शाहिन वाले पोस्ट में लिखा था अफ़्रीका के फेरऔन के सभ्यता में भगवान शिव को छोड़कर वहाँ ज़्यादा तर भगवान, देवी, देवताओं का सर जानवर का और शरीर मनुष्य का हमारे भारत में गणेश जी या हनुमान के तरह होता था मगर मेसोपोटामिया (अरब) में वह आदमी के शक्ल के ही देवी-देवता होते थे, वहाँ जानवर का शक्ल नहीं होता था।
इस तीन देवताओं में बड़ी देवी उज़्ज़ा थीं जो तस्वीर में बीच में हैँ और अग़ल बग़ल लात और मनात हैं जो बग़दाद के म्यूज़ियम में प्राचीन मूर्ति रखी मिली है।यह शेर की सवारी पर मूर्ति में दिखाई जातीं थीं।हमारे यहाँ भी भारत में कुछ देवी को शेर पर खड़ा देखाया जाता हैं।
जॉर्डन के पेटरा मंदिर जिस को दुनिया का आठवॉ अजूबा भी कहा जाता है वहाँ आज भी देवी उज़्जा की मूर्ति मंदिर में हज़ारों साल बाद नज़र आती हैं।यह मंदिर देवी उज़्जा के समर्पित है।
ज़रूरत है हम लोग भारत में गहण शोध कर सच्चाई जाने की कौन भगवान कहॉ से आये और दंगा फसाद बंद करें।सब लोग सुख शांति से रहें और भारत को विश्वगुरु बनायें।