4 August 2024

1992 मे सोवियत संघ के टूटने के बाद पश्चिमी देशों के वैश्वीकरण (Globalisation) के कारण पश्चिमी Multinational Companies (MNC) दुनिया के ट्रेड पर छाई रहीं।

पश्चिमी बहुराष्ट्रीय कंपनियाँ (MNC) लम्बे समय से अंतरराष्ट्रीय व्यापार और निवेश के मुख्य एजेंट रही, मगर अब चीन के कपड़ा से लेकर एल्कट्रिक कार (EV) और मिडिल ईस्ट के तेल और गैस की दौलत ने एक नई वाणिज्यिक प्रतियोगिता शुरू कर पश्चिमी देशों की दिग्गज मल्टीनेशनल कम्पनियॉ (MNC) और बैंकिंग व्यवस्था (Banking System) को ख़तरे में डाल दिया है।

इसराइल और प्रतिरोधी ताक़तों का मार-काट अगले 3-5 साल में अमेरिका (इसराइल) का दुनिया मे वित्तीय कंट्रोल (Financial Control) चीन और मिडिल ईस्ट ख़त्म कर देगें जिस से अमेरिका का वित्तीय संकट शुरू होगा और सोवियत संघ के तरह टूटने के कगार पर हो जाये गा।

अमेरिकी पूर्व राष्ट्रपति ओबामा के समय से मिडिल ईस्ट को अरब स्प्रिंग कर युद्धक्षेत्र बनाया गया और चीन (साऊथ चाईना समुद्र) को दूसरा युद्धक्षेत्र बनाने का कोशिश किया जाता रहा ताकि चीन को भी सोवियत संघ के तरह तोड़ दे मगर फ़रवरी 2022 मे रूस का यूक्रेन मे युद्ध छेड़ना और अक्टूबर 2023 से इसराइल-प्रतिरोधी ताक़तों के दस महीन ये चल रहे संघर्ष ने “अमेरिकी साज़िशी तंत्र/इसराइल लौबी” को “असफल” कर दिया।

इधर कई वर्षों से दुनिया मे चीनी व्यापार का विस्तार दो रूपों में हो रहा है। पहला है, वैश्विक आपूर्ति श्रृंखलाओं के माध्यम से चीनी कम्पनियों द्वार $800 billion का दुनिया मे व्यापार और दूसरा मलेशिया से लेकर मोरक्को तक पिछले साल $160 billion का कारख़ाना खोल कर चीनी कम्पनियों को अमेरिकन Trade Sanctions से बचाने का उपाय ढूँढ लिया है।

चीनी कम्पनियॉ और मिडिल ईस्ट की दौलत ने इंडोनेशिया से लेकर अफ्रिका तक हर जगह निवेश कर जाल फैला दिया है। तुर्की अपनी सैन्य शक्ति अफ्रिका में फैला रहा है। तुर्की जिस की आबादी 8 करोड़ है और $1 trillion की अर्थव्यवस्था है वह मिडिल ईस्ट के GCC देश जिन की अर्थव्यवस्था $3 trillion की है, उस से Free Trade Agreement (FTA) कर अगले पॉच साल मे $8 trillion की अर्थव्यवस्था बनाने में लगा है।

*प्रतिरोधी ताक़तों के नेता हानिया का क़त्ल “अमेरिकी तंत्र” ने करवा कर अमेरिका को दुनिया में अकेला रख दिया।अमेरिका मिडिल ईस्ट के जंग में बहुत बूरी तरह हारे गा क्योंकि यहॉ इस के साथ कोई Allies नहीं हैं जिस तरह से सोवियत संघ को तोड़ने में यूरोप का Arms/Stinger Missiles मगर अरब का पैसा था।

*अमेरिका में नवंबर मे ट्रम्प या कमला कोई चुनाव जीतें वह यूक्रन जंग रूस से नहीं जीत सकते हैं क्योंकि यहॉ भी अमेरिका को यूरोपियन Allies बहुत कम साथ दे रहे हैं और तेल उत्पादक अरब देश यूक्रेन को पैसा से मद्द करने को तैयार नहीं हैं।

*ट्रम्प अपने पहले राष्ट्रपति काल (2017-20) में चीन को सुपर पावर बना कर चले गये और बाईडेन यूक्रेन-इसराइल युद्ध में फँस कर अमेरिकी Multinational Companies को कठघरे में ला खड़ा कर दिया है, जिस का नतीजा है कि हानिया के क़त्ल के बाद पिछले 48 घंटा तक अमेरिका का शेयर बाज़ार गिरता रहा और कम्प्यूटर चिप्स बनाने की बड़ी कम्पनी #Intel का शेयर 70% गिर कर $21 पर शुक्रवार (2.9.24) को बंद हुआ। चालीस साल से इसराइल मे Intel के 12000 लोग तीन शहर में काम करते थे जो दस महीना से तक़रीबन ठप था जिस के कारण इंटेल ने 15000 लोगों को काम से छँटनी करने का फ़ैसला लिया और शेयर अपने अधिकतम दाम $51 से गिर कर $21 पर चार महीना में पहुँच गया।देखना है इसराइल का मार-काट और कितने अमेरिकन कम्पनी का बर्बाद करती है और चीन की Chips और Technology Companies इस से कितना ज़्यादा फ़ायदा उठाती है।

#नोट: सब्र किजये और दुआ किजये कि “अमेरिकी तंत्र” से दुनिया को जल्द नजात मिले और मिडिल ईस्ट, यूक्रेन तथा साउथ चाईना समुद्र में अमन हो और Global South विकास कर अपने नागरिकों की ग़रीबी और बेरोज़गारी ख़त्म करें।

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