Post of 26 January 2022
Parmod Pahwa साहेब के पोस्ट का आखरी जुमला पढ कर बहुत अफसोस हुआ कि कांग्रेसीयों ने पार्टी का क्या हाल कर दिया: “उत्तर प्रदेश में मै लडकी हूँ, लड सकती हूँ के नारा पर सदफ जाफर CAA आंदोलन वाली और निदा खान टीवी एंकर कांग्रेस के टिकट पर चुनाव लड रही हैं। इनके बारे मे कहा जाता हैं कि ये कांग्रेस के सिंबल पर चुनाव जरूर लड रही है लेकिन वास्तव मे कांग्रेस इनके चेहरे पर यूपी में चुनाव लड रही है।”
कांग्रेसीयों ने अदवाणी से भी सबक़ नही सिखा।अदवाणी को संघ/बीजेपी ने अकबर के अनारकली के तरह ज़िंदा चुन दिया मगर वह पार्टी छोड कर नही भागे। उन के लिए संघ/पार्टी देश से ऊपर है, मगर कांग्रेसी प्रनब मुखर्जी एक भारत रत्न के लिए संघ के शाखा मे लाठी पटकते मरे।
रूस के पुटिन पॉच साल पहले हम लोगो को कह कर गये “भारत का गणतंत्र ख़तरा मे है” मगर किसी पार्टी के नेता, बुद्धिजिवी, पत्रकार, कांग्रेसी, समाजवादी या देशभक्त के कान मे जूँ तक न रेंगी।अब हमारे गणतंत्र को दो साल से चीन अपनी विस्तारवादी नीति से हम को आर्थीक तौर पर बरबाद करता जा रहा है मगर एशिया, यूरोप या कोई मुस्लिम देश मेरे हक़ मे नही बोल रहा है।
देश की विदेशनीति अगले बीस साल के लिए बरबाद हो गई।4 फरवरी को पांच सेंट्रल एशियाई देशों के राष्ट्रध्यक्ष चीन ओलम्पिक के उद्धाटन मे जा रहे हैं। चीन की सीमा तीन सेंट्रल एशिया के देश से मिलता है।चीन पाईप लाईन का जाल बिछा कर टर्कमनिस्तान और कजाकिस्तान से गैस और तेल पॉच साल से ले रहा है।कजाकिस्तान चीन के बेल्ट और रोड (BRI) का यूरोप के लिए गेटवे है। न चीन सेंट्रल एशिया के देश को छोडे गा न ही सेंट्रल एशिया के देश चीन को छोड़ें गें।
सऊदी अरब और यूएई सात साल से भारत मे $100 billion के निवेश का वादा करते रहे मगर मुकेश अम्बानी का सारा TV चैनल मुस्लिम के खेलाफ बोलता रहता है।नतीजा हुआ एक डालर आज तक मिडिल इस्ट से नही आया और सऊदी अरब ने तीन साल बाद Reliance मे $20 billion निवेश करने से भी इंकार कर दिया। दस दिन पहले GCC के पॉच विदेश मंत्री पॉच दिन चीन रह कर दोस्ती पक्की कर लिया।
इन सब घटनाओं का बिगड़ी हुई भारतीय अर्थव्यवस्था पर क्या असर पड़ेगा इस विषय पर गम्भीरता से देश के बूद्धिजिवी और नेता को विचार करना चाहिए लेकिन करे कौन (?) सब को तो MP, MLA या गद्दी चाहिये, भारत रत्न, पद्म भूषण चाहिये।
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Some comments on the post
Mohammed Seemab Zaman दो दिन पहले शी जिंपिंग ने पॉच सेंट्रल एशिया के देश से वर्चुअल मिटिंग किया और 2030 तक पॉच देशो से $70 billion के व्यापार के लक्ष्य रखा है।#चीन-किरगिस्तान-उजबेकिस्तान रेलवे लाईन तथा Highway बनाने का अनुबंध 4 फरवरी को बेजिंग मे होगा।#चीन-तजाकिस्तान-अफगानिस्तान Expressway बने गा।#चीन-कजाकिस्तान तेल पाईप लाईन बिछे गा।#चीन $500 million का sustainable development aid इन देशो को देगा। इन देशो की आबादी लगभग 5-6 करोड है।
- Aqeel Mughal यहां 30 तक मंदिर ही बन जाये बहुत है.
- Islam Hussain, जी सिल्क रोड प्रोजेक्ट में इंडिया की भागीदारी न लेने की क्या वजह थीं और उससे खुसूसी तौर पर क्या नुक़सानात हुए कभी इसपर अलग से पोस्ट करें तो ज्यादा साफ होगी तस्वीर।
- Salimuddin Ansari, Islam Hussain चुंके शाह- राह- ए – रेशम मक़बूज़ा कश्मीर مقببوضہ کشمیر से हो कर गज़रती है इस लिए भारत उस जानिब हाथ नहीं बढ़ाया।
Saurabh Prasad कांग्रेस का नेतृत्व राइट विंग के हाथ में रहा, सामंती सोच वालों के हाथ में रहाएक एक कर लोग खप गए, बूढ़े हो गए, पाला बदल लिए।अब कांग्रेस को कोई चमत्कार ही बचा सकती है।
- Mohammed Seemab Zaman सामंती सोंच और सम्प्रदायिक सोंच दोनो का मिश्रण रहा है कांग्रेसी लोग। यह लोग पैदा होता था संघ मे और प्रवान चढ़ता था कांग्रेस के गोद मे। जब कांग्रेस मे बडा नेता कहलाने लगता था तो अपने संघीतकार विचारधारा पर काम करता था। देख नही रहे हैं 325 बीजेपी के MP मे 150-190 कांग्रेसी हैं। लेकिन जो हुआ पिछले तीस साल मे वह ठीक हुआ, अब बीस साल बाद सुंदर भारत बन्ने लगे गा।
Kamal Siddiqui बहुत अच्छा पोस्ट सरअपने यहां तो अभी भी हिन्दू मुस्लिम पाकिस्तान जिन्ना यही तो चल रहा है। आप बहुसंख्यक समाज के बुद्धिजीवी वर्ग से क्या उम्मीद कर रहे हैं सर। इनका दिल दिमाग अभी भी अंधा है। या फिर मोदी जी की राजनीतिक कैरियर खत्म करने के लिहाज से काम कर रहे हैं।जिसके चैनल ने ज़हर बोया आज वो ख़ुद सऊदी अरब मुस्लिमों के यहां अपना पैसा इन्वेस्ट कर रहा है और अपना डीएनए अरेबियन बता कर निकल लिया।
- Mohammed Seemab Zaman देख नही रहे हैं, यह अखिलेश भी जिन्ना का नाम लेने लगा जो जिन्ना को मरने के 25 साल बाद पैदा हुआ है। यह औसटरेलिया से पढ कर आया है मगर आज तक अपने पिता के संघी सोंच से ऊपर नही उठ पाया।
Shalini Rai Rajput इन्दिरा गांधी अपने संदेशों में विश्व नीति का जिक्र लाया करती थी जिससे जनता को कुछ संकेत व संदेश मिलते थे।आज भारत की जनता कुपढ़ की तरह व्यवहार कर रही है।पाकिस्तान और मुसलमान से अधिक कुछ पता नहीं।
- Mohammed Seemab Zaman Shalini Rai Rajput साहेबा, आप ने मेरा चार सभ्यता वाला पोस्ट पढा होगा, उस मे सिर्फ एक सभ्यता सिंधु घाटी के ट्रेड का ज़िक्र है। मिस्री किसी से ट्रेड नही करते थे वह खुद अपनी सभ्यता को ऊँचाई पर ले गये।मगर सिंधु सभ्यता के लोग मेसोपोटामिया से व्यापार कर के सब से बडी सभ्यता बने। मेरे सारे पोस्ट का लब-लवाब विदेशनीति होता है, जिस से कुछ लोग कहते भी हैं इस से हम को क्या मतलब, हम को तो भारत मे रहना है, यहॉ की गंदा नीति का ही अच्छा बूरा सोचना है।बिना विदेशनीति के कोई राज्य विशवगुरू नही बना है। Make in India का नारा एक झूठा नारा है, चीन से $125 billion का व्यापार हो रहा है।
- Shalini Rai Rajput ट्रेड के कारण ही भाषा व संस्कृति का आदान प्रदान हुआ। समाज ने आयामों को प्राप्त करने में सक्षम बना। ट्रेड के जरिए दो भिन्न सभ्यताओं का मिलन हुआ जो सकारात्मक ही लगता है।
Shadab Samar Abi itihaas bananey ka nhi, itihaas badalne ka time hai..
- Mohammed Seemab Zaman, Shadab Samar साहेब, मेरी इसी इतिहास बदलने की technique चीन भी सिख लिया और लगा मेरा नाम-पता बदलने।
Islam Hussain यह उसी सऊदी जाइंट आरामको का मामला है, जिसके लगने पर बहुत रोज़गार आने की बात थी। लेकिन एक मानसिकता के कारण यह प्रोजेक्ट खटाई में पड़ गया
- Mohammed Seemab Zaman जी हज़ूर यह वही था, जिस के लिए मुकेश अंबानी ने Reliance Company को दो भाग मे तोड़ने का shareholders से permission लिया और अपने बोर्ड मे आरामको के एक आदमी को निदेशक बनाया। मगर फिर भी आरामको ने यह निवेश नही किया। कहा जा रहा है कि शायद अब मुकेश अंबानी रिफाईनरी बिजनेस ख़त्म कर दें।
Shambhu Kumar एक टर्किश proverb को समझना होगा
Zararın neresinden dönülse kardır.
En. better lose the saddle than the horse.
The proverb implies that it doesn’t matter at which point you find out your mistake. Be happy that you find out your mistake and do not focus on what you have lost because you could always lose more.Accept your small loss (saddle) rather than losing the horse.
- Mohammed Seemab Zaman, Shambhu Kumar saheb, what a timely proverbial reminder. Udhav Thakre of Shiv Sena and Sharad Pawar of NCP have realised their mistakes.
- Shambhu Kumar मुंबई पर चोट लगी तब याद आया.
Tanweer Ahsan GCC को हमारे यहां के ‘बुद्धिजीवी’ लोग समझ ही नही पाए हैं इनको लगता है कि इस खित्ते मे बस ऊंट चराने वाले बद्दू रहते हैं। यहां के आवाम मे (शिया और सुन्नी दोनों, मेरे साथ काम करने वालों मे अधिकतर शिया हैं) भारत को लेकर बहुत गुस्सा है खासकर इस सरकार के आने के बाद यह बहुत ज्यादा बढ़ गया है। लोगों ने भारतीय सामान खरीदना लगभग बंद कर दिया है। सरकार भले खुलकर न बोले लेकिन मौन समर्थन भी है। केरल वाले युसुफ साहब के ‘ लूलू सुपरमार्केट ‘ को छोड़कर हर जगह से भारतीय सामान गायब हो चुका है।
- Mohammed Seemab Zaman, Tanweer Ahsan साहेब यही तो शरद पवार और उद्धव ठाकरे के ह्रदय परिवर्तन की वजह हो रही है। बम्बई का नाम बदल कर मुम्बई किया गया, शरद पवार 1993 दंगा होने दिया, शिव सेना के संजय राऊत का आज तक “बाबरी मस्जिद हम ने तोडा” कहते गला सूख रहा था। मगर अब ठाकरे कह रहे हैं इन लोगो ने 25 साल संघ/बीजेपी के साथ देकर भूल किया।हम 2015 के बाद से लिख कर समझा रहे हैं मगर कोई नही समझा। बहुत अफसोस होता है, अब तो सब लोग भूल गया हम लोगो को, दो नस्ल बरबाद हो गई।
Syed Abid Naqvi सर ‘नसीब में जिसके जो लिखा था’ भारत के नसीब में यही है, आने वाला वक़्त बहुत मुश्किलों भरा है, सरकार फ़िलहाल किसी भी हालत में रोज़गार मुहैया नहीं करा सकती, यूथ को रोज़गार चाहिए ही चाहिए ऐसे में छात्रों के पास सिवा आंदोलन के और रास्ता क्या है, रही बात चीन या पाकिस्तान की तो चीन क्यों चाहेगा कि पड़ोस में कोई ताक़तवर देश रहे और उसके पास भारत को अस्थिर करने का इससे अच्छा मौक़ा क्या होगा जब सबसे भृष्ट और नाक़ाबिल सरकार है और जिसे जन समर्थन भी है, पाकिस्तान चीन की दोस्ती का भरपूर फ़ायदा उठाएगा, मीडिया ख़बरों को जितना छिपा रहा है देश का उतना ही नुक़सान हो रहा है।।
- Mohammed Seemab Zaman, Syed Abid Naqvi साहबे, हम हमेशा कहा जो हुआ सही हुआ, इन के नसीब मे यही था। झूठे नारा से न कोई घर बना है, न समाज और न ही देश।पाकिस्तान के खॉन साहेब चीन 4 फरवरी जो जा रहे हैंऔर अभी से बहुत कुछ होने की बात अखबार मे छप रही है। मगर हम को नही लगता है कोई बात बाहर खूल कर आये गी। अभी GCC, ईरान, तुर्की के विदेश मंत्री गये तो कोई खबर बाहर नही आई।भारत की मिडिया मुकेश के जायदाद है, NDTV मे भी 500 करोड Reliance का है जो देश की सच्चाई को न बता कर गलत खबर देखाता रहता है। आज हम ने पहली बार मुकेश के मिडिया पर लिखा है।