19 March Post on FB
संघ की बीजेपी सरकार ने बंगाल चुनाव मे 7 मुस्लिम मर्द और महिला को बीजेपी से टिकट दिया है जिस पर Syed Imran Balkhi साहेब ने पोस्ट कर लिखा है क्या चितपावनी लोग इजिप्ट प्रस्थान करने की त्यारी मे लग गए?
बल्खी साहेब के पोस्ट और मेरी जो भी थोड़ी जानकारी मिस्र के पिरामिड से निकली तस्वीर या मूर्ती या वहॉ के भगवान और देवी की है तो हमे प्रतीत होता है कि निश्चित ही चितपावनी फिरौन के बाद वहॉ से सारे भगवान को देश मे लेकर आये और हजारो साल मे पूरे भारत मे छींट दिया।
मेरे ही पोसट पर Sanjay Nagtilak साहेब ने लिखा है “बुद्ध की मूर्तियां बनने के पहले बोधिवृक्ष (पीपल का वृक्ष ), बुद्ध के अस्थिधातू, स्तुप और धम्म चक्र की पूजा होती थी, बुद्ध के 200-250 साल बाद बुद्ध की मूर्तियां बनने लगी उसके बाद विहार, बुद्ध मंदिरों का निर्माण हुआ”
इजिप्ट के पुरातत्व के खोदाई मे जो मूर्ती निकली है वह गौतम बूद्ध के मूर्ती के तरह प्रतीत होती है। संजय साहेब का कहना के दो-ढाई सौ साल बाद बूद्ध की मूर्ती बनी तो चितपावनीय ने इस आकार की बनवा दिया। चूकिं चितपावनी लोग भारत आकर यहॉ जैन और बूद्ध घर्म का भी “आत्मसात्करण” (Assimilation) किया और करते रहे। बोध गया मे 700 AD मे बनी महाबोधि मंदिर के द्वार पर देवी-देवताओं की तस्वीर रखी मिलती है।
हम को तो इजिप्ट के Naked statute of God Metri की मूर्ती जो मात (Ma’at) के चार हजार साल पूराने (2345 BC) क़ब्र से मिली देख कर बहुत परिशानी हुई कही भगवान महावीर की मूर्ती उसी पर तो नही बनी। क्यकि बिहार के भगवान महावीर और गौतम बूद्घ आस-पास युग के थे। बिहार मे जैन बहुत कम हैं मगर गुजरात या विंध्याचल के नीचे बहुत हैं जहॉ चितपावनी मिस्र से आकर वसे।
नीचे तस्वीर मे इजिप्ट मे गाय देवी हाथुर (Goddess Hathor) के मंदिर के खंढर का पिलर आज हजारो साल बाद भी मौजूद है। दूसरी गाय की तसवीर रानी हूर (Hur) के क़ब्र के दिवार की है।