“हजारो साल की मिस्री सभ्यता, घर्म और धार्मिक प्रतीक, आज भी सुरक्षित है। वहॉ धार्मिक पुजारी के काम को बहुत अच्छा समझा जाता था और उन लोगो की समाज मे बहुत इज़्ज़त होती थी। उन लोगो को मंदिर मे पूजा करने के लिये पवित्र रहना पडता था। वह लोग दिन मे दो बार नहाते थे, बाल मुंडवा कर रखते थे और सूती कपडा (धोती) लपेटते थे और शेर का खाल भी पहनते थे”
छ: हजार साल से अधिक पुरानी (4500 BC) सोने का हरन पिरामिड से मिला है। सोने के हरन से मेरे यहॉ भी कहानी है। हमारी देवी सिता मैय्या का अपहरण और सोना का हरन की बात भी लगता है मिस्री सभ्यता मे रहा हो गा।
हमारे पुरातत्ववेत्ता मुकेश सिंह ने 26 लाख (2.6 million) साल पुराना पत्थर को चंगीगढ मे अफ्रिका से आया पता लगा लिया मगर हम लोग आज तक अपने भगवान के “जन्म स्थान” कहॉ है खोज नही पाये और फैसला हाई कोर्ट और सुप्रीम कोर्ट से ही करवा रहे हैं।
निचे कुछ मिस्र की तस्वीर देखें।अब हम को ऐसा लगता है कि सरकार और मुकेश सिंह को नेपाल या थाईलैंड के जन्म स्थान के दावे को गलत साबित करने के लिये मिस्र सरकार के पास जाना चाहिये।
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It symbolizes the place where the souls of the deceased are located.
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