FB Post of 16th November 2021
पिछले सप्ताह बिहार का मशहूर “छठ पर्व” हर्ष और उल्हास के साथ समाप्त हुआ।
कुछ दिन पहले पुरातत्वविदों ने मिस्र मे सूर्य मंदिर नयुसेरा (Nyuserra) की खोच की।कहा जाता है कि यह 2,400 और 2370 BC मे वहॉ के राजा ने भगवान सूर्य की मंदिर बनवाया था।
मिस्र के इतिहासकार कहते हैं कि मिस्र मे छ: (6) प्राचीन सूर्य मंदिर हैं जो सब मिट्टी से बने मगर यह मंदिर पत्थर से बना मिला है।यहॉ मिट्टी से बना बीयर (Beer) का बहुत सा घड़ा भी मिला है (लिंक कौमेंट मे पढे)। प्राचीन मिस्र की सभ्यता मे भगवान को पवित्र जल और बीयर चढ़ाया जाता था।
“फिरऔन” के मानी हैं “सूरज देवता की औलाद”। मिस्र के प्राचीन सभ्यता मे मिस्र के लोगो का सब से बडा भगवान सूरज था जिस को वह रॉ (رع) कहते थे।इस वजह कर जो शाही परिवार (वंश) सत्ता मे आता था वह अपने को सूर्य वंशी कहता था और उस का लक़ब #फिरऔन होता था।फिरऔन अपने को सूरज देवता के अवतार की हैसियत से बादशाहत करता था।
प्राचीन मिस्र के धर्म मे बहुत से भगवान, देवी, देवताओ की पूजा होती थी।दूसरे बडे भगवान शिव थे जिन की पत्नी सेकमेत थी।इतिहासकारों ने लिखा है वहॉ हजारो साल मे 700 भगवान, देवी और देवता पूजे जाते थे।
भारत मे मंदिर 700 AD के बाद बन्ना शुरू हुआ।कोणार्क का सूर्य मंदिर ओडिशा राज्य के पुरी शहर से लगभग 23 मील दूर चंद्रभागा नदी के तट पर 1265 मे वहॉ के राजा ने बनाया। यह मंदिर पूरी तरह से सूर्य भगवान को समर्पित किया गया है और वास्तुकला का एक बेहतरीन नमूना है।यह देश के दस बडे मंदिरों मे शूमार होता है।
इस पोस्ट को फिरऔन पर इक़बाल के एक मिसरा पर ख़त्म करते हैं,
“रहे हैं और हैं फिरऔन मेरी घात मे अब तक”