Facebook Post of 11-11-2020
कल रात सौ साल बाद रूस के बोल्शेविक और स्टैलिन का सेंटरल ऐशिया के देशो मे फैलाया हुआ कोढ अरमेनिया के सेना द्वारा नगोरनो कराबाख मे सरेंडर करने से ख़त्म हुआ।
1920 के बाद रूस ने नगोरनो कराबाख मे आरमेनिया लोगो को बसाया ताकि तुर्की नस्ल के अज़री लोगो की आबादी को ख़त्म कर पूरी क़ौम को मायूस रखा जाये।सोवियत संघ के 1990 मे टूटने के बाद भी रूस ने अरमेनिया को नगोरनो कराबाख कब्जा करवा दिया ताकि आईजरबाईजान-इरान-तुर्की-अरमेनिया मे झगडा बना रहे।
अरमेनिया पहला करिसचन किंगडम (4th AD) दूनिया मे बना।यह 400 साल (19 सदी तक) तुर्की के हुक्मरानी मे रहा। अभी इस की आबादी 30 लाख है और 60 लाख लोग बाहर यूरोप, अमेरिका, ईरान, तुर्की मे हैं।
कल रात 6 हफ्ता से चल रही लडाई को रूस के राष्ट्रपति पुटिन ने आईजरबाईजान और आरमेनिया के बीच शांति समझौता कराया जिस मे लडाई बंद हो गई। अगले छ: (6) महीना मे आरमेनिया नगोरनो काराबाख का बाकी बचा हिस्सा (हरा हिस्सा) आईजरबाईजान को लौटा दे गा।
Lachin corridor पर आईजरबाईजान की फौज रहे गी और उस के देख रेख मे अरमेनिया की फौज वापस जाये गी। जो अरमेनिया के लोग जो काराबाख मे हैं, वह वही रहें गे।
इस लडाई मे तुर्की ने रूस के साथ मिल कर यह साबित कर दिया कि तुर्की ऐशिया के इस हिस्से मे और मेडिटेरेनियन मे एक नई ताकत बन गया है। 2000 रूसी शांति सेना और कुछ तुर्की की फौज पॉच साल तक नगोरनो कराबाख मे रहे गी।
इस कोरोना मे किसी मूल्क को दुनिया मे फायदा हुआ है तो वह केवल तुर्की है।आज यूऐई के विदेशमंत्री ने कहा है कि यूऐई तुर्की और ईरान से कोई मोक़ाबला या विरोध करना नही चाहता है और मिल जुल कर रहना चाहता है।