आज अरदोगान ने फ्रांस के राष्ट्रपति मैकरौन को कहा है यह अपने दिमाग का ऐलाज कराये क्योकि इसलामोभोबिया से यह भरे पडे हैं जब के इन के मूल्क मे 50 लाख से ज्यादा मुस्लिम रहते हैं।अरदोगान ने कहा मैकरौन ने 2016 मे हमारे खेलाफ आर्मी बग़ावत को भी सपोर्ट किया था और आज आजरबाईजान की लडाई के भी ज़िम्मेदार यही हैं। फ्रांस 28 साल से इस मामला को उलझा कर रखे हुआ है।

मैकरौन ने अपना एम्बेसेडर तुर्की से वापिस बूला लिया। मगर इमबैसी बंद नही किया। अरदोगान ने कहा मैकरौन अपने मूल्क के लिये अच्छा नही कर रहे हैं।जोर्डन, कुवैत और क़तर ने फ्रांस के सामान को दूकान से हटाना शुरू कर दिया और उमीद है कि अफ्रिका और दूसरे मूल्क भी फ्रांस के सामान का बाईकाट करे गे।

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अरमेनिया के अमेरिकन नागरिकों ने 1970-80 के दशक मे तुर्की के राजदूत, पत्नी, बच्चों को पेरिस, लिसबन, सिडनी मे आतंकी हमला कर के मारा था। पेरिस और सिडनी के आतंकी का आज तक पता नही चला मगर जब पेरिस के ऐयरपोर्ट को अरमेनियाई आतंकियों ने 1984 मे बम से उडाया तो एक पकड़ा गया और उस को सजा हुई।

आरमेनिया जब औटोमन साम्राज्य से 1918 मे निकला तो रूस ने कब्जा कर लिया और 1992 तक रूस के कब्जा मे रहा और अमेरिका आरमेनिया के लोगो को अपने यहॉ नागरिकता देता रहा। आज कुछ शहर मे यह अच्छे खासे हैं, यही कारण है कि पौम्पिव दोनो के विदेशमंत्री को बोला कर युद्धविराम कराना चाह रहे हैं।

फ्रांस, तुर्की, अमेरिका को डर है कि फिर अरमेनिया के लोग आतंकी हमला न करें। मगर मेरा मानना है कि यह लोग कुछ नही करे गें और अगर किया तो यह लोग हर जगह से निकाले जाये गें। कोरोना महामारी ने सब के दिमाग़ को ठंडा कर दिया है और यूरोप के मूल्को मे सरकार के खेलाफ जलूस निकलना शुरू हो गया है।

Facebook Post of 24 October 2020