28 May 2022 Post shared 309 times.
यह हमारे सीतापुर के बजरंग मुनि महाराज हैं जिन को मक्का मदीना मे शिवलिंग नज़र आ रहा है मगर मिस्र मे जहॉ शिव की मूर्ती 7,000-4,000 साल पूराने मंदिर मे है, उस की पूजा मिस्र मे करने या शिवलिंग पर जल चढ़ाने मुनि महाराज नही जा रहे हैं।
#निचे तस्वीर देखें मुनि महाराज, मिस्र के इडफू मंदिर (Edfu) मे शिव और उन की पत्नी सेखमेत (Sekhmet) की मूर्ती हज़ारो साल बाद भी नज़र आ रही है।वहॉ शिव के हाथ मे त्रिशूल (आकार कुछ दूसरा था मगर Trident था) भी है।मेरे पोस्ट पर एक विडिव है, मुनि महाराज तथा वकील और जज साहेबान लोग देख कर मिस्र प्रस्थान करें।
#लक्ज़र के मंदिर मे बाहर ही शिवलिंग है वहॉ जा कर मुनि महाराज जल चढ़ाये और फिर मक्का और मदीना का दावा ठोंकें गें।
#तीसरी तस्वीर किंग तूतनखामून की है जो शिव जी की पत्नी और शेर के शक्ल के भगवान पताह (Ptah) के बीच खडे हैं।यह तस्वीर तूतनखामून के पिरामिड जो 3,500 साल पूराना है वहॉ आज भी नज़र आ रहा है। तूतनखामून ने 1332-23 BC मिस्र के 7,000 साल पूराने धर्म शिव पूजन को पुन: जीवित किया था जो उन के पिता जी ने ख़त्म कर दिया था।
अफसोस होता है हमारे स्वयं सेवक संध के लोग मिस्र जा कर शोध नही करते हैं ताकि प्राचीन धर्म के शिव भगवान, शेषनाग, कमल या 7,000 साल पूरानी मंदिर पर पुन: दावा ठोक कर पूजा शुरू करे मगर स्पेन संघ के लोगो को भेज कर शोध करते हैं कि वहॉ मुस्लिम कैसे ख़त्म हुऐ।
#नोट: ज्ञानवापी पर शोध कर फैसला देने या अंतर्राष्ट्रीय अदालत मे जाने के पहले भारतीय अदालत के वकील और जज साहेबान मिस्र की यात्रा कर शोध करें फिर वापस आकर ज्ञानवापी मे शिवलिंग, शेषनाग या कमल की पूजा करवाने का आदेश दें।
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Some comments on the Post
इस पोस्ट को खुब शेयर किजीये ताकि न्यायालय के वकील और जज साहेब, मिस्र और मेसोपोटामिया जाकर शोध करें के कौन कहॉ से आया और कौन कौन भगवान, देवी तथा देवता को ले कर आया।
भारत मे कोई भी स्नातन धर्म का मंदिर आप को 728 AD के पहले का नही मिले गा और न किसी भगवान की मूर्ती हजारो साल पूरानी मिले गा। ज़रूरत है शोध करने का ताकि दंगा फ़साद ख़त्म हो और भारत मे हम सब बाहर से आये लोग सुख शांति से रहें।