Post of 13th July 2021
अमेरिका के राषट्रपति बराक ओबामा (2009-2016) एक काला “विदेश-द्वेष से भरा नस्ल परस्त” (xenophobic, racist) नेता था जो हिन्दु देश भारत, मुस्लिम देश ईरान और सिरिया बरबाद कर के चला गया।
ओबामा ने भारत को बरबाद करने के लिये दक्षिणपंथी सोच वाले संघ की सरकार बनवा कर, आजादी के बाद नेहरू-इन्दिरा गॉधी द्वारा बनाये दुनिया मे भारत की इज़्जत और पहचान को अगले 20-30 साल के लिये खतम कर के गया। पूरी दुनिया मे भारत को अछूत बना कर रख दिया।जैसे जैसे वक्त गुज़रे गा हमारे बहुसंखयक को यह बात समझ मे आये गी कि 26 जनवरी 2015 भारत का एक एतिहासिक बरबादी का दिन ओबामा ने बना दिया।
ओबामा ने 2011 मे अरब सप्रिंग करा कर मिडिल इस्ट को बरबाद करना चाहा मगर सब सँभल गये मगर सिरिया बरबाद हो गया। 14 जुलाई 2015 को विएना मे ईरान के साथ न्यूक्लिअर समझौता (JCPOA) कर के 2030 तक उलझा कर ईरान को बरबाद कर दिया।
15 जुलाई 2016 को ओबामा-बाईडेन ने आतंकी फेतुल्लाह गुलान (FETO) द्वारा तुर्की मे आर्मी कू कराया मगर अरदोगान ने कू को असफल कर दिया और फिर सिरिया मे ओबामा को धूल चटवा दिया। बाद मे रूस और ट्र्म्प से बेहतरीन कूटनीति (diplomacy) कर मेडिटेरेनियन मे अपनी बाऊंडरी बना लिया।लिबिया, टूनिशिया, सुडान, माली, चाड, निजेर, अलजेरिया, आईजरबाईजान मे सौ साल बाद फौज के छोटे-बडे पहचान या अड्डा बना लिये। अरदोगान अभी बेहतरीन कूटनीति कर के आतंकी बाईडेन और दूसरे देश को अफगानिस्तान मे तालेबान से धूल चटवा रहे हैं।
1979 के बाद ईरान के नेता लोग अपने को बौद्धिक क्षत्रीय मुस्लिम संघीतकार समझने लगे और हर जगह अफगानिस्तान-पाकिस्तान से लेकर इराक, सिरिया, यमन, लेबनान, अफ्रिका वगैरह मे परौक्सी (proxy) करने लगे। मिडिल इस्ट, यूरोप और अमेरिका का ईरान पर विश्वास (faith) ख़त्म हो गया।
ईरान के रूहानी और जवाद ज़रीफ न्यूक्लिअर डील पर बात करते रहे तो दूसरी तरफ संघी जेनरल सुलेमानी इराक़, यमन, सिरिया, लेबनान मे धमाका करवाते रहे।ओबामा ने JCPOA मे जाल बून कर ईरान को फँसा दिया। ओबामा जानता था कि दूसरा अमेरिकी राष्ट्रपति इस को मिडिल इस्ट के दबाव मे नही माने गा। वही हुआ 2018 मे ट्र्म्प नही माने।
अब नये राष्ट्रपति रईसी को सैंगशन्स और कोविड से बरबाद अर्थव्यवस्था विरासत मे मिली है। मेरा मान्ना है रईसी मिडिल इस्ट से समझौता करे गें ताकि तीस साल से ईरान का frozen assets release हो और sanctions में कुछ छूट मिले मगर इन को JCPOA re-negotiate करना ही होगा।दुनिया को ट्र्म्प बदल कर चले गये, ईरान को अपने संघी सोंच को बदलना हो गा, वरना दुनिया ईरान को भी भारत के तरह अछूत बना दे गी।