Post of 23 February 2025

BBC HINDI के साप्ताहिक कार्यक्रम ‘द लेंस’ मे कलेक्टिव न्यूज़रूम के डायरेक्टर ऑफ़ जर्नलिज़्म मुकेश शर्मा लिखते हैं कि “ट्रम्प के फ़ैसलों ने क्या भारत को अमेरिका और अरब जगत के बीच उलझा दिया है?”

डायरेक्टर ऑफ जर्नलिज्म शर्मा जी #अंधभक्त वाला हेडलाइन और तीन तस्वीर दे कर लिखते हैं कि ‘बीते हफ़्ते हुई घटनाओं ने वैश्विक परिदृश्य में कई महत्वपूर्ण बदलावों के संकेत दिए हैं।” शर्मा जी अब तक यह समझने की कोशिश ही कर रहे हैं कि दुनिया में हो क्या रहा है?

अपने लम्बे चौड़े लेख मे लिखते हैं कि भारत के नज़रिए से देखें तो प्रधानमंत्री हाल ही में फ्रांस होते हुए अमेरिका पहुंचे थे और फिर भारत लौटने के बाद क़तर के अमीर शेख़ तमीम ने भारत का दौरा किया, क्योंकि पिछले साल फ़रवरी में भारत ने क़तर से $78 billion का गैस 20 साल 2048 तक आयात करने के संधि पर जासूसी आरोप के बाद हस्ताक्षर किया है। अब अगर भारत प्राकृतिक गैस के लिए अमेरिका की ओर रुख़ करता है, तो इससे क़तर को चिंता हो सकती है।

इस शर्मा जी को पता ही नहीं है कि क़तर, अज़रबाइजान और रूस दुनिया का सब से बड़ा गैस उत्पादक देश है और क़तर OPEC+ के तरह 19 सदस्यों वाला गैस उत्पादक समूह GECF बना कर दुनिया के गैस पर राज कर रहा है।

पूरा लेख पढ़िये गा तो पता चले गा कि बीबीसी हिन्दी के जर्नलिस्ट मुकेश शर्मा खबर को Mixed कर के संघी नेरेटिव बना कर बहुसंख्यक समाज को गुमराह कर रहे हैं। हेडलाइन कुछ और है और खबर कुछ और होता है।

मेरा कहना है कि ट्रम्प के डर से भारत अगर अमेरिका से तेल और गैस ख़रीदे गा तो वह क़तर से बहुत ज़्यादा महंगा पड़े गा क्योंकि भारत से अमेरिका 12,000 km दूर है और बीमा तथा कंटेनर की क़ीमत ज़्यादा भुगतान करना पड़े गा। दूसरे अमेरिका का तेल इतना गंदा है कि अमेरिका अपने यहॉ खुद उस को refine नही करता है, दूसरे को ज़बरदस्ती बेचता है और बेच रहा है।

#नोट: शर्मा जी को यह पता ही नहीं है कि WWII के बाद पिछले दस साल में दुनिया बहुत तेज़ी से बदली है मगर यह अभी “समझने” की ही कोशिश कर रहे हैं। मेरा कहना है कि शर्मा जी ट्रम्प उथल-पथल मचा कर इस बदली दुनिया मे अमेरिका को यूरोप और मिडिल ईस्ट मे Re-adjust कर रहे हैं। यही वजह है कि यूक्रेन के लिए पुटिन-ट्रम्प समिट रेयाद में हो रहा है और तालिबान-अमेरिका या इसराइल-प्रतिरोधी ताक़तों के समझौता क़तर करवा रहा है।सौ साल पहले यह सब काम बर्लिन कांफ्रेंस (1886) या लीग ऑफ नेशन या स्विट्जरलैंड में होता था।

शर्मा जी से अनुरोध है कि विश्व राजनीति की जानकारी रखिये और फिर कोई लेख या प्रोग्राम बीबीसी हिन्दी पर लिखये या किजये। BBC के image को ख़राब नहीं किजये क्योंकि यह अंतरराष्ट्रीय न्यूज़ पोर्टल है।

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