Post of 14th December 2022

उत्तर भारत (उप्र+बिहार+झारखंड) जिस की आबादी 36 करोड है जो भारत की एक तेहाई आबादी है, उस का हश्र देखये आजादी के 75 साल बाद डाईमंड जुबली मे 5 किलो चावल पर वोट देता है।झारखण्ड को राज्य बने बीस साल हो गया मगर आज तक “खान और खनिज” का राजधानी नही बन सका और न टाटा ने कोई नई फैक्ट्री खोला।

उत्तर प्रदेश जो सब से बडा प्रदेश है वहॉ के नेता लाल टोपी वाले समाजवादी मोलायम सिंह जो बिना तिलाक़ लिये या दिये हेमा मालिनी के तरह दो बीवी रखते हैं, रज्जु भैया को घर मे सोलाते थे, बाबरी कॉड वाले कलयाण सिंह को समाजवादी टिकट देकर चुनाव लडवाते थे; मायावती जो पॉच साल मे कमरा मे बंद है सूरज नही देखा यह लोग समाज और देश की सीमा पर हल चल के बरबादी को नही रोक सकता है।यह लोग ज़ात-पात की पार्टी है, यह लोग स्वार्थी, बिना सिद्धान्त वाला नेता है।उर्दु नाम वाले अगर देश से मोहब्बत है तो इन लोगो का साथ छोडये अपनी क़यादत पैदा किजये।

उत्तर प्रदेश मे चुनाव मे कैंडिडेट का नाम पार्टी रिलिज करने लगी। उर्दु नाम वाली पढ़ी लिखी औरत सदफ जाफर को सेन्ट्रल लखनऊ से कांग्रेस का टिकट मिला है।इन्होने NRC के खेलाफ बहुत बडी लडाई लड़ी थी और बहुत अच्छा बोलती हैं।लखनऊ के उर्दु नाम वालो सब लोग एक जुट हो कर सदफ को वोट दें।10-20 साल मे अपना पढा लिखा, समाज सेवा करने वाला क़यादत पैदा करे न की ड्राईंग रूम नेता पैदा करें जो मोलायम सिंह या मायावती के पिछे चले।

हम चाहे गे सोशल मिडिया पर उर्दु नाम वाले चुनाव पर चुप रहें, कुछ नही लिखें। सिर्फ हर विधान सभा क्षेत्र के उर्दु नाम वाले सब उमीदवार का नाम, तालीम, समाज सेवा तथा कोई खास कारनामा हो उस को पोस्ट करें और लोगो तक संदेश पहुँचाए। चुनाव के दो तीन दिन पहले एक आदमी को चुन कर सब को वोट करने की अपील करें। जितने हारने की प्रवाह नही करें।

उत्तर प्रदेश की गंदी “मंडल-कमंडल” राजनीति के कारण देश का बहुत बूरा हाल हो गया है, मेरा पड़ोसी चीन महाशक्ति हो गया।यही मौका है उर्दु क़यादत पैदा कर 10-20 साल बाद मादरे वतन की ख़िदमत करें। जय हिन्द।

Vote for Sadaf Jafar

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Some comments on the Post

Mohammed Seemab Zaman यह नही है मोलायम सिंह यादव उप्र के पहले सिद्धांतहिन नेता है, इन के पहले भी बहुत समाजवादी लोग गुजर चूके हैं जो कोख और गोद का खेल खेलते थे। उर्दु सब से पहले आजादी के बाद उप्र मे ब्राहमण मुख्यमंत्री ने ख़त्म किया नतीजा यह हुआ मोलायम सिंह हो या राजनाथ सिंह उप्र को “उत्तर प्रदेस” बोलते हैं। आज तक आधी से जयादा आबादी सही हिन्दी नही बोलती है, यह क्या संस्कृत मे सही पाठ पढ कर पूजा करे गा। सब ब्राह्मण के बराबरी मे ही लगा रहता है मगर सही से रामायण नही पढ सकता है।

  • ActiveAnsar Ahmad सर् हेमा मालिनी की जगह धर्मेंद्र edit कर दीजिए.
  • Mohammed Seemab Zaman, Ansar Ahmad साहेब, हम जान कर लिखते हैं। हेमा मालिनी की दो बीवी।हेमा मालिनी बीजेपी की सांसद हैं मगर शौहर दो औरत रखे है।

Sarfaraz Nazeer बिल्कुल सही तजवीज़

  • Mohammed Seemab Zaman हम यही कह रहे हैं। हार जीत या दरी बिछाना छोड़ो। अपनी अच्छी क़यादत पैदा करो। गोलाम नबी आज़ाद के तरह ड्राईंग रूम के नेता बन कर कशमीर को बरबाद नही करो। नेता बनो तो क़ौम के लिए कुछ करो वरना चुप चुप अपना काम धंधा करो और बाल बच्चा पोसो। क्या मोलायम या मायावती के पिछे चल कर पौलिटिकस करना ज़रूरी है?
  • Sarfaraz NazeerMohammed Seemab Zaman एकदम सही बात है सर
  • Mohd Kamran, सर जी ये बात कहाँ समझ आ रही उर्दू नाम वालों को उनका तो मानना है अगर बीजेपी दोबारा सत्ता में आ गयी तो उनकी नागरिकता छिन जाएगी वोटों अधिकार भी ख़त्म कर दिया जायेगा इसलिए अखिलेश को जिताओ.
  • Mohammed Seemab Zaman, Mohd Kamran साहेब, वह सब बेवक़ूफ़ हैं।

Mohd Ahmed Unnao aur lucknow inke saamne secular partiyo ko candidate nhi khdaa krna chaiye

  • Mohammed Seemab Zaman जहॉ पहले चरण मे उर्दु नाम वाला सिर्फ उर्दु कैंडिडेट को वोट देगा उसी दिन यह SP, BSP, Congress, NCP का सेकुलर पोल खुल जाये गा और सातवें चरण तक सब का दिमाग़ ठंडा हो जाये गा। आने दिजये “वन्स मोर शहजादा सलीम…”

Arham Zuberi बिल्कुल सही, 80 विधायक चुनकर भेजें मुस्लिम इस बार, पार्टी कोई भी हो .?

  • Mohammed Seemab Zaman विधायक तो मुलायम सिंह यादव के सैकडो है मगर क्या यह लोग उत्तर भारत को दुबई या शंघाई बना दिया? क्या इन का कोई नेता विदेश मे जा कर एक पैसा उप्र मे निवेश लाया? रोड बनाया तो World Bank के लोन से, वह भी केन्द्र सरकार लोन चुकाये गी।उर्दू नाम वाले इस चुनाव से नेता पैदा करें। बहुत से नेता इस चुनाव के बाद ख़त्म हो जाये गे। कम से कम दो-तीन चुनाव बाद दो चार नेता निकले गा।

Saurabh Prasad सदफ जफर को सपा या बसपा क्यों टिकट नहीं दिया ये सोचनीय है

  • Mohammed Seemab Zaman क्यो नही दिया, यह तो आप लोग उन से पूछये। यह दोनो तो तीन तिलाक पर कुछ नही बोला क्यो नही बोला यही तो हम लिख रहे हैं।
  • Ashutosh Chandra Thakur,  इन दोनों का स्टैंड एनआरसी, धारा 370 , मंदिर कहीं भी क्लियर नही है. मुखर हो के विरोध बस कांग्रेस ने किया है.

Khursheeid Ahmad सर अफसोस हम अवाम चाहें भी तो कुछ नहीं कर सकते हमारे पास कियादत करने लायक़ व सब को साथ लेकर चलने लायक़ लोग नहीं हैंओवैसी साहब से बहुत उम्मीदें थीं इस बार उनकी पार्टी दस से पंद्रह सीट ला सकती थी जो एक बेहतरीन शुरुआत होतीपर उन्होंने मायूस किया है वही सोलह सत्रह साल के लड़कों की तरह दरी बिछाने और कांग्रेस व समाजवादी पार्टी पर हमला करने के एक भी संजीदा तकरीर उनके नाम पर नहीं हैजिस में मुसलमानों से अपील की जाती है कि जहां हम इलेक्शन लड़ रहे हैं वहां हमें वोट दे कर जिताइए बाकी जगह जिसे मुनासिब समझें वोट देंउत्तर प्रदेश के मुस्लमान भाजपा को हराने के बोझ तले दबे हैं वही ओवैसी साहब समाजवादी को हराने के बोझ तले दबे हुए हैंजब तक मुस्लिम अवाम और ओवैसी साहब अपने अपने बोझ को उतार कर अपने बारे में नहीं सोचेंगे कुछ होने वाला नहीं है.

  • Kamil Khan, Khursheeid Ahmad इन्ही झाड़ झंकार के बीच से रास्ता निकलेगा.
  • Zeeshan Ahmad, Khursheeid Ahmad आपने ओवैसी साहब को कितनी बार वोट दिया है जो आपको मायूस होना पड़ा है बड़े भाई
  • Asif Khan, Khursheeid Ahmad जी ओवैशी साहब को दूसरी पार्टी के मुस्लिम उम्मीदवार के सामने अपने केन्डिडेट नही खड़े करना चाहिए।।ओवैशी वही से लड़े जहा से गैर मुस्लिम लड़ रहा है।।ऐसे में कौम को ज़्यादा MLA मिल सकते है।

Mohd Afzal लखनऊ में सदफ जाफर जी को और आजमगढ़ में Rajeev Yadav भाई को मेरा समर्थन है, राजीव यादव भाई पीड़ितों की आवाज बनते आये हैं दशकों से

  • Aadil HussainMohd Afzal देखते हैं जनता को अपनी आवाज़ चाहिए या फिर गुलामी खून में समा गई??
  • Mohd Afzal,Aadil Hussain जनादेश सर्वोपरि होता है.

मियाँ भाई साहब आपकी बात हम एक एक बंदा जो यूपी का मिलता है फुरसत से समझाते है जैसे आपने लिखा हैवो शकल को देखते है हमारी ये ड्राइवर इतनी गहरी बात कैसे कर रहा हैऔर लोग खुश भी होते के होना ऐसा ही चाहिएकयादत मजबूत करोदूसरे के झंडे उठाने से कोई फायदा नही होने वाला

  • Mohammed Seemab Zaman, मियाँ भाई साहेब, शुक्रिया। सब को समझाईये कि यह बेहतरीन मौका मिला है, इस चुनाव से यह काम शुरू करे। हम लोगो ने सब को देख लिया, न कोई उत्तर प्रदेश का हुआ और न ही मेरा। अगले दस साल बाद यही उर्दु नाम वाले देश के काम आयें गे, दुनिया और एशिया बहुत तेज़ी से बदली है। आप ड्राईवर है, भारत 80% उर्जा विदेश से ख़रीदता है, उर्दु नाम वाले ही बाहर जाकर देश का image बनाये गें। देख रहे हैं न चीन तेल और गैस के लिये GCC, तुर्की, ईरान के विदेश मंत्री के सामने डंडवत है।

Md Iqbal वैसे तो मैं सदफ जाफ़र साहिबा को सपोर्ट करूंगा लेकिन मुझे लगता है के आप ने अपनी क़ायदत का मतलब नही समझा हैअपनी क़यादत का जो नारा चलता है उसका मतलब होता है अपनी पॉलिटकल पार्टी क्योंकि मुस्लिम नेता चाहे जितना भी अच्छा हो वो कांग्रेस सपा या बसपा में रहकर मुसलमानो के किसी काम का नही रह जाता है क्योंकि पोलोटिकल पार्टियां उन्हें मुसलमानो के लिए बोलने या करने की परमिशन नही देती हैइसलिए सदफ जाफ़र साहिब अगर एमएलए बन भी जाती हैं तो उससे मुसलमानो को कोई फायदा नही पहुचने वाला कांग्रेस मुसलमानो के लिए कुछ करने नही देगीसेक्युलर पार्टियों में मौजूद अगर कोई मुस्लिम नेता मुसलमानो के लिए कुछ करता है तो उसे साइड लगा दिया जाता हैकांग्रेस के ही एक बड़े सीनियर लीडर थे जिनका अब्दुर्रहमान अंतुले था वो महाराष्ट्र में में मुख्यमंत्री भी रह चुके हैं लेकिन जब मनमोहन सराकर में सन 2008 में उन्होंने मुस्लिम नौजवानों को आतंकवाद फ़र्ज़ी केस में फँसाये जाने की बात उठाई तो उन्हें पार्टी में साइड लगा दिया गया और उसके बाद उन्हें कोई भी पब्लिक बयान देने पर पाबंदी लगा दी गयीइसलिए मुस्लिम लीडर मुसलमान के काम तभी आ सकता है जब वो किसी मुस्लिम पोलिटिकल पार्टी से एमएलए बना हो क्योंकि दूसरी सेक्युलर पार्टी में मुस्लिम लीडर की हैसियत सिर्फ हाथी के दिखाने वाले दांत जैसी होती है उन्हें कुछ करने की आज़ादी नही होती हैइसलिए आपको अपनी क़यादत का कॉन्सेट सही करने की ज़रूरत है अपनी क़यादत का मतलब अपनी पोलिटिकल पार्टी होता है

  • Mohammed Seemab Zaman, Md Iqbal साहेब, पहले लिडर पैदा किजये गा अंतूले की तरह तब न पार्टी बने गी। शिव सेना को अंतूले ने उभारा। अंतूले के वक्त मे मुम्बई एशिया का Financial Centre था, अरब वहॉ चप्पल रगड़ते आते थे। मगर अब हॉंगकॉग, दुबई और शंघाई हो गया है। यह 21वी सदी है, बहुत कुछ बदल गया है और बदले गा।
  • ActiveMd Iqbal,Mohammed Seemab Zaman अरे सर जी मुम्बई एशिया का फाइनेंसियल कैपिटल हो जाए या पूरे ब्रह्मांड का कैपिटल हो जाए उससे मुसलमानो को क्या फ़र्क़ पड़ने वाला जब मुसलमान का उससे कोई फायदा ही न होआज इंडिया आईटी के क्षेत्र में बहुत आगे है लेकिन उसका मुसलमानो को कोई फायदा नही पहुंचा क्योंकि जब इंडिया आईटी में आगे बढ़ रहा था तब कांग्रेस की सरकार ने आतंकवाद के फर्जी इल्ज़ाम में हज़ारो इंजीनियर और डॉक्टर मुस्लिम नौजवनाओ को जेल में ठूंस दिया और मुसलमानो की पूरी एक एक नस्ल को तबाह कर दिया है जिसकी वजह से आईटी में मुसलमानो का प्रेजेंस वैसा नही है जैसा होना चाहिए थाअब इंडिया आईटी में पूरे यूनिवर्स का भी कैपिटल बन जाए तो उससे मुसलमानो का क्या फ़ायदाहम ऐसी महानता पर सीना चौड़ा करके घूमे ?? जबकि हमारे पेट खाली हैं, हमारे तन पर कपड़ा नही है और हमारे सर पर छत नही है तो इस कैपिटल का हम क्या करें ??
  • Sirajuddin-jainul Khan, Mohammed Seemab Zaman जवाब नही सर आपकी यादस्त का 100 प्रेसेंट सच बात.

Rahul Pratap Singh आप का स्तर बहुत गिरता जा रहा है सर ।मुलायम सिंह दो दो बीबियाँ नहीं रखते हैं । पहली बीबी के मरने के बाद दूसरी शादी की थी और दूसरी बीबी और उनके पहले पति से हुए बच्चे को कानूनी रूप से अपनाया था । पहली बीबी की डेथ 2007 में हुई थी ,उनका मानसिक स्तर ठीक नहीं रहता था ,वो सैफई से बाहर नहीं निकलती थीं । मुलायम सिंह और अखिलेश दोनो चाहते थे कि वो लखनऊ रहें ,लेकिन वो नही जाती थीं । रही बात उनके सही से बोलने की तो पुराने वीडियो देखिये ,बिल्कुल सही उच्चारण करते थे।आज उम्र का असर है.

  • Mohammed Seemab Zaman, Rahul Pratap Singh साहेब, किस ने कह दिया पहली बीवी के रहते दूसरी के साथ नही रहे। यह जब मुख्य मंत्री बने थे तो उस के घर मे जा कर रहते थे। मोलायम सिंह जिन्दा है जा कर पूछ लिजये।अखिलेश की मॉ बाद मे मरी हैं। यह अन्तरराष्ट्रीय चैनल पर एक बहुत बडे पत्रकार ने कहा है तब हम लिखते हैं।
  • Rahul Pratap Singh, Mohammed Seemab Zaman जो बात पड़ोस की होती है उसके लिये देश से बाहर क्या जाना । जिन सदफ जफर के लिये आपने पोस्ट लिखी है उनकी जमानत उस लॉयर पैनल ने करवाई थी जिसको अखिलेश यादव ने बनवाया था और इस बात के लिये किसी अंतरराष्ट्रीय पत्रकार की जरूरत नहीं पड़ेगी , लखनऊ का कोई भी मुस्लिम पत्रकार बता देगा.
  • Mohd Chaudhary, Rahul Pratap Singh मेरे ख्याल से स्तर तो अखिलेश का गिरता जा रहा है जो ख्याली पुलाव में उन लोगो को इग्नोर कर रहे हैं जिनकी बदौलत राजनीतिक सत्ता इनके परिवार को मिली और न जाने कौन कौन से कुतर्क गढ़ लेते हैं खुद को जस्टिफाई करने के लिए । अब जब लोग सवाल पूछ रहे हैं तो उसपर जवाब देने के बदले आप अलग ही राग अलाप रहे हैं और पोस्ट की मूल को अनदेखा कर रहे हैं । कोई बात नही ये गफलत अक्सर उन परिंदों के साथ हो जाती है जो ये भूल जाते हैं घोसला तो जमीन पर ही है आसमान में नही.

Jamshed Jamshed इस पोस्ट के हर एक।लफ़्ज़ से पूरी तरह एग्री…आपने एक बेहतरीन स्ट्रेटेजी बताई है…ये हिकमते अमली वाक़ई आने वक़्त में उर्दू नाम वालों के लिए नायाब रिज़ल्ट देगी…

  • Mohammed Seemab Zaman, Jamshed Jamshed साहेब, यही सही वक्त है।इसी वक्त यह हिकमत अमली ऐख्तयार करें उर्दु नाम वाले। खुदा का शुक्र करें यह वक्त सत्तर साल मे बहुत आसानी से उर्दु नाम वालो को मिल गया। इस को रायगना न करे, बडा प्रदेश, 403 सीट है, यह एक trend set कर दे गा।
  • Jamshed Jamshed, भाईजान बिलकुल आपकी ये बात अमल में उतार ली…

Shadan Ahmad Bjp jeet jayegi .

  • Ansar Ahmad, Shadan Ahmad जिसने bjp को वोट देकर जिताया हराने की ज़िम्मेदारी उसकि है भाजपा को हराने की ज़िम्मेदारी हमारी कबसे हो गयी.

चौधरी सर आपकी बात से पूरी तरह सहमत है सवाल यह भी है कि क्या कांग्रेस ने आर एस एस को नहीं पाला.

  • Ansar Ahmad, चौधरी सर सिख कोम 84 भूलकर वापस आ गयी सिख भाइयो हमे सीखना चाहिए कैसे नकेल डालकर कांग्रेस को चला रहे.
  • चौधरी सर रही बात भूलने वाली जहां पर भी कोई क्षेत्रीय दल नहीं है वहां आज भी कॉन्ग्रेस केवल मुसलमानों के दम पर ही टिकी है.
  • चौधरी सर, Ansar Ahmad सिखों और मुसलमानों के मुद्दे को लेकर बहुत अंतर है.

عبد الحسیب पढ़ा लिखा उम्मीदवार अगर जीतता है तो क़ौम के हक़ में आवाज बुलंद करेगा , देश हित की बात करेगा , नफरती फिरकापरस्त ताकतों से इल्म के रौशनी में लड़ेगा / बात करेगा , इस लिए पार्टी न देख कर काबलियत देखते हुए अपनी कयादत को मजबूत करना होगा ,ऐहसास कमतरी से लोगो को बाहर निकलना होगा , किसी पार्टी को हराने का जिम्मा अपने सर से उतारना होगा , जीसने देश की बर्बादी में वोटिंग के जरिए नफरती फिरकापरस्त ताकतों को जिताया है हराने का जिमेदारी भी उसके सर पर रखते हुए आगे बढ़ना होगा ,तभी देश और समाज का भला होगा.

Tanvir Khan फ़ेसबुक के उर्दू नाम वाले सेलेब्रिटीज़ को यह कब समझ आएगा की उत्तरप्रदेश का >95% से ज़्यादा मुस्लिम सोशियल मीडिया और ख़ासतौर से facebook नहीं खोलता, वोह ट्रेंड देखकर वोट करता है, इसलिए आपस मे लड़ने भिड़ने के बदले अपनी क़यादत खड़ी करें और ज़मीनी लेवल पर काम करके उनके हक़ में ट्रेंड बनाएं!उर्दू नाम वाले किसी भी जुम्मन उम्मीदवार को वोट नहीं दें, यह जुम्मन सिर्फ़ अपना पेट भरते हैं, मायावती, मुलायम, कॉंग्रेस के सामने दरी बिछाने और जवानी कुर्बान करने वाले यह लोग कभी क़ौम के लिए काम नहीं करते, ऐसे नाम निहाद लीडरों को तर्क करें.

Faiz Ali Sabzwari सहमत पर सर ऐसा होना मुश्किल है क्योंकि उत्तर प्रदेश,बिहार और झारखंड तीनों जगह मुसलमानो में बिरादरवाद है हालांकि इस समस्या को फिलहाल कुछ ही सीटों पर देखा गया है।दूसरी समस्या है की चुनाव निगम पार्षद का हो या विधायक का 4-5 मुस्लिम प्रत्याशी उतर जाते हैं और एक दूसरे का वोट काटके आसानी से भाजपा को जिता देते हैं।जहां जहां मुस्लिम आबादी अधिक है वहां अक्सर भाजपा ही जीतती है चाहे वो मेरठ हो या सहारनपुर हो हर जगह यही समस्या है।जब तक स्वार्थ नही त्यागते तब तक अपनी कयादत को सफल बनाना मुश्किल है।

Shawez N Khan सर मेरी तमन्ना है कि आपकी लिखी सब बाते सच हो जाए और अच्छी कयादत पैदा हो, साथ ही बताना चाहूंगा की सदफ जी मेरी भी फ्रेंड लिस्ट में थी एक बार इनसे सवाल कर लिया मुरादाबाद और हाशिमपुरा के कांग्रेस काल के दंगो पर, तब भड़क गई और अनफ्रेंड कर दिया,उम्मीद है अब शायद मामलात बदल जाए और हमे एक कौम के लिए कुछ करने वाला नेता मिल जाए.

Shambhu Kumar
जो चाहते हो बदलना मिज़ाज-ए-तूफ़ाँ को
तो नाख़ुदा पे भरोसा करो ख़ुदा की तरह
(आतिश बहावलपुरी).

Anish Akhtar हमने तो टिकिट की घोषणा होते ही अपने रिस्तेदारो दोस्तो को कॉल करके बोला कि सदफ को वोट दीजिये.

Anwar Maksud उर्दू नाम वाले उमीदवार को जितना भी उर्दू नाम वालो का काम है नही तो अलग अलग पार्टीयो कि चापलूसी मे अपना वोट ना बर्बाद कर दे

Sanawwer Ali सर कांग्रेस बसपा सपा से मुस्लिम उम्मीदवार को जीता कर अपनी कयादत केसे खड़ी की जा सकती है,,,,जब मुजफ्फरनगर के दंगा हुआ था तब विधान सभा में 67 उर्दू नाम वाले एमएलए थे उनमें से कितने ने सरकार से सवाल किया था कितने ने इत्तीफा दिया था,,, यथा कथित सेखुलर पार्टियों के उर्दू नाम वाले नेता अपना और अपने खानदान का पेट भरते है कौम मर रही है मरने देते है,,,,,,बिहार के मौलाना असरारुल हक साहब कांग्रेस के सांसद थे उनके खुद के अलफाज की तीन तलाक के मुद्दे पर मुझे बोलने nhi दिया गया जिन नेताओं को विधान सभा लोक सभा में बोलने ना दिया जाए जो पार्टी गाइडलाइन से आगे आके ना बोल पाए उनको आप हमारी कयादत केसे कह सकते हो

Mohd Shoaib सर इस पोस्ट को लिख कर आपने बक़ाई कमाल कर दिया अल्लाह आपका साया हम लोगो पर हमेशा कायम रखे और आपको हमेशा सेहतमंद रखें।

Mohammad Ahmed Tasleem सर उत्तर प्रदेश का उर्दू नाम बालों का बहुत बुरा हाल है कोई भी मानने को तैयार नहीं है सबके दिमाग में एक ही बात चली रही है सपा सरकार में मुसलमानों की सुनी तो जाती है और बस यही चीज हिंदुस्तान को बर्बाद कर रही है जो उम्मीद उर्दू नाम वाले सपा से लगाए बैठे हैं वही उम्मीद संस्कृत वाले बीजेपी से लगाए बैठे हैं मगर दोनों धोखे में है और इसका सीधा नुकसान हमारे देश को हो रहा है सर हमें तो एक बात पता है जो लोग ऐसे नेताओं की पैरवी करेंगे वह जलील और रुसवा ही होंगे

Zafar Iqubal इस बात से मैं इत्तेफ़ाक़ नही रखता। क्यों कि जम्हूरियत में पहले हम उर्दू नाम की वकालत करते हैं फिर दूसरों को फ़िरक़ा परस्त कहते हैं यही जम्हूरियत के लिए सबसे नुक़सानदेह है। जहां तक बहन सदफ़ जाफ़र का सवाल है वो एक बेहतरीन समाज सेविका है संघर्ष करती हैं इस लिए हम उस बहन के साथ हैं। हम हर अच्छे और देश के संविधान में यक़ीन रखने वाले के साथ हैं वो उर्दू हिंदी इंग्लिश किसी भी नाम वाला हो। और सभी देशवासियों का ऐसा करना ही देश सेवा है।

Ranjan Dixit Aashish बहुत बेहतरीन sir

Shaan Khan बेहतरीन लाजवाब पोस्ट सर जी.

Firoj Pathan हौसला बुलंदी और भटके कौम को नेक रास्ता दिखाने वाली शानदार जानकारी , Sir.

Imran Khan बहुत सही आपने सर.

Baasit ALi Hasan बेहतरीन पैगाम.

Asad Ziyan बहुत बेहतरीन सर जी

Mohd Shaan बेहतरीन मशवरे वाली पोस्ट “सर”