Post dated 20-01-2022
उत्तर प्रदेश के समाजवादी भगवा टोपी वाले मोलायम सिंह यादव सिद्धांतहिन नेता हैं।इन मे कोई नैतिकता नही है। यह आदमी चरण सिंह और वी पी सिंह का पहुँचा पकड कर नेता बनें।
मोलायम सिंह प्रचारक राजेंद्र सिंह (रज्जु भैया) पूर्व संघ अध्यक्ष के पैरूकार रहे हैं।हम कई बार लिख चूके हैं मोलायम सिंह के घर पर रज्जु भैया लखनऊ मे ठहरते थे जब दोनो छोटे नेता थे और हिन्दी भाषा को उप्र मे चलाने का अभियान मे साथ घूमते थे।मगर आज तक मोलायम सिंह सही हिन्दी नही बोलते हैं।
मुलायम यादव तीन बार मुख्यमंत्री रहे और बिना “तीन तिलाक़ दिये और बिना तिलाक़ लिए” मुलायम सिंह जब मुख्यमंत्री थे तो दूसरे औरत के ही घर पर सोते थे।अपर्णा बिष्ट उन्ही की बहु हैं जो आज बीजेपी मे चली गई हैं।यही मोलायम सिंह 2019 मे संसद मे बोले थे “मै चाहता हूँ, बीजेपी की सरकार दोबारा बने” यह परिवार cocktail है।
मोलायम सिंह समाजवादी नही हैं, यह पैदाईशी संघीतकार हैं।यह बाबरी कॉड वाले कल्याण सिंह को SP के टिकट से अलीगढ से चुनाव लडवाया था। इन के दोस्त अमर सिंह थे जो अपने को समाजवादी कहते नही थकते थे मगर मरे तो शाखा में लाठी पटकते मरे।यह ढोगी लोग हैं जो अपने को समाजवादी कहता है।
यह कभी लालू यादव जी के तरह दंगा नही रोका।मजफ्फरनगर का दंगा होने दिया करोड़ों रूप्या भारत माता का नोकसान करवाया। साऊथ अफ्रिका मे गुप्ता जी ने दंगा कराया तो राष्ट्रपति रामापोज़ा ने कहा कि साऊथ अफ्रिका की 3% GDP ख़त्म हो गया। अभी कजाकिस्तान मे चार दिन का दंगा हुआ तो वहॉ के राष्ट्रपति ने कहा कि $3 billion से ज्यादा का नोकसान हुआ।1935 से यह लोगो ने दंगा कराना शुरू किया, सोचये इन लोगों ने कितना हजार बिलियन डालर दंगा करा कर देश का जला दिया।
आजकल भगवा टोपी मे हर जगह मोलाय सिंह नजर आ रहे हैं।दूसरी मायावती हैं जो बीस साल से सूरज ही नही देखा है, कमरा मे बंद रहती हैं।इन लोगो को वोट नही दिजये? आने दिजये शहजादा सलीम जोगी को, बरबादी बहुत बडी है, सब लोग भूगते।
सत्तर साल बाद सोनहरा मौका मिला है, इन लोगो को वोट नही दिजये।उर्दु नाम वालो को वोट दिजये, अच्छा नेता पैदा किजये जो राष्ट्रवादी हो, जो देश की सुरक्षा और विकास का सोंचे।जय हिन्द।
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Some of the comments on the Post
Mohammed Seemab Zaman हम यह पोस्ट नही करते क्योकि आज एक सऊदी-कोरिया पर कर दिया था। मगर झिल्ला कर किया है जब अपर्णा सिंह बिष्ठ बीजेपी मे चली गई तो। इस मे परिशान होने कि क्या बात है, मोलायम सिंह का पूरा जिवन संघीतकारो के साथ गुज़रा है। यह रक्षा मंत्री भी रहे मगर चीन विस्तारवादी हो रहा है इस पर एक लवज नही बोल रहे हैं, चूकें यह राष्ट्र के प्रति समर्पित नही हैं।
Md Ali Janab Mohammed Seemab सर,उर्दू नाम वाले के साथ सबसे बड़ा मसला है कि चार चार खड़े होते हैं और हार कर पांच साल फिर बिलों मे घुस जाते हैं, इसका क्या solution है.
- Mohammed Seemab Zaman, Md Ali साहेब, उस चार मे एक जो अच्छा हो उस को चूनये। अगर चारो गंदा है तो जो कम गंदा है उस को चूनये। आप उस को एकठ्ठे वोट दिजये, पता तो चले आप का वोट कितना है? अगर सामाजिक काम नही करे गा तो अगले चुनाव मे दूसरे उर्दु नाम वेल को दिजये। हम तो लिख ही रहे हैं 10-20 साल लगे गा यानि दो-चार चुनाव तब अचछा नेता मिले गा। बहुत को सरकार झूठा इलजाम लगा कर जेल भेज दे गी। कुछ अपने को खुद बरबाद कर दे गा दल बदल कर।यह बरबादी बहुत बडी है मेरा सब पोस्ट पढते रहिये और देखये कैसे दुनिया बदली मगर यह लोग वही सौ साल के सोंच पर चल रहे हैं। बहुत अच्छा मौका मिला है उर्दु नाम वालो को, यहॉ से अपना लिडरशीप पैदा किजये। जल्दी नही किजये, सबर से काम लिजये, अखलाक़ ठीक रखिये।
- Mohd ChaudharyMd Ali चार में से तीन तो पहले भी खड़े होते थे पर जरूरत के समय बॉस के इशारों से बैठ जाते थे इसलिए इसबार चौथे को चुनिए जिसका बॉस खुद हमेशा साथ देने के लिए खड़ा रहता है।
- Md Khaleeque Rehmani میں اس پوسٹ کو اردو کرتا ہوں
Mohd Afzal जिस जगह पर उर्दू नाम वाले न खड़े हों तो ?किसे वोट देना है ?उर्दू नामधारी ने साहिबाबाद सीट पर ब्राह्मण को टिकट दिए हैं ।
- Mohammed Seemab Zaman, Mohd Afzal साहेब, किसी को नही दिजये, NOTA दबाइये। या कोई उर्दु नाम वाला आजाद खडा हो तो उस को दे दिजये।कौन उर्दु नामधारी ने ब्राहमण को टिकट दिया है तो उस को वोट दिजये और देखये ब्राहमण का वोट उर्दु नामधारी को ट्रांसफ़र दूसरे जगह नही हो रहा है तो आप फिर बंद किजये ब्राहमण को वोट देना।
लोकेश सलारपुरी बेहतर होता अगर वर्तमान के युवराज अखिलेश पर लिखते ! जनता की याददाश्त कितनी कमजोर होती है ये तो आप जानते ही हैं ! ये पोस्ट आपके मयार से मैच नही कर रही है !
- Mohammed Seemab Zaman, लोकेश सलारपुरी साहेब, सही कहा हम इस तरह का पोस्ट नही करते हैं। मगर झिल्ला कर यह ड्रामेबाज नेता के ड्रामा को देख कर लिखा है। गंदी पोलिटिकस यह लोग खेल रहे हैं हर जगह भगवा टोपी मे नजर आ रहे हैं। आप चाहते हैं मुस्लिम औरत को क़ब्र से निकाल कर रेप करने की बात जो नेता करे उस के साथ यह उठे बैठे मगर हम यह नही लिखे। अंतरराष्ट्रीय चैनल पर जब लोग बहस करते हैं तो यह सब बात कहते हैं।हम अखिलेश पर क्यो लिखें? बाप के भी गर्दन मे हाथ दे कर चले और बेटा पर भी। यह नही। हम लोग लालू जा और मोलायम सिंह के जमाने के हैं इन की गलती उजागर करे गे तो अखिलेश सँभल कर चले गें वरना यह भी बाप के क़दम के साथ चले गें।
Faiq Ateeq Kidwai तो कम से कम एक नाम ही बता दें किसको वोट दें।वैसे भी हम लोग इतने नासमझ है तो बताइये किस पार्टी को वोट दें।जब बात खुलकर ही अपने मज़हब के नुमाइंदे को चुनने की है तो वो नाम भी ज़ाहिर होना चाहिए।
- Mohammed Seemab Zaman पार्टी कोई हो, सिर्फ उर्दु नाम को देना है जो उस मे अच्छा है। वह मायावती हों या मोलायम या कांग्रेस या ओवैसी, कोई हो उस मे से एक चुनना है। पार्टी के चक्कर मे पड कर तो सब तबाही करवाया और दंगा हुआ। चुनाव से किनारे रहना है, सिर्फ वोट के दिन वोट देना है। समाज मे कोई बहस या बद-अखलाकी नही करना है, रहना इन्ही के साथ है।
Syed Abid Naqvi सर मुलायम सिंह ने यह बात 2019 में लोकसभा में कही थी, बाक़ी–काले भले न सेत, सबको मारो एक ही खेत।।
- Mohammed Seemab Zaman उस वक्त, 2019 से हम यह Zee का फोटो रखे थे मगर आज पोस्ट किया है। यह आदमी 2017 और 2019 मे भगवा टोपी मे नजर नही आये मगर आजकल हर जगह नजर आ रहे हैं। यह लोग को बता रहे हैं कि यह भगवा हैं।
Shahid Samad No politician has any character. Why singling out Mulayam? Can you trust Owaisi? He is also made of the same stuff. But if we think on this line then we will be left to fend for ourselves and you know the end result.
- Mohammed Seemab Zaman There is no leader in North India who can save Bharat. India is suffering from two pandemics. He has no talent to save India. He is the one who said in 2019 before election in Rajya Sabha that he wants Modi to come back again.
- Shahid Samad Yes, i remember. I tell you , they have no character.
Baetal Pret लोकेश सर, बाबाजी को आशीर्वाद तो दे दिया टिकैत ने।अब किसी के लिखने से क्या फ़र्क पड़ता है।
- लोकेश सलारपुरी Baetal Pret कब दिया ?? क्या हुआ ??
Sajid Aftab सर तेजस्वी ने भी यू पी में दस सीटें उतारी है उसमें एक भी उर्दू नाम नहीं ।
- Mohammed Seemab Zaman कोई बात नही है। तेजस्वी का यहॉ कोई काम नही है। वह token candidate दे रहे हैं ताकि अगर एक भी जीत गया तो RJD national party हो जाये गी।
Arif Kamal आपकी पोस्ट से सहमत भी हु असहमत भी।जब हम सेक्युलर पार्टीज ने कुछ नही किया बोलते है तो इस बात को भी बोलना चाहिए कि किया मुसलमानो ने भी कुछ नही।मुसलमान बिरयानी खाता रहा शाहबानो करवाता रहा।10th क्लास तक पास होने के लाले पड़े रहे।मुझे गलती दोतरफा लगती है।हमारे पश्चिमी उत्तरप्रदेश में मुसलमान बदमाशो ने नंगा नाच किया 20 साल ओर मुसलमान इन बदमाशो को ही जिताता रहा।शिक्षा की तो बात ही नही की जाती थी।
- Mohammed Seemab Zaman सही कहा, मुस्लिम भी “पेदरमे सुल्तान बूद” के नशा मे ही बिरयानी और पान खाते रहे, कुछ नही किया। गलती दो तरफ़ा है।इन लोगो ने भी बदमाश पैदा किया और मुस्लिम मे भी बदमाश पैदा हुऐ, तीस साल से वही माहौल रहा।उसी पर हम लिख रहे हैं 10-20 साल मे दो चार अच्छा लिडर पैदा किजये जो पढा लिखा, दुनिया देखे मौलाना आजाद और किदवई हों।
Md Iqbal मुज़्ज़फर्नागर दंगा में ही आरएसएस और सपा की मिलीभगत सामने आ गयी थीउस दंगे के बाद देश का माहौल ही बदल गया और मोदी को क्लीन स्वीप मिल गयासमाजवादी पार्टी आरएसएस के इशारे पर चलती है.
Mohd Chaudhary आपने 1935 से तार जोड़कर एकदम से नंगा कर दिया । वैसे उस समय छद्म कांग्रेसी थे जो मुल्तान लाहौर आदि में दंगे करवा रहे थे और बदनाम होते थे जिन्ना । और आज भी संघी अपनी गद्दारी व नकारेपन को छुपाने के लिए उर्दू नाम का ही सहारा ले रहे हैं ।
Kamal Siddiqui बहुत अच्छा पोस्ट सरये परिवार संघी है इसमें कोई शक नहीं। हो सकता है यूपी में ये बीजेपी के साथ मिलकर सरकार बना ले, पहले भी मुलायम सिंह बना चुके हैं। जिस तरह से मुस्लिम नेताओं को मंच से धकियाना, आज़म ख़ान पर कुछ ना बोलना, caa, nrc पर कुछ नहीं बोलना, बीजेपी के विधायकों को लेकर चुनाव लड़ना, यही बीजेपी की B टीम है यही तो साबित करता है।इनको सिर्फ़ मुस्लिम वोट चाहिए।
Mohammad Ahmed Tasleem उर्दू नाम वालों को सबसे बड़ा मसला यह है कि अपने रब अल्लाह रब्बुल इज्जत को छोड़कर गैरों की ताजपोशी करते हैं तो यह जलील तो होंगे ही इनको ना अपना वजूद पता है ना अपने बुजुर्गों का बहुत समझाया सर मगर सारे बोलते हैं हमें ऐस ही जलील होना है.
Nesar Ahmad अपर्णा विष्ट/गुप्त/(यादव) का मुलायम सिंह यादव से कोई भी सीधा वास्ता नहीं है। अपर्णा, प्रतीक गुप्ता की पत्नी हैं, प्रतीक के वास्तविक पिता चंद्रप्रकाश गुप्ता हैं। उनकी मां साधना गुप्ता हैं।साधना गुप्ता सपा की सक्रिय कार्यकर्ता थी। 2003 में मुलायम सिंह यादव की विवाहित पत्नी (अखिलेश की मां) का निधन हो गया जिसके बाद मुलायम सिंह ने साधना गुप्ता को अपना लिया। ध्यान रहे यहां न हिन्दू रीति-रिवाज से विवाह हुआ न ही कोर्ट मैरिज हुई।इसके बावजूद मुलायम सिंह ने प्रतीक और अपर्णा को तमाम अधिकार दिए, अपर्णा को 2017 में लखनऊ कैंट सीट से चुनाव लड़वाया लेकिन वह हार गई। जहां तक बात अखिलेश और प्रतीक-अपर्णा के बीच के रिश्तों की है तो कभी बहुत स्नेह नजर नहीं आया।आज अपर्णा ने भाजपा ज्वॉइन कर ली। इससे सपा भी खुश है और भाजपा भी। अपर्णा राजनीति में बेहतर कर सकती है, वह जन नेत्री बन सकती हैं लेकिन वह मुलायम सिंह यादव की बहु नहीं हैं इसलिए उन्हें सबकुछ कहा जा सकता है लेकिन मुलायम सिंह की बहु नहीं कहा जा सकता।
A.K. Siddiqui कौन है उर्दू नाम वाला,,, किसे वोट करें?कुछ उर्दू नाम वाले आज़ादी के बाद कांग्रेस में रहे ,,कांग्रेस ने मुसलमानो को पूरी तरह नेस्त नाबूद कर दिया और ये मुस्लिम नाम वाले तमाशा देखते रहे और मज़हबी रहनुमा मलाई खाते रहे,,,यूपी के लोग इस बात को बेहतर समझ सकते हैं मुलायम ने जितना मुस्लिम लोगो के साथ किया आज़ादी के बाद तक किसी ने नही किया और न कोई अगले 50 सालों तक करता दिखता है ,,,कांग्रेस के राज में मुसलमान दरी बिछाता था और राज ब्राह्मण करता था चारो तरफ उसी का बोलबाला था राजनीतिक बेदारी के नाम पर दो चार MP और MLA थे ,,न ये BDC समझता था न ग्राम और जिला पंचायत ,,,कहीं कोई भागीदारी नही थी मुलायम के आने के बाद मुसलमानो में सियासी बेदारी का सैलाब आया फिर तो भर के MLA को टिकट मिला गांव गांव कस्बे कस्बे में हर तरह का चुनाव मुसलमान लड़ने लगा मुस्लिम औरते बुर्का पहन पहन कर ज़िला पंचायत और शहरी निकायों के चुनाव लड़ने लगी हर जगह विधायक,बीडीसी मेम्बर,नगरपालिका और जिला पंचायत के मेम्बर और अध्यछ मुस्लमाम मर्द और औरतें होने लगी बड़े पैमाने पर पुलिस और PAC में भर्तियां हुई जो लोग उर्दू अरबी में अलीम फ़ाज़िल,MA, BA करके बूढ़े ही चले थे उनका इस देश मे कोई भविष्य नही बचा था तो मुलायम सिंह ने बड़े पैमाने पर उर्दू अनुवादक और उर्दू टीचरों की भर्ती कर रही है शासन ने चीफ सेक्रेटरी सहित बड़े बड़े ओहदों पर पहली बार मुसलमानो को बैठाया गया प्रदेश के दो दो पुलिस DGP मुलायम की ही देन थे लखनऊ में ख्वाजा मोइनुद्दीन अरबी और फ़ारसी विश्विद्यालय,प्राइवेट दो मेडिकल कालेज,प्राइवेट मुस्लिम इंटिगिरल यूनिवर्सिटी,रामपुर की जौहर यूनिवर्सिटी और तमाम इंस्टीट्यूशन मुलायम की ही देन थे ,,,,गांव गांव की कई मस्जिदेंें और क़ब्रिस्तान की बाउंड्री वाल पक्की मुलायम सिंह की देन है मुस्लिम लड़कियो को वजीफा और शादी में मदद का हाथ मुलायम ने ही बढ़ाया अल्पसंख्यक वित्त और विकास निगम बना कर हज़ारों मुसलमानो को कारोबार में मदद की ,,,अब मुसलमान ही मौका परास्त निकले तो कौन इनका साथ देगा ,,,आये तो हैं हैदराबाद से क़यादत उन्ही को दी चार सीट देकर कौम को आगे बढ़ा लें.
Anish Akhtar शानदार पोस्ट…उर्दू नाम वालो को चाहिये ज्यादा से ज्यादा टोपी वालो को विधानसभा भेजे चाहे किसी भी पार्टी के टिकिट से हो..
Kalam Azmi बेहतरीन विश्लेषण सर जी सहमत हूं आपकी बात से और बहुत कुछ जानकारी भी मिली आपकी पोस्ट पढ़कर.
Arvind Srivastva इस आदमी पर मुझे कभी भरोसा नहीं रहा है।
Shalini Rai Rajput बेहद स्वार्थी व नैतिकता विहीन नेता
Mir Talib Ali बिल्कुल सही बात है मुस्लिम को चाहिए के केवल उर्दू नामधारी को ही vote दे चाहे वह जिस पार्टी का हो
Imtiyaz Ahmad मुस्लमान बीजेपी को अकेले क्यू हराये बर्बादी 19 -20 तो सब के हिस्से आया है.
Turab Qureshi बेहतरीन पोस्टआज तो आपने मुलायम सिंह को उधेड़ कर रख दिया इतना गुस्सा आज पहली बार महसूस किया गया सर.
भाई टीपू सूल्तान बेहतरीन पोस्ट सर ..आंखों से पर्दा हटाने के लिए इससे ज्यादा कुछ नहीं
Abu Umair Ansari Behtarin post.
Abdul Bari बेहतरीन पोस्ट सर.
Firoz Ahmad Khan Behtareen sir.
Noor Alam Umda post sir.
Mohd Shaan सच्चाई को उजागर करता हुआ उम्दा पोस्ट “सर”
Irshad Ahmad Khalili कड़वा है मगर सच है.
Kausar Jahan Yusuf Ye UP ke log kitna samjhenge aap ki salaah ko .. kah nahi sakte..magar inse koi aqalmandi ki ummid fizool hai..ye log ek dusre ki taang khinchayi aur conspiracy mein bahut dil lagate hain isi sab aapa dhaapi mein kabhi dhang ki sarkar nahi bana pate.
Nayab Farhat Afaque Ye Muslim hain kabhi sudhrenge Nhi ye Ek ho kar kisi Ek ko vote nhi denge apna neta khud nhi khada karenge inhe dusron ke pairon me pade rahna hi Achcha lgta hai aur firqe par bate rahna pasand hai.
Mohd Ahmed Bhoot jyada counfusion hai sir Akhilesh Yadav ne kaafi kaam kiya Muslims ke liye Madrsaa hai Urdu teacher ho meri pasand rhaa hai hmaesha Akhilesh hamare city Sahanpur se Sanjay Garg Vidhyak hai sp se doobara phir usko hi ticket mila hai total Muslim vote usko gyaa thaa lagbahg 40% Muslim vote hai Saharnpur mai lekin usne aaz tk Muslims ki colony mai aakr bhee nhi dekha isliye abki baar vote usko nhi Imraan Masood ko koi bhee party se ho wo agr Saharnpur sa ladtaa hai to