Post of 9th September 2023

हम जनवरी 2015 में बराक ओबामा के भारत दौरा के बाद भारतीय बुद्धिजीवियों को समझाते आये हैं, “भारतीय मुस्लिम भारत के लिए एक पूँजी हैं न कि लायबिलिटी” मगर किसी को समझ में ही नहीं आ रहा था जबतक के मई 2020 मे चीन विस्तारवादी नहीं हो गया।

अभी जो भारत में दो दिन का समारोह हो रहा है, उस मे यूरोपियन यूनियन की कमिश्नर ऊरसिला वैन डर लीन ने भारत को सलाह दिया है कि वह चीन के बेल्ट और रोड के जवाब मे एक “भारत-मिडिल ईस्ट-यूरोप कोरिडोर” बनाये ताकि भारत का सामान यूरोप तक आसानी से जाये।

यदि आपको लगता है कि मिडिल ईस्ट भारत या यूरोप के सामने कुछ नहीं है, तो फिर से सोचें।1876 के बाद अभी खाड़ी की अर्थव्यवस्थाएं इस ग्रह पर सबसे अमीर और सबसे जीवंत में से एक हैं। Artificial Intelligence (कृत्रिम बुद्धिमत्ता) मॉडल और रेगिस्तान में चमकदार नए शहरों से लेकर दुनिया के पूंजी बाजारों में अपने $3.5 trillion सौदों की तलाश मे यह लोग दुनिया में घूम रहे हैं।

हालाँकि मिडिल ईस्ट के मुस्लिम दुनिया के केवल 6% लोग हैं, लेकिन वैश्विक अर्थव्यवस्था पर इनका दबदबा ऐसा है कि अमेरिका प्रशासन कुछ नहीं कर सकता है।मध्यपूर्व या الْشَّرْقُ الْأَوْسَطُ का दुनिया मे कच्चे तेल के निर्यात में 46% हिस्सेदारी है।दुनिया के सभी कंटेनर व्यापार का 30% और 16% एयर कार्गो इस क्षेत्र से होकर गुजरता है।

सवाल यह है कि यूरोपियन यूनियन (EU) का यह जो “भारत-मिडिल ईस्ट कोरिडोर” का प्रस्ताव या सलाह है, वह तो बिना पाकिस्तान-अफ़ग़ानिस्तान-ईरान के नही बन पाये गा।पाकिस्तान तो अखण्ड भारत का हिस्सा नहीं है और अब अफ़ग़ानिस्तान में तालिबान है।दूसरा सवाल इस कोरिडोर का पैसा कौन देगा? क्या भारत दे गा या यूरोप देगा?

#नोट: इस हफ़्ता के The Economist, London का कवर पेज है “The New Middle East”. ज़रा ग़ौर से फिर सोंचये गा पिछले नौ साल से क्या हम ने भारत के पत्रकार और बुद्धिजीवी या दूसरे जिन की ऑंख नही दिल अंधा हो गया था उन को यह बात नहीं बता रहे थे?
=========
Some of the comments on Post

Islam Hussain यह समझने में अब बहुत देर हो चुकी है,

  • Mohammed Seemab Zaman, Islam Hussain साहेब, आज यह The Economist लिख रहा है मगर हम यह बात लोगों को समझा रहे थे कि मुस्लिम भारत के लिए पूँजी है इस को दंगा करा कर, गंदी बात बोल कर, लिंचिंग कर के, या NRC का डरा कर खो मद दो मगर सौ साल की सोंच को अपने प्रवासी भारतीयों और अमेरिका तथा यूरोप पर विश्वास था कि वह हम को दूसरा चीन बना दे गा।मगर अब सौ साल के बाद झक मार कर यह “भारत-मिडिल ईस्ट कोरिडोर” की बात करने लगे और MBS का तलवा सहलाने लगे.
    • Islam Hussain, Mohammed Seemab Zaman MBS के साथ की जुगलबंदी समझ में नहीं आती, इसी के बल पर मैनेज हो रहा है.

Shahbad Khan Lodi lafz ba lafz haqiqat byan ki apne…par sir.. ek sanghitkar to naujwano ko unke budha hone se pehle akhand Hindu rastra ke sapne dikha raha hai .

  • Mohammed Seemab Zaman जी वह सही बोलें हैं, न वह जिंदा रहें गे और न हम और न आज के संध के कोई 40 के ऊपर वाले। जो बच्चा अभी जन्मा नही है वह उस को लिए वह बात बोलें हैं। मज़ाक़ है, वह तो विश्वप्रख्यात दार्शनिक हैं।

Shambhu Kumar
मेहरबाँ हो के बुला लो मुझे चाहो जिस वक़्त
मैं गया वक़्त नहीं हूँ कि फिर आ भी न सकूं (ग़ालिब)

  • Mohammed Seemab Zaman मेरा तो पूराना रिश्ता रहा है, बुला तो लें गें ही। मगर सौ साल की सोंच ने जो मेरे साथ किया वह वक्त को समझ नही सके कि कैसे बदल रहा है.
    • Shambhu Kumar, Mohammed Seemab Zaman
      हाए वो वक़्त कि जब बे-पिए मद-होशी थी
      हाए ये वक़्त कि अब पी के भी मख़्मूर नहीं (असरार-उल-हक़ मजाज़)

Kamil Khan जितना हम समझते हैं सब से महत्वपूर्ण मेहमान बाद मे आते हैं सो mbs सब के बाद आये, मोदी ने अपने बराबर एक तरफ mbs को बिठाया और दूसरी तरफ बाइडेंन बैठे थे, और बाइडेंन के बराबर uae के किंग बैठे थे, बाकी यूरोप वाले पिक्चर से गायब दिखे, बाकी मुझे अंतराष्टी मामलों की समझ तो है नहीं

  • Anish Akhtar, Kamil Khan काहे मजाक कर रहे हो हम तो सीखते आप जैसों से है