2013 से बडा मिडिया (टीवी और अखबार) सुपारी गैंग से सुपारी कौंट्रेक्ट लेकर भारत को बरबाद करने का कसम खा लिया था जिस मे बडा बडा नाम था रजत शर्मा, प्रनव राय, रवीश कुमार, पुन्य प्रसून बाजपेयी, अजीत अंजूम, अभिशार शर्मा वगैरह वगैरह।
जब भारत बर्बाद हो गया तो यही पुन्य प्रसून बाजपेयी हाथ मल-मल कर आज बडे मिडिया से छोटे मिडिया मे विडिव के ज़रिये बहुरूपिया बन कर सुपारी गैंग का काम अंजाम दे रहे हैं। यह अभिशार शर्मा 2013 मे टीवी पर कुछ और बोलता था और आज विडिव मे कहता है मोदी सरकार विदेशनीति तबाह करने पर लगी है। यही रविश कुमार वही बोल रहे हैं जो बीस साल से रोज़ अखबार पढने वाला जानता है कोई नई जानकारी नही देते हैं।
एनडीटीवी के प्रनव राय हैं जो अपने टीवी पर सात साल से दस आदमी को बोला कर बोलवाते हैं ताजमहल शिव मंदिर था और जामा मस्जिद मंदिर था और इन के पत्रकार नीधि राज़दॉ अमेरिका के हार्वाड विश्वविद्यालय मे प्रोफेसर हो जाती हैं।
यही था भारत का बडा मिडिया जो सुपारी गैंग का असली चेहरा था और 2013 से कांग्रेस के डा० मनमोहन सिंह को रोज चोर साबित करता रहा और गुजरात मॉडेल के मोदी जी को भगवान बना दिया। सात साल मे भगवान मोदी जी ने 20 सरकारी बैंक को “जय भवानी” बोल कर लूटवा दिया तो किसान आंदोलन मे यही पत्रकार सब छोटे मिडिया मे आ गया विडिव से सुप्रीम कोर्ट को #भगवान बना रहा है।
अजीत अंजूम हैं जो कभी टीवी पर मोदी जी को भगवान बनाया था और आज छोटे मिडिया से रोज राकेश टिकैत के मूहँ मे ओंगली दे कर सुप्रीम कोर्ट के खेलाफ बोलवाना चाहते हैं और टिकैत बोलते हैं “सुप्रीम कोर्ट तो भगवान हैं”। सारे मजमा को अजीत नये #भगवान को दिमाग मे बैठा रहे हैं और टिकैत को नया नेता बना रहे हैं। अजीत राहूल गॉधी के किसान रैली मे नही गये और न किसी दूसरे किसान नेता के पास गये।
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हम को अर्नब, रजत शर्मा, अंजना से कोई शिकायत नही है क्योकि यह लोग आज भी सुपारी गैंग का वफ़ादार है। यह लोग पढा लिखा था ही नही। हम-आप सब जानते हैं, यह लोग सुपारी गैंग के तरह देश को बरबाद कर के खुश होने वाले लोग हैं। मगर अफसोस होता है प्रनव राय, अजित अंजूम, अभिशार शर्मा, प्रसून वाजपेयी वगैरह के तरह लोगो पर।
सन 2014 से लेकर अब तक अगर लोगों के दिमाग में जहर भरने का काम मुख्य रूप से किसी ने किया है तो वह है भारतीय मीडिया सबसे ज्यादा नफरत ईन्ही लोगों ने फैलाई है और देश की बर्बादी के 70 फीसदी जिम्मेदार भी यही लोग हैं अगर मीडिया चाहती तो नरेंद्र मोदी 2014 से लेकर 2019 तक के शासन में ही बीच में राज का छोड़कर भाग खड़े होते लेकिन इनकी नसों में गुलामी भर दी गई थी पैसों के जरिए.