Post of 10 August 2022
हम को यक़ीन है कि जिस तरह से विश्व की राजनीति (geopolitics) बदली है, भारत की राजनीति को बदलना ही होगा, वरना भारत के भविष्य पर सवालिया चिन्ह है।नीतीश कुमार का क़दम उसी बदलाव का पहला क़दम है।
यही एनेलेसिस कर हमारे पूराने कांग्रेसी मित्र S M Taqui Imam साहेब ने नीतीश कुमार पर पिछले हफ्ता एक सुंदर और सामयिक पोस्ट किया था जिस का कल नतीजा आ गया।
Imam साहेब लिखते हैं कि “नीतीश कुमार dictation पॉलिटिक्स को हमेशा से नकारते रहे हैं।उनकी राजनीति उनके मिज़ाज से चलती है।समाजवादी राजनीति, विकास और धर्मनिरपेक्षता को अपने शासनकाल में भाजपा के साथ गठबंधन में रहते हुए लेकर चले और उसमें बहूत हद्द तक कामयाब भी रहे। 2024 के बाद का रास्ता अगर नीतीश कुमार को बनाना है तो उसके लिये समय अभी से शुरू होता है, यह बात नीतीश कुमार भी समझ रहे हैं, क्योंकि नीतीश कुमार बहूत पहले ही बाद में आने वाले प्रकरण के बारे में सोंच विचार कर के रख लेते हैं और समय पर ही पत्ता खोलते हैं। ये राजनीति में हार मानने वाले नेता ना कभी थे और ना कभी होंगें।ये ख़ामोश बैठने वाले राजनेता हरगिज़ नहीं हैं।अभी विपक्ष के पास परिस्तिथि भी ज़्यादा अनुकूल नहीं और विकल्प भी बहूत नहीं है किंतु नीतीश कुमार बिहार से एक बड़ा प्रयास ज़रूर करेंगें वर्तमान राजनीति की दिशा को बदलने का। वैसे भी देश की राजनीति को समय समय पर दिशा दिखलाने का काम बिहार ने किया है, इतिहास इसका साक्षी है” (पूरा पोस्ट zamaniyat पर पढे).
मेरा कहना है नीतीश कुमार एक निर्मल, कोमल, शीतल और अनुभवी व्यक्तित्व के आदमी हैं।बिहार का कुर्मी समाज पिछले तीस साल से अच्छे और बूरे वक्त मे नीतीश कुमार के साथ खडा रहा क्योकि उस को पता है कि अगले पचास साल मे कुर्मी समाज मे ऐसा नेता पैदा नही होगा।बिहार को आज 60 साल बाद श्री बाबू जैसा कोई दूसरा भूमिहार नेता नही मिला और भारत को पंडित नेहरू और इंदिरा गॉधी के तरह कोई ब्राह्मण नेता आज तक नही मिला।
अब तेजस्वी और यादव समाज पर है कि वह अपने को नीतीश कुमार के साथ काम कर भविष्य के बिहार के एक लोकप्रिय कामयाब नेता बन जायें क्योकि यादव समाज मे अब कोई दूसरा लालू यादव के तरह नेता सौ साल नही पैदा हो सकता है, मेरी यह बात यादव समाज धोती मे गॉढ बाँध कर रख लें।
उमीद है कि तेजस्वी, तेज़ प्रताप और यादव समाज अपने नेता लालू जी को मायूस नही करें गें। जय अल हिन्द।