Post of 6th January 2023
बीजेपी के अध्यक्ष जेपी नड्डा ने महाराष्ट्रा के चंद्रापुर जिला मे एक मुस्लिम सूफी के मज़ार पर जाकर चादर और फूल रखा। नड्डा बिहार मे पैदा हुऐ और पटना विश्वविद्यालय मे इन के पिता एनएल नड्डा कौमर्स विभाग के प्रमुख थे।
1977 मे जनसंघ के साथ जनता सरकार बनी तो एनएल नड्डा रांची विश्वविद्यालय के कुलपति बने।1979 मे राम नवमी मे जेमशेदपुर मे बडा दंगा हुआ और देश की GDP जलाया गया, उस के बाद टाटा ने जेमशेदपुर मे फैक्ट्री का विस्तार नही किया।1990 मे लालू यादव मुख्य मंत्री बने मगर एनएल नड्डा को बिहार मे कुलपति नही बनाया, रिटायरमेंट के बाद नड्डा बेटा के यहाँ शिमला मे रहने चले गये।
आज 40 साल बाद एनएल नड्डा के पुत्र जब संघ की पार्टी बीजेपी के अध्यक्ष हैं तो चीन-भारत के संबंध और वास्तविक नियंत्रण रेखा (एलएसी) भारत के लिए एक “प्रचंड चुनौती” बन गया है। 2019 मे मेरा नारा था, पलिज़ वन्स मोर…., क्योकि जिन लोगों ने भारत को बरबाद किया है, वही भूगते।
रूस-चीन की दोस्ती तथा भारत का मुस्लिम दुनिया से खराब रिश्ता भारत के लिए किसी बूरे सपना से कम नही है।कुल मिला कर आने वाले वक्त मे वैशविक राजनीति मे बहुत बदलाव आऐ गा जिस मे भारत को बहुत मोशकील वक्त का सामना करना पडे गा।
मेरा कहना है 2024 मे कोई दूसरा नेता भारत का प्रधानमंत्री बनना नही चाहे गा। यह एशियन युग है और भारत की क्षवी एशिया मे बहुत खराब हो गई है, उस के लिए भारत की क्षवी सुघारना बहुत मोशकील होगा और अभी के भारत का कोई नेता चीन के प्रचंड चुनौती का सामना भी नही कर सकता है।
आज से एक साल पहले जब बीजेपी कि प्रवक्ता नूपुर शर्मा ने पैग़म्बर मोहम्मद ﷺ के शान मे बत्तमीजी किया था तो संघ और बीजेपी के किसी नेता ने यह नही सोंचा हगा कि 2023 मे जेपी नड्डा मुस्लिम बुजुर्ग के मज़ार पर जा कर फूल रखें गें।
जेपी नड्डा ब्राह्मण हैं और अब मज़ार पर हाज़री दे रहे हैं, इन के लिए इक़बाल के शेर का मिसरा नज़र है,
“किसे खबर है कि हंगामाऐ नूशूर है क्या”
तेरी निगाह की गरदीश है मेरी रूसता खेज़” (इक़बाल)
کسے خبر ہے کہ ہنگا مہ نشور ہے کیا
تری نگاہ کی گرد ش ہے میری رستا خیز
نشور عربی لفظ ہے جس کے معنی ہیں “قیامت”۔ اور رستا خیز کے معنی “ہنگا مہ اور قیامت ” ہے- اقبال کے کلام میں نشور اصطلاح سے تین شعر ہے-