Post of 1st February 2022

खाता-बही २०२२ मे कुछ नही है।एक अच्छी बात केवल यह है कि Post Office को banking status दे दिया गया क्योकि LIC अब ख़त्म हो गया और सरकार को पैसा का source अब केवल Post Office Savings, भारतीयो द्वारा अरब से कमा कर भेजा गया पैसा और अरब के तेल पर टैक्स ही सरकार की पूजी रही।

गुजरात मॉडल के सरकार को ओबामा ने 2011 मे अरब स्प्रिंग शुरू कर 2014 मे अंतोगत्वा बैठा दिया क्योकि हमारे समाज मे कोई नेता, बूद्धिजिवी, अर्थशास्त्री दुनिया देखा और समझा था ही नही।हम नाम-पता बदल कर संघ का इतिहास लिखने मे लगे रहे और उधर पड़ोसी चीन महाशक्ति बन कर मेरा नाम-पता बदलने लगा। अरब स्प्रिंग के बाद पिछले दस साल मे बहुत तेज़ी से दुनिया बदली और उसी तेज़ी से भारत की अर्थव्यवस्था गिरती गई।

नीचे ग्राफ देखये, दस साल (2011-2020) मे देश मे घरेलू निवेश, आयात, निर्यात, शहरी और ग्रामीण विकास सब गिरता गया।अरब दुनिया जिस के पास पैसा है उस का छोटा या बडा कोई इंवेस्टमेंट भारत मे नही हुआ, रोज़गार तेज़ी से गिरा। पैंडेमिक ने भारत मे स्वास्थ्य सेवा का पोल खोल दिया जिस कारण भविष्य मे विदेशी निवेश की संभावना अगले पॉच साल ख़त्म हो गई।

देश-प्रेम (हूब्बुल वतनी) एक फ़ितरी जज़्बा होता है।इंसान जहां पैदा होता है उसका गांव उसका मुहल्ला उसके शहर से उसे फ़ितरी मुहब्बत होती है।अफसोस इस बात पर है कि राष्ट्रीय स्वंयसेवक संघ ने अपने सौ साल के महायात्रा मे एक भी देशभक्त दार्शनिक, अर्थशास्त्री, बुद्धिजिवा या नेता पैदा नही किया जिस को देश से मोहब्बत हो और जो देश को विश्वगुरू बना सके। सौ साल से संघ अपने महायात्रा मे झूठा नारा लगा कर समाज को गुमराह करता रहा।

दस साल से देश बर्बाद होता रहा और हिन्दी बुद्धिजिवी, 400 हिन्दी चैनल, 100 हिन्दी अखबार राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के महायात्रा का गुण-गाण करते रहे……