Post of 17 December 2021

कहा जाता है कि पेंटागौन किशोर ने 2011 मे पैंटागौन से संतरा और ख़रबूज़ा दोनो की सुपारी लेकर अहमदाबाद पधारे थे। मगर पेंटागौन ने किशोर को केवल 2014 की “संतरा की ब्लू प्रिंट” के साथ भेजा था।

लेकिन ट्र्मप के आने के बाद पेंटागौन किशोर को “ख़रबूज़ा का ब्लू प्रिंट” भेजा गया जिस कारण किशोर अब कहने लगे हैं कि राहुल गांधी पीएम बन सकते हैं।

पेंटागौन से आये ख़रबूज़ा के प्रिंट को देख कर कल चित्रकूट के हिन्दु महाकुंभ मे हमारे आदरणीय विश्व प्रख्यात दार्शनिक, धाराप्रवाह हिन्दी वाचक मोहन जी ने कहा “हमें अब ख़रबूज़ा दिखना चाहिय, संतरा नही” मतलब कोख (संतरा) नही अब गोद (ख़रबूज़ा) दिखना चाहिए।

फारसी का एक बहुत मशहूर महावरा है “ख़रबूज़ा, ख़रबूज़े को देख कर रंग बदलता है”, किशोर की पेंटागौन सुपारी देख कर मोहन जी ने भी #खरबूजा देखने की पर्लभ इच्छा ज़ाहिर कर दिया।

उमीद है कल चित्रकूट भाषण के बाद चुनाव के बाजार मे संतरा अब ख़रबूज़ा का रंग धारण कर ख़रबूज़ा हो जायें गें।

Syed Imran Balkhi साहेब कहते हैं “राहुल जी इस कोख और गोद के खेल को समझें और सतर्क रहें”

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Some comments on the Post

“बाबर, खरबूजा और मोहन भागवत”: Khursheeid Ahmad साहेब के इस शांदार पोस्ट को पढ़िये।

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खरबूजा दक्षिण अफ्रीकी फल है यह भारत में कब आया , इसे कौन लाया इस में इखतेलाफ है कुछ लोगों ने लिखा है कि हिंदुस्तान में सबसे पहले खरबूजा बाबर लेकर आया उस ने यहां खरबूजे की खेती कराई और अधिक तर लोगों का मानना है कि बाबर से बहुत पहले यह फल भारत आ चुका था.

लेकिन इस में दो राय नहीं है कि बाबर को ख़रबूज़े बहुत पसंद थे यह बात उस ने खुद अपनी किताब में लिखी है यहां तक कि उसने फलों के राजा आम की तारीफ करते हुए उसे भी खरबूजे के बाद दूसरे नंबर पर रखा है.

बाबर को ख़रबूज़े इतने पसंद थे कि एक बार युद्ध के कारण उसे काफी दिनों बाद खरबूजे मिले तो वह खुशी से रोने लगा.

दूसरे मुग़ल बादशाह भी खरबूजे के शौकीन थे जहांगीर अपने लिए अफगानिस्तान के शहर बदख्शां से खरबूजे मंगाता था एक बार किसी ईरानी व्यापारी ने उसे हेरात के क़रीब करीज़ नामक क्षेत्र से खरबूजे ला कर दिए जो बहुत ही स्वादिष्ट थे जहांगीर वह खरबूजे खाता जाता और अपने स्वर्गवासी पिता अकबर को याद करता जाता कि काश यह खरबूजे उन्हें भी खाने को मिलते तो वह कितना खुश होते.

राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के अध्यक्ष डॉ मोहन भागवत जी का एक बयान सामने आया है जिस में उन्होंने कहा है कि हमें खरबूजा दिखना चाहिए संतरा नहीं.

इस बयान का क्या मतलब है कया भागवत जी तथाकथित बाबर के संतानों से लड़ते-लड़ते थक चुके हैं अब वह देश के अंदर मुसलमानों से हाथ मिलाना चाहते हैं लेकिन यह मुझे नहीं लगता क्योंकि वह खरबूजे की तरह अंदर नारंगी और बाहर हरा दिखना चाहते हैं.

मुझे लगता है कि अब यह मध्य एशिया के देशों विशेषकर उज़्बेकिस्तान से करीब होना चाहते हैं इस लिए संतरा से ख़रबूज़ा बन रहे हैं पहले ही भारत सरकार आगरा व ताशकंद को सिस्टर सिटी घोषित कर चुकी हैं उज़्बेकिस्तान के लोग बाबर को अपना हीरो मानते हैं हो सकता है कि खरबूजा पूरी उज़्बेक क़ौम व सेंट्रल एशिया का पसंदीदा फल हो.

बाहर हाल अब राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ भगवा से दूसरे रंग की तरफ़ शिफ्ट हो रही है अंदर से भगवा और बाहर से हरा.

दो रंगी मुबारक हो भागवत जी 🎉🎉🎈Khursheeid ahmad

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Mohammed Seemab Zaman इस पोस्ट को save कर के रख लिजये गा। मोहन जी ने पलटी मार दिया, क्योकि पेंटागौन ने इन लोगो को नाएहल पाया और तीन तिलाक़ दे दिया। यही कारण है, राहुल गॉधी अब सब कोखिया कांग्रेसी (G23) को किनारे कर रहे हैं। हो सकता है जल्द मनमोहन जी सोनिया गॉधी से किसी बहाने मिलें।

Abdul Bari भारतीय पॉलिटिक्स पर इस वक्त की बेहतरीन पोस्ट ।सर भारत के अंदर पॉलिटिकल रिफॉर्म करना बहुत दूर की बात है क्युकी यहां ज्यादातर लोगो का दिल और दिमाग दोनो अंधे हो चुके । कोई अगर मोज्जिजा हो जाए तो वोह अलग बात है ।

  • Mohammed Seemab Zaman एक पुश्त और लगे गा पौलिटिकल रिफौर्मस लाने मे। यह चालीस साल का घोला जहर है एक पुश्त बरबाद हो गया। बहुत बडी बरबादी इन लोगो ने कर दिया अब कोई मोएज्ज़ा नही होगा।

Anish Akhtar बहुत खूब…जबरदस्त आंकलन…आपकी लेखनी की तरफ बढ़ती राजनीती…. मैंने भी बहुत गहराई से नॉट किया है किशोर जो बोलता है पेंट गोन का इशारा होता है…

  • Mohammed Seemab Zaman, Anish Akhtar साहेब, बहुत बडी बरबादी हो गई है। 2022 मे सब नजर आये गा, पेटागौन या इन लोगों का सूर ऐसे नही बदला है। दुनिया मे कोई नही पूछ रहा है, हम अकेले हो गये।

Mir Talib Ali बेहतरीन पोस्ट! यह post पढ कर ये महसुस हुआ की सौ साला संघी सोंच की अर्थी निकलने वाली है! अब भागवत जी जो भी रंग अपनायें मुर्दा जिंदा होने वाला नहीं!

  • Mohammed Seemab Zaman, Mir Talib Ali साहेब, सौ साल से कुऑ का मुर्दा मेढक अब ज़िंदा हो कर भी कुछ नही कर पाये गा। बहुत बडी बरबादी कर दिया है इन लोगो ने। कोई इन पर अब सट्टा नही लगा रहा है।

Ashwani Suhag वी॰एच॰पी॰ ने जिस तरह से साउदी सरकार की बड़ाई की है तबदीली जमात को ले के उससे लगता तो नहीं की इनको कोई अक़्ल आएगी ।हम को तो उस दिन का इंतज़ार कर रहे हैं जब संघी पल्ले आगे आगे ओर जनता इनके पीछे उससे पहले कुछ भी होता रहे या ये कुछ कहते रहे कोई फ़र्क़ नहीं पड़ता ।

Faysal Khan मतलब यूपी चुनाव के बाद गोद बदलने का खेल फिर शुरू हो जाएगा जितने कांग्रेस छोड़ कर बीजेपी में गये थे फिर से पलायन शुरू कर देंगे.?

  • Mohammed Seemab Zaman यूपी चुनाव मे उर्दु नाम वाले बसपा और सपा को हराने का बस एक टारगेट बनाये। जितने दे शहजादा सलीम को। उर्दु नाम वाले वोट से वह नही जिता था, वह जिता था बसपा और सपा के वोट से। चुनाव का डेट आने दिजये फिर हम पोस्ट करें गें।