Post of 9 June 2023

पारंपरिक रूप से सेंट्रल एशिया देश रूसी प्रभाव मे सोवियत संघ के विघटन के बाद भी रहे हैं मगर अब वहाँ चीन अपना प्रभाव बढ़ा रहा है।हाल ही में, किर्गिस्तान ने यूरोपीय यूनियन और सेंट्रल एशिया के बीच एक महत्वपूर्ण शिखर सम्मेलन की मेजबानी किया जिस मे यूरोपीय यूनियन के अध्यक्ष चार्ल्स मिशेल की उपस्थिति में कजाकिस्तान, किर्गिस्तान, उज्बेकिस्तान और ताजिकिस्तान के राष्ट्रपतियों ने इस कार्यक्रम में भाग लिया।

इस शिखर सम्मेलन के दो हफ़्ता पहले एक ऐतिहासिक बैठक मे पांच सेंट्रल एशिया के नेताओं को चीनी राष्ट्रपति शी जिनपिंग ने चीन में आमंत्रित कर दो दिन का सम्मेलन किया था, क्योंकि चीन को अपनी 1.4 billion आबादी तथा तरक़्क़ी को क़ायम रखने के लिए ऊर्जा की सख़्त ज़रूरत है।

सेंट्रल एशिया मे किर्गिज़स्तान को छोड़ कर सब के पास खनिज, तेल, गैस है तथा कज़ाखस्तान के पास दुनिया का 40% Uranium है।चीन अब न्यूक्लिअर प्लांट लगा रहा है और कज़ाखस्तान से अगले 50 सालो के लिए यूरेनियम आपूर्ति का अनुबंध करना चाहता है।चीन ने 2013 में सब से पहला Belt & Road कार्यक्रम कज़ाखस्तान से ही शुरू किया था और आज तेल तथा गैस पाइपलाइन से लेता है।

क़तर के अमीर तमीम चार दिन से सेंट्रल एशिया के देशों के दौरा पर है ताकि चीन के प्रभाव को कम किया जाये। अमीर तमीम ने कज़ाखस्तान में एक अत्याधुनिक स्वास्थ्य सेवा केंद्र खोलने का एलान किया है।ताजिकिस्तान मे सेंट्रल एशिया की सब से बड़ी मस्जिद का उद्घाटन किया जो उन के पिता ने अपने कार्यकाल में बनाने का वादा किया था।अबू हनिफ़ा मस्जिद आठ साल में बनी है और इस में 8000 करोड़ रूपया ($100 million) से ज़्यादा खर्च हुआ है।अंदर 43,000 लोग तथा सेहन मिला कर 1,33,000 लोग एक साथ नेमाज़ पढ़ सकते हैं।उज़बेकिस्तान तथा किर्गिज़स्तान में बहुत सारे प्रोजेक्ट शुरू करने पर हस्ताक्षर किया है।

#नोट: अभी दुनिया का 90% ऊर्जा (तेल, गैस, यूरेनियम आदि) मीडिल ईस्ट, सेंट्रल एशिया, अज़रबाइजान लीबिया, मोरक्को, टूनिशिया, मिस्र, चाड, माली, नाईजेरिया, नीजेर, अलजेरिया, सूडान, तंज़ानिया वगैरह के पास है।