कल यूरोपियन यूनियन के दो अधिकारी, चार्ल्स मिशेल और यूरसिला वैंडर लिन और जर्मनी के अंगेला मरकेल ने विडियो कौंफरेनस कर के चीन के राष्ट्रपति शी जींपिग से “बहुपक्षिये संबंध” पर बात की।

#यूरोपियन यूनियन की अध्यक्ष यूरसिला वैंडर लिन ने कहा बातचीत बहुत “फ़्रैंक और ओपेन” रहा और ईयू-चीन ने ट्रेड और निवेश पर बात की और आपसी संबंध को मज़बूत बनाने पर बल दिया।

#मरकेल ने कहा दिसंबर मे यूरोपियन यूनियन चीन के साथ “Comprehensive Investment Agreement” पर हस्ताक्षर करे गा जिस से चीन का निवेश सुरक्षित और आसान हो गा। मरकेल ने चीन को यूगूर, हांग कांग और साऊथ चाईना समुंदर पर एक तरफ़ा फैसला नही लेने को कहा, उन्होंने बहुपक्षिये वार्ता पर बल दिया।

#सब से महत्वपूर्ण बात शी जिंपिंग और ईयू ने “सामरिक भागीदारी” (strategic partnership) बनाने पर किया। चीन और ईयू सामरिक समझौता का मतलब है कि अब यूरोप ट्र्म्प के अमेरिका पर विश्वास नही रखता है।

पिछले तीन महीना मे ईयू-चीन का यह दूसरा विडिव कौंफेरेंस है और पिछले महीना चीन के विदेशमंत्री पाँच यूरोप के देश फ्रांस, स्पेन,जर्मनी, इटली और हौलॉंड घूम कर गये हैं।
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कल टाईमस ऑफ इनडिया ने खबर छापी थी कि जर्मनी की मरकेल ने चीन से संबंध ख़त्म कर दिया और इन्डो पैसिफ़िक भागीदारी मे अब डेमोक्रेटिक देशो का साथ देंगी। जब हम ने खोल कर पढा तो यह पूरानी खबर Nikkei Asian Review की थी। देखये यह भारतीय मिडिया कैसे हम लोगो को गुमराह कर के कुऑ का मेढक बना कर रखना चाहता है जबकि कल ही मरकेल और शी जिंपिंग ने सामरिक भागीदारी की बात किया है।

मई से चीन गलवान मे मेरे साथ घुसपैठ कर हजारो वर्ग किलोमीटर कब्जा किया है। पिछले साल मोदी जी G7 मीटिंग मे सब यूरोप के नेता से मिल कर आये मगर कोई चीन के विस्तारवादी नीति के खेलाफ मेरे लिये नही बोला है।