Post of 18th August 2022

मैटरनिटी छुट्टी या मातृत्व छुट्टी दुनिया को भारत के TATA परिवार की दैन है।टाटा ने आसाम मे अपने चाय बगान वाली औरतों को दस दिन छुट्टी दुनिया मे पहली बार 20वी सदी के शुरू मे दिया था।खैर अब तो लोग लिखते हैं कि संविधान मे Maternity Leave अंबेडकर की दैन है।

चीन अगले सौ साल अपने को विश्वगुरू बने रहने के प्रयास को सफल करने के लिए पिछले हफ्ता 17 विभाग को मिला कर एक समिति बनाई है जो “आबादी को बढ़ाने” मे मिल कर काम करें गें। वहॉ माओ के समय मे जब एक बच्चा का कानून बना था तब भी मुस्लिम बहुल्य Xinjiang सूबा मे यह कानून लागू नही था।

चीन को सुपर पावर बने रहने का ऐसा नशा चढ़ा है कि वहॉ अब “गैर-विवाहित” लडकी और औरत को गर्भावती होने पर मैटरनिटी छुट्टी मिले गी, जो वहॉ अभी कानून्न बैन है।कानून नही बदला जाये गा मगर गॉव, शहर के संस्था और कम्पनी को कहा गया है कि वह सभी गर्भावती महिला को वेतन के साथ मातृत्व छुट्टी दें।

हम यहॉ लोगो को बताते चलें कि 19वीं शताब्दी मे लंदन की पुलिस और जासूसी संस्था लंदन और दूसरे शहरों मे वेश्या को बच्चा पैदा करने को कहती थी और वादा करती थी बच्चे को वह ले ले गी।वेश्याओं ने खुशी खुशी यह काम किया।

देख लो लोग #विश्वगुरू ऐसे बना जाता है न कि “गर्भावती मुस्लिम महिला” का पेट चीर कर बच्चे और मॉ को मार कर विश्वगुरू बना जाता है।
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Some comments on the Post

Jitendra Singh हमारे यहां काफी एंग्लो इंडियन लोग होते थे। अंग्रेज रेसिस्ट होते थे तो इन्हे काफी नीची नजर से देखते थे और इन्हे यहीं के लिए ठीक समझते थे। दूसरे विश्वयुद्ध के बाद, इंग्लैंड की डेमोग्राफी में ठीक ठाक शरीर वाले लोगों की काफी कमी आ गई, उन लोगों ने अपने लोगों को यहां से वहां जा के बसने की सुविधा देने शुरू कर दी। आज बस कलकत्ते में डेरेक ओ ब्रायन ही बचा है जो तृणमूल कांग्रेस से सांसद है।

  • Mohammed Seemab Zaman, Jitendra Singh साहेब, रेसिस्ट की परिभाषा बहुत बडी है। मगर हम आप को यहॉ बता दें कि 1870 तक जब तक Suez Canal नही बना था तो अंग्रेज़ अच्छे परिवार के लोग अपनी बेटी की शादी उस अंग्रेज़ से UK मे नही करते थे जो कलकत्ता मे जाकर काम करता या करने जाता था। क्योकि 3-4 महीना जहाज़ से लगता था इंग्लैंड से कलकत्ता आने मे, वह कहते थे मेरी बेटी छूट जाये गी। जो अंग्रेज़ आता था छोटा या बडा वह यहॉ ही शादी या दूसरे तरह से रहता था। यही वजह थी के कलकत्ता मे Anglo Indian बहुत थे। या गोवा मे Portugal नस्ल के लोग थे। यह तो स्यूज़ कनाल बन्ने के बाद आम हुआ के अंग्रेज़ अपनी औरत को लेकर आने लगे।

Faysal Khan असल मे डेमोक्रेटिक लीडरों को सिवाए झूठ और मक्कारी करने के और कोई तमीज़ तो होती नहीं है इसलिए बगैर सोचे समझे जब जो समझते हैं लागू कर देते हैं अब रही सही कसर बड़बोले पत्रकारों ने पूरी कर दी है जिनका मेन मकसद टीआरपी होता है वरना बताइए जहां एक तरफ यहां इंडिया में जनसंख्या अभिशाप बताइ जाती रही है वहीं चीन माज़ी में किये गये गए अपने ग़लत फैसलों की भरपाई अब उससे भी ज्यादा ग़लत फैसला करके करने चला है कहाँ तो ऐसा कानून था कि लोग अपने जायज़ बच्चों को मेनहोल और गटर में फेकने पर मजबूर थे और अब ये हाल है कि हराम हलाल जैसे भी हो हकूमत को बच्चों चाहिए है ताकि कल को चाईना में काम करने वाले मजदूरों की कोई कमी नहीं होने पाए।

Syed Abid Naqvi सर अपने ही घर में आग लगा कर विश्व गुरु बनने का दावा कोई पागल ही कर सकता है।।