9 April 2023
9/11 के बाद 23 जनवरी 2002 को राष्ट्रपति बुश द्वारा ईरान को न्यूक्लियर प्लांट दिये जाने और ओबामा द्वारा ईरान JCPOA समझौता के बाद सऊदी अरब और अमेरिका के रिश्ते मे दरार पड गई।
ईरान पिछले 40 साल से मुस्लिम दुनिया मे इस्लामी क्रांती के बाद आतंक फैलाता रहा और ईरान तथा मुस्लिम देश की अर्थव्यवस्था को संघी सोंच के कारण बर्बाद करता रहा।
2015 मे शाह सलमान के सऊदी अरब मे बादशाह बनने के बाद, दुनिया एक नये बदलाव की तरफ बढ़ने लगी। शाह सलमान ने 2015 अगस्त मे रूस को सीरिया मे बोलाया, रूस को OPEC का सदस्य बनाया और अक्टूबर 2017 मे रूस की यात्रा किया।
शाह सलमान की 2017 की रूस यात्रा ने वैश्विक शक्ति के “ढाँचा/संरचना” मे सौ साल मे एक बडे बदलाव की शुरूआत किया और आज मीडिल ईस्ट एक Geopolitical और Economic पावर के रूप मे उभर गया।
चीन के राष्ट्रपति ने 2019 मे इस बदली दुनिया को “पढ” लिया और मीडिल ईस्ट से गहरा संबंध बना लिया और पिछले महीना बीजिंग मे “गुप्त मध्यस्थता” कर तेहरान और रेयाद के बीच तनाव को ख़त्म कर एक समझौता की घोषणा कर अंतरराष्ट्रीय समुदाय और खास कर अमेरिका को चौंका दिया।
सीआईए के निदेशक विलियम बर्न्स ने इस सप्ताह सऊदी अरब की एक अघोषित यात्रा किया और ईरान के साथ संबंध बहाल करने के समझौते पर सऊदी अधिकारियों द्वारा अमेरिका को अंधकार मे रखने पर निराशा व्यक्त किया।
बर्न्स ने सऊदी क्राउन प्रिंस मोहम्मद बिन सलमान को बताया कि अमेरिका ने ईरान और सीरिया के साथ रियाद के मेल-मिलाप से अपने को “अंधा” महसूस कर रहा है।बर्न्स ने अब सऊदी अधिकारियों के साथ खुफिया और आतंकवाद विरोधी सहयोग पर आपस मे चर्चा और मद्द करने की बात किया।
“सिरहाने पढ़ी जाये गी यासीन उसके
इस साल की देखे गा ना बरसात अमेरिका”