Post of 30 April 2022

देश मे जब पहले आपदा आता था तो एक राजनीतिक पार्टी अवसर मे बदल कर चाणक्य बनती थी। भगवान ने उस पार्टी को सत्ता दे दिया और आपदा की बारीश शुरू कर दिया।

पहला आपदा 2015 मे ओबामा के रूप मे आया मगर वह अवसर न हो कर शराप मे बदल गया और विश्वगूरु का ख्वाब टूटने लगा।दूसरा आपदा नोटबंदी, फिर क्रमश: तीन तिलाक़, एनआरसी, 370, अवसर नही बन सका और उसी बीच सौ साल बाद कोरोना आपदा आ गया जिस को नाई के पैजामा से अवसर मे बदलना चाहा मगर इसी कालखंड मे चीन हिमालय मे बर्फ पिघलाने लगा। चीन का आपदा भटकती आत्मा हो गया।

अन्तोगत्वा भगवान ने रूस-यूक्रेन का आपदा दे दिया जिस को इस पार्टी ने रूस के सस्ता तेल का नारा लगा कर अवसर मे बदलना चाहा मगर पुटिन ने कह दिया “भारत इस को अवसर न बनाये यह रूस, यूक्रेन, यूरोप, नेटो का मामला है, किनारे रहें” यह लेटेस्ट आपदा भी अवसर मे नही बदला।

अब गर्मी मे नया “उर्जा आपदा” आ गया जो कोयला संकट के रूप मे आ गया।भगवान का दिया देश मे कोयला प्राचुर मात्रा मे है, अंग्रेज का दिया रेलवे नेटवर्क है, 71% थर्मल प्लांट है मगर 670 ट्रेन रद्द हो गया क्योंकि कोयला ढोना है।

समझ मे नही आता है कि यह कोयला कहॉ रखा है जिस की ढोलाई रेलवे को करनी है? याद रखिये गा कोल इन्डिया के पास आधुनिक उपक्रण नही है और न विदेश से जहाज़ की कमी के कारण कोयला आ रहा है।यह सब झूठा आपदा को अवसर बनाया जा रहा है।

नीचे ग्राफ देखये भारत मे दुनिया मे सब से ज्यादा उर्जा (71%) थर्मल पावर से पैदा होता है, दूसरे नम्बर पर चीन 62% पैदा करता है। चीन ने तीन महीना पहले AUKUS के कारण ओसट्रेलिया से कोयला लेना बंद कर अपना कोयला निकाल कर उर्जा संकट नही होने दिया, तो भारत मे क्यों उर्जा और यात्री ट्रेन संकट पैदा हुआ? मोहन जी इस का जवाब दें।
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Some comments on the Post

Mohammed Seemab Zaman साऊथ कोरिया 38% तथा जापान 30% उर्जा कोयला के थर्मल पावर प्लांट से लेता है और सारा कोयला आयात करता है मगर वहॉ बिजली का कोई संकट नही है मगर भारत मे एशिया का पहला सब से बडा Indian School of Mines, धंबाद मे है तो फिर क्यों उत्तर भारत मे कोयला या उर्जा संकट पैदा हो गया? दस साल से केवल चुनाव लडा गया और जुमला से #विकास पैदा किया गया।