امتیں گلشن ہستی میں ثمر چیدہ بھی ھیں
اور محروم ثمر بھی ھیں’ خزاں دیدہ بھی ھیں

उम्मतें गुलशन-ए-हस्ती में समर-चीदा भी हैं
और महरूम-ए-समर भी हैं ख़िज़ाँ-दीदा भी हैं

(मोहम्मद इकबाल की जवाब-ए-शिकवा: XXVII)

#ABSTRACT: “पिछली शताब्दी में, यूरोप और अमेरिका ने पूरी दुनिया मे जंग, आतंकवाद, नरसंहार किया और अंतोगत्वा कीनेसियन पूंजीवाद (Keynesian capitalism) के साथ मार्क्स का साम्यवाद (Marx’s communism) दोनों ध्वस्त हो गए। लेकिन यह 21वी सदी एशिया और अफ्रीका की मिश्रित अर्थव्यवस्था (Mixed Economy) और चीन के बेल्ट एंड रोड इनिशिएटिव (BRI) के माध्यम से मैत्रीपूर्ण व्यापार और आपसी संबंधों से विकसित हो कर एक नई अर्थव्यवसथा हो गी”

#COVID-19 महामारी ने WWI और 1918-20 के स्पेनिश फ्लू के बाद पिछले सौ वर्षों में कभी नहीं देखा गया स्वास्थ्य और वित्तीय संकट के बादल से पूरी दुनिया को ढक दिया। मौजूदा महामारी को दूर करने के लिए, अमेरिका और यूरोप अत्यधिक मात्रा में पैसा बाजार मे छाप कर फैंक रहे हैं, लेकिन वे अपनी अर्थव्यवस्था के लिए एक गंभीर खतरे पैदा कर रहे हैं। हमें यह नहीं सोचना चाहिए कि दुनिया महामारी के बाद बहुत जल्द सामान्य रूप से वापस आ जाएगी। यह महामारी एक नए युग की शुरुआत करे गा, कुछ राष्ट्र विजेता होंगे और कुछ कई दश्को के लिये तबाह व बर्बाद हो जाये गे।

बराक ओबामा और यूरोपीयन देशों ने 2008 के वित्तीय संकट से पैदा हुए अवसर को बर्बाद कर दिया, लीबिया, मध्य पूर्व, इराक और बर्मा (रोहिंग्या) आदि में मार-काट और आतंकी संगठन (आईएसआईएस) पैदा कर के।

1878 ​​से मुस्लिम देशो के सत्ता में गिरावट शुरू हुई और 1923 में ओटोमन साम्राज्य के टूटने के साथ सब समाप्त हो गया। ओटोमन साम्राज्य के टूटने के बाद 1930 के महान अवसाद (Great Depression) और WWII यूरोप द्वारा अर्जित सभी लाभ को समाप्त कर दिए। एशिया और अफ्रीका में पश्चिमी उपनिवेशों ने अपने औपनिवेशिक शासकों से स्वतंत्रता की लड़ाई शुरू कर दी और धीरे धीरे 1970 तक सब आजाद हो गये। मेंयार्ड किन्स के “रोजगार, ब्याज और धन के सामान्य सिद्धांत” के कारण यूरोप आर्थिक रूप से सुरक्षित हो गया।

मगर अरब -इसरार्ईल, योम किपुर वार (6 अक्टूबर-24 अक्टूबर 1973) के बाद 1973 में विकास का कीनेसियन पैराडाईम यूरोप और अमेरिका में ढह गया। 1973 मे तेल की कीमत 378 गुना बढ गई और बढी मुद्रास्फीति और बेरोजगारी 1970 और 1980 के दश्क मे यूरोप और अमेरिका के देशो को ‘स्टैगफ्लेशन’ की ओर ले गई। मध्य-पूर्व/मुस्लिम देशों ने 1970/1980 के दश्क के बाद तेल को “धन और हथियार” के रूप में इस्तेमाल किया और एशियाई और पश्चिमी देशों के लोगो को ईरान, इराक, सऊदी अरब और नाइजीरिया ने रोजगार के अवसर देना शुरू कर दिए।

1976 में पहली बार अमेरिका और यूरोप ने ईरान, मध्य-पूर्व और तीसरी दुनिया के देशों को आधुनिक और नये हथियार बेचने शुरू किया और युद्ध में सुपर पावर के रूप में रेफरी की भूमिका निभानी शुरू कर दीया।

उच्च शिक्षा के लिए ईरान और मध्य-पूर्व के देशो ने अपने नागरिकों को पश्चिमी देशों में पढने के लिय भेजना शुरू कर दिया। अमेरिका की मदद से ईरान एशिया की सबसे बड़ी नौसेना शक्ति बन गया। लेकिन, ईरान में 1979 की इस्लामिक क्रांति और अफगानिस्तान के सोवियत संघ (यूएसएसआर) के कब्जा ने मध्य-पूर्व/ईरान के विकास को धीमा कर दिया।

1990 में यूएसएसआर के टूटने और बाल्कन और खाड़ी युद्ध मे पश्चिम और अमेरिका ने मध्य-पूर्व देशो को खूब हथियार बेचा। 9/11 के बाद, अमेरिका फिर से इराक और अफगानिस्तान लौट आया जिसके परिणामस्वरूप अमेरिकी के अर्थव्यवस्था को खरबों डॉलर और मानव जीवन का बहुत नुकसान हुआ।

खाड़ी युद्धों के दौरान चीन को सबसे अधिक लाभ हुआ और विनिर्माण क्षेत्रों के विकास के माध्यम से आर्थिक रूप से मजबूत हुआ। फिर 2008 का वित्तीय संकट आया और बराक ओबामा जनवरी 2009 में सत्ता में आऐ।

2008 के वित्तीय संकट के बाद अमरीका और चीन के बीच शक्ति संतुलन बिगड़ गया। राष्ट्रपति ओबामा ने अमेरिका को वित्तीय पतन से बचाया लेकिन 2011 में “अरब स्प्रिंग” के माध्यम से मध्य-पर्व में फिर से समस्याएं पैदा कीं। ट्यूनीशिया, मिस्र, लीबिया के बाद, सीरिया तथाकथित अरब स्प्रिंग में आखिरी देश था जहां 2015 में रूस के राष्ट्रपति पुतिन के हस्तक्षेप के माध्यम से अमेरिका अटक गया।

पुतिन ने ISIS को समाप्त कर दिया जो कि इराक और सीरिया में पश्चिमी शक्तियों द्वारा बनाया गया था। उन्होंने अग्रिम रूप से तुर्की के तैयब एर्दोगन को जुलाई 2016 के सैन्य तख्तापलट के बारे में भी सूचित किया। तुर्की में 15 जुलाई 2016 को असफल तख्तापलट के बाद, एर्दोगन और पुतिन ने पश्चिमी शक्तियों के खिलाफ तालिका बदल दी। 2017 में डोनाल्ड ट्रम्प अमेरिका के राष्ट्रपति बने और WWII के बाद स्थापित वर्ल्ड ऑर्डर को पूरी तरह से बदल दिया और एक नया दुश्मन चीन बनाया। अमेरिका चीन के साथ रक्षात्मक हो गया क्योंकि 2014 के बाद चीनी अर्थव्यवस्था अमेरिका से बड़ी हो गई चीन के बेल्ट एंड रोड की पहल से। जारी………

(मेरा पोस्ट (26-31 July) का यह हिन्दी अनुवाद Javed Hasan साहेब ने किया जो 2-08-2020 को पोस्ट FB पर हुआ है)

Comment of Kahkashan Naz on FB Post of 23 August 2021