Post of 7th March 2021
आदरणिये मोहन जी, आज बंगाल चुनाव मे नारे बाज़ी देख कर हम को आप से सहानुभूति हो गई। भारत को आप के संघ को बौद्धिक ग़ुलामों ने बरबाद कर दिया।
आप के संघीतकारों को अपनी संघआर्थिकी पर गर्व करने जैसा अब कुछ भी तो नहीं है। इज़राईल से मिस्र होते हुए भारत आये चितपावनियों को भली भाँति मालूम है तुर्की, ईरानी और अरबों ने ही “हिन्दू” पहचान दी थी और आप लोगो ने मिस्र से लाये भगवानो को यहॉ छींट दिया।सौ साल से बौद्धिक ग़ुलामों के चक्कर मे पड कर अपने मिडिल ईस्ट (मध्य पूर्व) से संबंधो को भी ख़त्म कर दिया।
आज मंचूरिया नस्ल लद्दाख-गलवान, डोकलाम और अरुनाचल में घुसे पड़े हैं, मगर बंगाल मे ऐसा लग रहा है भारत माता नारा से ही सुरक्षित हैं, चीन ने कुछ किया ही नही।मोहन जी आप ने सही कहा आप चितपावनी को अब बौद्धिक क्षत्रिय चाहिये जो विश्व मे भारत का पक्ष रख सके।
मोहन जी आप जानते हैं “तेल है तो तिलक भी है” और यह आप के पूर्वज मध्य पूर्व के पास है। मेरा भी यही कहना है मोहन जी बेहतर है सल्तनते उस्मानिया से रिश्ता बनायें।
Note: नीचे हम कुछ मिस्री भगवानो की तस्वीर दे रहे हैं जिस मे देवी नेपथिस (Nephthys) हैं जो भगवान सेथ (Seth) की पत्नी है मगर वह भगवान एनोबिस (Anubis) को जन्म दिया अपने भाई भगवान ओसिरिस (Osiris) से रिश्ता बना कर। सॉंप नाग (Cobra) तो वहॉ थे ही जिन को बंगाल मे मिथुन चक्रवर्ती ने याद किया।