Post of 27th November 2020
The Economist, लंदन पत्रिका मे आज एक लम्बा चौड़ा लेख भारतीय प्रजातंत्र को मोदी जी द्वारा भारत को बर्बाद करने पर लिखा है। यह वही मोदी जी हैं जो पॉच साल मे पूरी दुनिया के 99 देश मे धुँआधार यात्रा कर भक्त, पत्रकार और बूद्धिजिवी और संघ के विद्वानों को समझाया था हम भारत को “विशवगुरू” बना दिया। मगर पुरानी कहावत सही हो गई खाया-पिया कुछ नही गिलास फोड़ा चार आना।
#एकौनोमिस्ट कहानी शुरू करता है अर्नब गोस्वामी के कोर्ट के बेल से और लिखता है सैकडो लोग कशमीर मे आतंक के नाम पर और उड़ीसा मे माओ के नाम पर सालो से क़ैद हैं मगर आज तक सुप्रीम कोर्ट ने सुनवाई नही किया, बेल का तो स्वाल ही नही है।
#2017 मे विवादास्पद “Electoral bonds” लाकर चुनाव मे बिज़नेस समुदाय को नोच-खसोट हो रहा है मगर सुप्रीम कोर्ट आज तक इस क़ानून के खेलाफ constitutionality of this innovation पर कोई सुनवाई नही कर रही है।
#नागरिकता बिल 2019 पर 140 legal petition और 370 कशमीर पर दसों याचिका पर सुप्रीम कोर्ट सालो से बेगैर सुनवाई के बैठी है मगर अर्नब का बेल कोर्ट दो दिन मे दे देती है।
#मोदी जी ने ओपोज़िशन को ख़त्म कर “वन नेशन वन पार्टी” कर दिया मगर दिल्ली मे संसद भवन अपने पसंदीदा गुजराती architect को बनाने का ठिका दे देते हैं। यह नया संसद 3 कि०मि० मे 10 बडे भवन का होगा जहॉ प्रधानमंत्री के लिये एक भवन exclusive होगा।
और भी बर्बादी की बहुत सारी बात ग्राफ दे कर लिखा है। अन्त मे लिखता है मोदी ने बाईडेन को फोन पर जीत की मोबार्कबाद दिया मगर बाईडेन के प्रवक्ता ने कहा बाईडेन ने मोदी को देश और विदेश मे प्रजातंत्र को मज़बूत करने को कहा।
(नीचे तस्वीर उसी लेख की है जिस मे संसद भवन, पुलिस राज, आम आदमी को डंडा मारती पुलिस, हाथ छाप मे मोदी की तस्वीर मगर कही भी भारत का नक्शा नही है)